क्या आप जानते हैं “अंधा बांटे रेवड़ी, फिर-फिर अपने को दे” का मतलब?

Muhavare in Hindi: मुहावरे न सिर्फ हमारी बातचीत को रोचक बनाते हैं, बल्कि जिंदगी के कई अहम पाठ भी सिखाते हैं। जानिए कुछ ऐसे ही दिलचस्प मुहावरों और उनके अर्थों के बारे में।

Muhavare in Hindi: मुहावरे हमारे भाषा का वह हिस्सा हैं जो साधारण शब्दों में गहरी समझ छिपाए रहते हैं। ये वाक्यांश रोजमर्रा की जिंदगी में बार-बार इस्तेमाल होते हैं और किसी भी परिस्थिति को संक्षेप में समझा सकते हैं। इनका सही उपयोग न सिर्फ बातचीत को रोचक बनाता है, बल्कि जीवन के कई महत्वपूर्ण पाठ भी सिखाता है। जानिए कुछ ऐसे ही दिलचस्प और अनोखे मुहावरे और उनके अर्थ

"गाय की पूंछ पकड़ना"

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अर्थ: किसी काम को बिना समझे या बिना मेहनत किए केवल आसान तरीके से परिणाम पाने की कोशिश करना। इस मुहावरे का इस्तेमाल तब किया जाता है जब कोई व्यक्ति दूसरों के द्वारा किए गए काम या सफलता का फायदा उठाने की कोशिश करता है, लेकिन खुद कोई खास प्रयास नहीं करता। यह एक प्रकार से दूसरों की मेहनत का सहारा लेने का प्रतीक है। जैसे कि, कोई व्यक्ति केवल सहारे के दम पर लक्ष्य तक पहुंचना चाहता है, बजाय इसके कि वह खुद मेहनत करके आगे बढ़े।

“नाच न जाने आंगन टेढ़ा”

अर्थ: अपनी कमी या गलती को छिपाने के लिए दूसरों या परिस्थितियों को दोष देना। इस मुहावरे का इस्तेमाल वैसे लोगों के लिए किया जाता है जो व्यक्ति अपनी कमी को छिपाने के लिए दूसरों पर या हालात पर दोष डालता है।

“चिराग तले अंधेरा”

अर्थ: जब कोई चीज बहुत पास हो, फिर भी उसपर ध्यान न जाना। इस मुहावरे का उपयोग तब किया जाता है जब कोई महत्वपूर्ण चीज या समाधान ही सामने होता है, लेकिन व्यक्ति उसे नजरअंदाज कर देता है। यह बताता है कि कभी-कभी सबसे आसान समाधान भी ध्यान से चूक सकते हैं।

“ऊंट के मुंह में जीरा”

अर्थ: बहुत बड़ी आवश्यकता के सामने बहुत छोटा साधन। जब किसी बड़े काम के लिए संसाधन इतने कम हों कि वह काम मुश्किल हो जाए, तब यह मुहावरा उपयोग होता है। इसका मतलब है कि आपकी जरूरत बड़ी है और साधन छोटे हैं।

“उल्टा चोर कोतवाल को डांटे”

अर्थ: जब दोषी व्यक्ति ही दूसरों पर आरोप लगाने लगता है। यह मुहावरा उन लोगों के लिए इस्तेमाल होता है जब कोई दोषी व्यक्ति ही अपने बचाव में दूसरों पर आरोप लगाने लगता है। यह स्थिति तब आती है जब कोई अपनी गलती मानने के बजाय दूसरों को दोष देने की कोशिश करता है।

“अंधा बांटे रेवड़ी, फिर-फिर अपने को दे”

अर्थ: जब कोई व्यक्ति दूसरों को कुछ बांटते समय खुद को सबसे ज्यादा फायदा पहुंचाता है। यह मुहावरा तब इस्तेमाल होता है जब कोई व्यक्ति दूसरों की मदद या लाभ देने का दिखावा करता है, लेकिन असल में खुद को ही सबसे ज्यादा फायदा पहुंचाता है। यह स्वार्थ को दिखाता है।

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