
NCERT Modules on Indias Space Journey: क्या आप जानते हैं कि कभी भारत में रॉकेट्स को साइकिल और बैलगाड़ी पर ढोकर लॉन्चिंग साइट तक ले जाया जाता था? लेकिन आज वही भारत दुनिया की सबसे सस्ती और भरोसेमंद स्पेस पावर में गिना जाता है। चंद्रयान-3 की ऐतिहासिक चांद पर लैंडिंग से लेकर सूर्य का राज खोलने वाले आदित्य L1 मिशन तक, भारत ने वो कर दिखाया है जिसकी कल्पना कभी नामुमकिन लगती थी। इसी शानदार सफर को अब स्कूलों के बच्चे भी पढ़ेंगे, क्योंकि NCERT ने “India: A Rising Space Power” नाम से स्पेशल मॉड्यूल्स जारी किए हैं।
ये मॉड्यूल्स दो लेवल के लिए बनाए गए हैं। एक मिडिल स्कूल के बच्चों के लिए और दूसरा सेकेंडरी स्टूडेंट्स के लिए। इसमें भारत की स्पेस जर्नी को फोटो, डायग्राम और टाइमलाइन के जरिए समझाया गया है, ताकि बच्चे आसानी से जान सकें कि कैसे छोटे से कदम ने बड़े सपने को हकीकत में बदला।
इसमें बताया गया है कि कैसे 1962 में विक्रम साराभाई की अगुवाई में बनी INCOSPAR बाद में ISRO में बदल गई और फिर एक-एक करके ऐसे कारनामे किए, जिसने भारत को दुनिया की टॉप स्पेस पावर्स में खड़ा कर दिया। आरंभिक दौर में आर्यभट सैटेलाइट (1975) और SITE प्रोजेक्ट ने गांव-गांव में टीवी पहुंचाया। वहीं आज का दौर है जब चंद्रयान-3 ने 2023 में चांद के दक्षिणी ध्रुव पर ऐतिहासिक लैंडिंग कर भारत को दुनिया में पहला देश बना दिया। इन मॉड्यूल्स में भारत के अंतरिक्ष नायकों को भी याद किया गया है। जैसे 1984 में सोवियत मिशन के साथ अंतरिक्ष में जाने वाले स्क्वाड्रन लीडर राकेश शर्मा और 2025 में ISS पर रहने वाले पहले भारतीय ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला।
इस किताब में भारत के बड़े-बड़े मिशनों को भी खास जगह दी गई है। चंद्रयान-1 ने चांद पर पानी के अणु खोजे, मंगलयान (2013) ने भारत को एशिया का पहला और दुनिया का इकलौता ऐसा देश बना दिया जिसने पहली कोशिश में ही मंगल तक पहुंच बनाई। चंद्रयान-2 का ऑर्बिटर आज भी चांद से अहम डेटा भेज रहा है और आदित्य-L1 (2023) सूरज का अध्ययन कर रहा है। आने वाले समय में नासा-ISRO NISAR सैटेलाइट से धरती की बर्फ, जंगलों और प्राकृतिक आपदाओं पर अहम जानकारी मिलेगी। इसके अलावा गगनयान मिशन इंसानों को अंतरिक्ष में भेजेगा और भविष्य में भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (BAS) की भी योजना है।
भारत का स्पेस प्रोग्राम सिर्फ चांद-सूरज की खोज तक सीमित नहीं है। इसका असर हमारी रोजमर्रा की जिंदगी पर भी है। NavIC नेविगेशन सिस्टम से लेकर टेली-एजुकेशन, टेलीमेडिसिन, मौसम की जानकारी, खेती-बाड़ी और आपदा प्रबंधन तम, हर जगह अंतरिक्ष तकनीक हमारी मदद कर रही है। आज भारत सिर्फ खुद ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक भरोसेमंद और सस्ता स्पेस हब बन चुका है। ISRO अब तक 131 स्पेसक्राफ्ट मिशन और 101 लॉन्च मिशन कर चुका है, जिसमें 35 देशों के 430 से ज्यादा विदेशी सैटेलाइट भी लॉन्च किए गए हैं।
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NCERT के इस मॉड्यूल में यह भी बताया गया है कि कैसे 200 से ज्यादा स्पेस स्टार्टअप्स आज ISRO और अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों के साथ काम कर रहे हैं। सरकार ने भी लक्ष्य तय किया है कि 2035 तक भारत दुनिया की स्पेस इकॉनमी का 8% हिस्सा अपने नाम करेगा। कुल मिलाकर, यह मॉड्यूल बच्चों को सिर्फ भारत की स्पेस स्टोरी नहीं बताएगा, बल्कि यह भी सिखाएगा कि मेहनत, जुगाड़ और साइंटिफिक सोच से दुनिया में कोई भी सपना पूरा किया जा सकता है।