"चौबे जी गए छब्बे बनने..." का मतलब? 6 मजेदार मुहावरे जिनके अर्थ हैं जबरदस्त

Muhavare: भारतीय भाषाओं के मुहावरे बातचीत को रोचक बनाते हैं और गहरे अर्थ रखते हैं। परीक्षाओं में भी इनका ज्ञान महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि ये भाषा की समझ को दर्शाते हैं। जानिए कुछ प्रमुख मुहावरे और उनके अर्थ।

Anita Tanvi | Published : Oct 15, 2024 12:16 PM IST / Updated: Oct 16 2024, 10:08 AM IST

Muhavare: मुहावरे भारतीय भाषाओं की विशेषता हैं, जो रोजमर्रा की बातचीत और लेखन को दिलचस्प और अभिव्यक्तिपूर्ण बनाते हैं। ये छोटे-छोटे वाक्य होते हैं, लेकिन इनके अर्थ बहुत गहरे होते हैं। अक्सर मुहावरे किसी स्थिति, भावना या विचार को सटीकता और सरलता से समझाने के लिए उपयोग किए जाते हैं। प्रतियोगी परीक्षाओं में भी इन मुहावरों का ज्ञान महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि ये भाषा की समझ और अभिव्यक्ति के स्तर को दर्शाते हैं। आइए कुछ प्रमुख मुहावरे और उनके विस्तृत अर्थ को जानें, जो परीक्षाओं में अक्सर पूछे जाते हैं।

मुहावरा- "गधे को बाप बनाना"

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मुहावरे का अर्थ: बहुत ही मूर्ख व्यक्ति की चापलूसी करना। इस मुहावरे का उपयोग तब किया जाता है जब किसी मूर्ख या अयोग्य व्यक्ति की अति-चापलूसी की जाती है। इसका मतलब है कि जिस व्यक्ति का कोई महत्व नहीं है, उसकी अत्यधिक प्रशंसा करना या उसे बढ़ावा देना। यह उन स्थितियों में उपयुक्त है जब कोई अपनी स्वार्थसिद्धि के लिए किसी अयोग्य व्यक्ति का मान-सम्मान बढ़ाता है।

मुहावरा- "चौबे जी गए छब्बे बनने, दुबे बनकर लौटे"

मुहावरे का अर्थ: अधिक पाने की कोशिश में हाथ में जो था, वह भी खो देना। इसका मतलब है कि कोई व्यक्ति अधिक पाने की लालसा में जो उसके पास है, उसे भी खो देता है। यह मुहावरा उन स्थितियों पर लागू होता है, जब व्यक्ति बिना योजना या आवश्यकता से अधिक लालच दिखाता है, और अंततः उसे नुकसान उठाना पड़ता है।

मुहावरा- "धाक के तीन पात"

मुहावरे का अर्थ: दिखावे या नाममात्र का काम होना। यह मुहावरा तब उपयोग किया जाता है जब किसी चीज का सिर्फ दिखावा हो, जबकि असल में कुछ भी ठोस या महत्त्वपूर्ण ना हो। इसका उपयोग उन परिस्थितियों में किया जाता है, जब कोई बड़ी-बड़ी बातें करता है, लेकिन हकीकत में कुछ नहीं होता।

मुहावरा- "आसमान पर थूकना"

मुहावरे का अर्थ: किसी बड़े या प्रभावशाली व्यक्ति का अपमान करने की कोशिश करना, जो अंततः खुद को ही नुकसान पहुंचाता है। यह मुहावरा उन स्थितियों पर लागू होता है, जब व्यक्ति अपने से अधिक शक्तिशाली के खिलाफ खड़ा होता है और परिणामस्वरूप खुद ही परेशानी में पड़ जाता है।

मुहावरा- "न नौ मन तेल होगा, न राधा नाचेगी"

मुहावरे का अर्थ: जब तक स्थिति अनुकूल नहीं होगी, तब तक कोई काम नहीं हो सकता। इस मुहावरे का अर्थ है कि जब तक आवश्यक शर्तें पूरी नहीं होंगी, तब तक कोई भी काम सफल नहीं हो सकता। यह मुहावरा उन स्थितियों में उपयोग होता है जब कोई व्यक्ति बड़े-बड़े वादे करता है, लेकिन जरूरी साधन या उपाय ना होने के कारण वे वादे पूरे नहीं हो पाते।

मुहावरा- "कान का कच्चा"

मुहावरे का अर्थ: जो व्यक्ति दूसरों की बातों में जल्दी आ जाता हो। इस मुहावरे का मतलब होता है कि जो व्यक्ति आसानी से दूसरों की बातों में आ जाता है और बिना सोचे-समझे दूसरों की बातों पर विश्वास कर लेता है। यह मुहावरा उन व्यक्तियों के लिए उपयोग किया जाता है, जिनके पास निर्णय लेने की क्षमता कम होती है और जो दूसरों के प्रभाव में आ जाते हैं।

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