पढ़ाई के लिए हो या ड्रीम कार के लिए पर्सनल लोन लेने से पहले जानें क्या है Key Fact Statement?

Published : Oct 06, 2025, 01:05 PM IST
Personal Loan Key Fact Statement

सार

Personal Loan KFS Benefits: आजकल Personal Loan लेना आसान है, लेकिन लोन डॉक्यूमेंट्स में लिखी जटिल शर्तों को समझना मुश्किल होता है। ऐसे में Key Fact Statement (KFS) काम आता है। यह क्या है, इसके फायदे और पढ़ना क्यों जरूरी जानिए?

Personal Loan Key Fact Statement: आजकल पर्सनल लोन लेना आम बात हो गई है। एजुकेशन से लेकर घर बनाने, जमीन खरीदने, ड्रीम कार लेने जैसे कामों के लिए लोग अक्सर पर्सनल लोन लेते हैं। लेकिन अक्सर लोग लोन के डॉक्यूमेंट्स में लिखे जटिल शब्दों और शर्तों समझ नहीं पाते। कई बार यही चीज उन्हें बाद में सरदर्द दे देती है, क्योंकि लोन के असली खर्च और शर्तें ठीक से समझ नहीं आतीं। इसी समस्या को देखते हुए बैंक और लेंडर्स ने की-फैक्ट स्टेटमेंट (KFS) पेश किया है। यह एक छोटा, आसान और समझने में सरल डॉक्यूमेंट होता है, जो लोन लेने से पहले ग्राहक को प्रदान किया जाता है। इसका मकसद यह सुनिश्चित करना है कि लोन लेने वाले व्यक्ति को सभी जरूरी जानकारियां स्पष्ट रूप से समझ में आएं, ताकि वह सोच-समझकर डॉक्यूमेंट पर साइन करे।

क्या है Key Fact Statement ?

Key Fact Statement एक संक्षिप्त और आसान डॉक्यूमेंट होता है, जिसमें लोन की मुख्य बातें साफ-साफ लिखी होती हैं। इसमें आम तौर पर ये जानकारियां शामिल होती हैं-

  • लोन की राशि (Loan Amount)
  • ब्याज दर (Interest Rate)
  • लोन की अवधि और EMI शेड्यूल (Loan Term and EMI Schedule)
  • प्रोसेसिंग फीस और अन्य चार्जेज (Processing Fees and Service Charges)
  • प्रीपेमेंट या फॉरक्लोजर चार्जेज (Prepayment, Foreclosure Charges)
  • लेट पेमेंट या मिस्ड EMI पर लगने वाले पेनल्टी (Late Payment Penalties)

ये भी पढ़ें- CBSE सिंगल गर्ल चाइल्ड स्कॉलरशिप 2025: 23 अक्टूबर तक आवेदन का मौका, जानिए कौन सी छात्राएं हैं पात्र

KFS से Borrowers को क्या फायदा होता है?

पूरा पारदर्शिता (Transparency): इसमें एनुअल परसेंटज रेट (APR) भी दिखाया जाता है, जिससे लोन का असली खर्च (Interest + सभी चार्जेज) स्पष्ट हो जाता है।

छिपे हुए खर्चों से बचाव (No Hidden Costs): लेट फीस, फाइन या अन्य शर्तें पहले से ही बताई जाती हैं, ताकि बाद में कोई सरप्राइज न हो।

आसान तुलना (Better Comparability): अलग-अलग बैंक या लेंडर्स के लोन ऑफर की तुलना करना आसान हो जाता है।

कानूनी सुरक्षा (Legal Protection): यह एक लिखित डॉक्यूमेंट होता है, जिससे भविष्य में किसी भी विवाद की संभावना कम हो जाती है।

पर्सनल लोन लेते समय की-फैक्ट स्टेटमेंट ध्यान से पढ़ना क्यों जरूरी है?

Key Fact Statement न केवल लोन प्रक्रिया में पारदर्शिता लाता है, बल्कि जिम्मेदार उधारी और लेंडिंग को भी बढ़ावा देता है। यह बैंक या लेंडर को मजबूर करता है कि वह शर्तों को साफ-साफ बताए। इससे ग्राहक को पता होता है कि वह किस चीज पर साइन कर रहा है। इसके अलावा, यह बैंक और ग्राहक के बीच विश्वास भी मजबूत करता है। जब सब कुछ स्पष्ट और लिखित रूप में हो, तो धोखाधड़ी और गलतफहमियों की संभावना कम हो जाती है।

ये भी पढ़ें- SBI Scholarship 2025: स्कूल और कॉलेज छात्रों के लिए 20 लाख तक की स्कॉलरशिप, आवेदन 15 नवंबर तक

PREV
AT
About the Author

Anita Tanvi

अनीता तन्वी। मीडिया जगत में 15 साल से ज्यादा का अनुभव। मौजूदा समय में ये एशियानेट न्यूज हिंदी के साथ जुड़कर एजुकेशन सेगमेंट संभाल रही हैं। इन्होंने जुलाई 2010 में मीडिया इंडस्ट्री में कदम रखा और अपने करियर की शुरुआत प्रभात खबर से की। पहले 6 सालों में, प्रभात खबर, न्यूज विंग और दैनिक भास्कर जैसे प्रमुख प्रिंट मीडिया संस्थानों में राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय, ह्यूमन एंगल और फीचर रिपोर्टिंग पर काम किया। इसके बाद, डिजिटल मीडिया की दिशा में कदम बढ़ाया। इन्हें प्रभात खबर.कॉम में एजुकेशन-जॉब/करियर सेक्शन के साथ-साथ, लाइफस्टाइल, हेल्थ और रीलिजन सेक्शन को भी लीड करने का अनुभव है। इसके अलावा, फोकस और हमारा टीवी चैनलों में इंटरव्यू और न्यूज एंकर के तौर पर भी काम किया है।Read More...
Read more Articles on

Recommended Stories

कौन थी सिमोन टाटा? जानिए रतन टाटा की सौतेली मां की शानदार उपलब्धियां
BPSC AEDO Salary: बिहार असिस्टेंट एजुकेशन डेवलपमेंट ऑफिसर को कितनी सैलरी मिलेगी?