जेएनयू की प्रोफेसर प्रो. रुबीना तबस्सुम की ओर से किए गए अध्ययन में सामने आया है कि मुस्लिम समुदाय में ड्रॉपआउट दर बढ़ी है. यही वजह है जो मुसलमानों को कम साक्षरता और खराब शैक्षिक स्तर की ओर ले जा रहा है.
एजुकेशन डेस्क। देश में शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए तमाम कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। इसके बाद भी ड्रॉपआउट दर में कमी नहीं आ रही है। खासकर मुस्लिम परिवारों में शिक्षा का प्रतिशत लगातार गिरता जा रहा है। मुस्लिम परिवारों में स्कूल जाने वाली बालिकाओं में तो ड्रॉप आउट दर की बात छोड़ें, यहां तो मुस्लिम समुदाय के लड़कों की पहुंच भी उच्च शिक्षा तक बहुत कम है। बुर्का, कम उम्र में शादी और शिक्षा को तरजीह न देना ही मुसलमानों को कम साक्षरता और खराब शैक्षिक उन्नति की ओर ले जा रहा है।
इंस्टीट्यूट ऑफ ऑब्जेक्टिव स्टडीज की ओर से पेश रिपोर्ट 'स्टेटस ऑफ मुस्लिम ड्रॉपआउट इन कम्पेरेटिव पर्सपेक्टिव' में सामने आई है। जेएनयू की प्रोफेसर रुबीना तबस्सुम की ओर से इसे लेकर रिसर्च किया गया है। इस स्टडी में मुस्लिमों समुदाय के ड्रॉपआउट रेट बेहद चौंकाने वाले हैं। यह बताता है कि ड्रॉपआउट दर में और बढ़ोतरी हुई है जिससे स्कूलों में नामांकन की दर भी कम हुई है।
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विभिन्न राज्यों में अलग-अलग है ड्रॉपआउट दज
देश के विभिन्न राज्याों में ड्रॉपआउट की अलग-अलग दर है। पश्चिम बंगाल में मुसलमानों की आबादी 27 प्रतिशत है वहां समुदाय के बीच ड्रॉपआउट दर 27.2 फीसदी है जो कि हैरान करने वाली है। इसके विपरीत हिन्दुओं का ड्रॉपआउट 22.0 फीसदी है। वहां बिहार में मुसलमानों की ड्रॉपआउट दर 13.9 प्रतिशत है।
आय बढ़ी पर शिक्षा पर फोकस नहीं
प्रो. रुबीना के मुताबिक समय के साथ मुसलमानों की आय में तो बढ़ोतरी हुई है लेकिन शिक्षा पर फोकस नहीं किया गया। पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम आजाद के बाद किसी भी मुस्लिम नेता ने शिक्षा के स्तर को उठाने में खास दिलचस्पी नहीं ली। इंस्टीट्यूट ऑफ ऑब्जेक्टिव स्टडीज की ओर से प्रस्तुत रिपोर्ट को तुलनात्मक परिप्रेक्ष्य में मुस्लिम ड्रॉपआउट्स की स्थिति पर आधारित एक पुस्तक का रूप दिया गया है।
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आदिलासी और दलित पर भी रिपोर्ट
प्रो. रुबिना तबस्सुम ने दलित और आदिवासी समुदायों पर रिपोर्ट भी पेश की है। उनके अध्ययन के अनुसार, राष्ट्रीय औसत 18.96 प्रतिशत की तुलना में मुस्लिम ड्रॉपआउट दर 23.1 प्रतिशत है। रुबीना कहती हैं कि बंगाल, लक्षद्वीप और असम जैसे राज्यों में मुस्लिम समुदाय में ड्रॉपआउट का प्रतिशत अधिक है. वह कहती हैं कि मुसलमानों का झुकाव औपचारिक शिक्षा की ओर कम है।