एनसीपीसीआर (NCPCR) ने एनटीए को पत्र लिखकर मांग की है कि नीट यूजी की परीक्षा वर्ष में दो बार आयोजित कराई जाए. इससे छात्रों पर दबाव कम होगा और दो बार परीक्षा देने पर साल बर्बाद होने से बचेगा।
एजुकेशन डेस्क। नीट यूजी परीक्षा को लेकर राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) ने नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) को पत्र लिखा है. पत्र में एनसीपीसीआर (NCPCR) ने एनटीए से नीट यूजी की परीक्षा साल में दो बार आयोजित कराने के लिए अनुरोध किया है।
आयोग को अखिल भारतीय छात्र संघ (AISU) सदस्य नवनीत सिंह की ओर से केंद्रीकृत लोक शिकायत निवारण और निगरानी प्रणाली (CPGRAMS) पर एक शिकायत मिली है। इसमें कहा गया है कि साल में दो बार नीट यूजी कराने से कैंडिडेट्स को बड़ी राहत मिलेगी। अगर उम्मीदवारों को पहले प्रयास में मेडिकल सीट नहीं मिलती है तो उनके पास कोशिश करने का एक और मौका होगा। यह छात्रों को पूरे एक साल तक प्रतीक्षा करने से बचाएगा। एनसीपीसीआर के अध्यक्ष प्रियांक कानूनगो के निजी सचिव धर्मेंद्र भंडारी एनटीए से इस संबंध में उपयुक्त कदम उठाने और नवनीत सिंह को इसकी सूचना देने के लिए कहा है।
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NEET UG से छात्रों और परिजनों पर भारी दबाव
AISU ने NEET UG उम्मीदवारों और उनके माता-पिता की ओर से राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (NMC), केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय और केंद्रीय स्वास्थ्य को एक अभ्यावेदन भेजा है जिसमें उनसे अनुरोध किया गया है कि वे वर्ष में दो बार NEET UG की परीक्षा आयोजित करने के लिए उपयुक्त कदम उठाएं।
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40 से 50 दिन के अंतर पर दो बार हो नीट यूजी
NTA भारत में 645 मेडिकल, 318 डेंटल, 914 आयुष, और 47 BVSc और AH कॉलेजों में प्रवेश के लिए हर साल 13 भाषाओं में एकल राष्ट्रीय स्तर की नीट यूजी की प्रवेश परीक्षा कराती है। इस बार भी 7 मई को 20 लाख से अधिक स्टूडेंट्स ने नीट यूजी की परीक्षा दी थी। एआईएसयू का कहना है कि नीट यूजी की परीक्षा 40 से 50 दिनों के अंतर में दो कराया जाए तो स्टूडेंट्स पर बोझ भी कम पड़ेगा और ईयर ड्रॉप की समस्या भी खत्म हो जाएगी।