Shibu Soren Education: कितने पढ़े-लिखे थे शिबू सोरेन, जानिए किसने दिया दिशोम गुरु नाम

Published : Aug 04, 2025, 01:43 PM ISTUpdated : Aug 04, 2025, 01:46 PM IST
Shibu Soren Education

सार

Shibu Soren Education: झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और JMM संस्थापक शिबू सोरेन का 81 साल की उम्र में निधन हो गया। जानिए 'गुरुजी' के नाम से मशहूर शिबू सोरेन कितने पढ़े-लिखे थे। कैसे कहलाए दिशोम गुरु।

Shibu Soren Education in Hindi: झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन अब इस दुनिया में नहीं रहे। 81 साल की उम्र में उन्होंने दिल्ली के सर गंगा राम अस्पताल में अंतिम सांस ली। लंबे समय से वे किडनी से जुड़ी गंभीर बीमारी से जूझ रहे थे और वेंटिलेटर पर थे। उनके निधन की खबर से झारखंड में शोक की लहर दौड़ गई। राज्य के मुख्यमंत्री और उनके बेटे हेमंत सोरेन ने सोशल मीडिया पर दुख भरे शब्दों में यह जानकारी दी। बता दें कि शिबू सोरेन झारखंड की राजनीति को नई दिशा देने वाले, आदिवासी चेतना को आंदोलन में बदलने वाले राजनेता थे। जानिए शिबू सोरेन कितने पढ़े लिखे थे और कैसे बने दिशोम गुरु?

शिबू सोरेन कितने पढ़े-लिखे थे?

शिबू सोरेन ने मैट्रिक यानी 10वीं तक पढ़ाई की थी। उन्होंने हजारीबाग जिले के गोला हाई स्कूल से पढ़ाई की थी। उनके दौर में खासकर आदिवासी समाज में शिक्षा के अवसर बेहद सीमित थे, लेकिन इसके बावजूद उन्होंने समाज में बदलाव की शुरुआत खुद से की। कम पढ़ाई के बावजूद उनकी राजनीतिक समझ, लोगों से जुड़ने की क्षमता और नेतृत्व का तरीका इतना प्रभावशाली था कि वे तीन बार झारखंड के मुख्यमंत्री और कई बार केंद्र सरकार में मंत्री भी बने।

कैसे हुई थी शिबू सोरेन के सामाजिक संघर्ष की शुरुआत?

शिबू सोरेन जब 13 साल के थे, 27 नवंबर 1957 को उनके पिता सोबरन मांझी की हत्या कर दी गई। वे शिकारी थे और महाजनों के शोषण के खिलाफ आवाज उठाते थे। पिता की हत्या ने शिबू सोरेन को झकझोर दिया। पढ़ाई से मन हट गया और वे आंदोलन की राह पर चल पड़े। हजारीबाग में फॉरवर्ड ब्लॉक नेता लाल केदारनाथ सिन्हा से जुड़कर उन्होंने महाजनी शोषण के खिलाफ आदिवासियों को एकजुट करना शुरू किया।

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शिबू सोरेन को किसने दिया दिशोम गुरु नाम?

शिबू सोरेन को झारखंड में सिर्फ एक राजनेता नहीं बल्कि एक भावनात्मक पहचान माना जाता है। उन्होंने आदिवासियों के अधिकार, जमीन और पहचान के लिए दशकों तक लड़ाई लड़ी। झारखंड को बिहार से अलग राज्य बनाने के आंदोलन की अगुवाई करने वाले गिने-चुने नेताओं में वे शामिल थे। 1960 के दशक में उन्होंने धनकटनी आंदोलन की शुरुआत की, जो महाजनों द्वारा आदिवासियों की फसल का जबरन हिस्सा लेने के विरोध में था। शिबू सोरेन गांव-गांव मोटरसाइकिल पर घूमे, लोगों को उनके अधिकारों के लिए जगाया और आदिवासी चेतना को संगठित किया। जिसके बाद संथाल समुदाय ने उन्हें 'दिशोम गुरु' का खिताब दिया।

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Anita Tanvi

अनीता तन्वी। मीडिया जगत में 15 साल से ज्यादा का अनुभव। मौजूदा समय में ये एशियानेट न्यूज हिंदी के साथ जुड़कर एजुकेशन सेगमेंट संभाल रही हैं। इन्होंने जुलाई 2010 में मीडिया इंडस्ट्री में कदम रखा और अपने करियर की शुरुआत प्रभात खबर से की। पहले 6 सालों में, प्रभात खबर, न्यूज विंग और दैनिक भास्कर जैसे प्रमुख प्रिंट मीडिया संस्थानों में राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय, ह्यूमन एंगल और फीचर रिपोर्टिंग पर काम किया। इसके बाद, डिजिटल मीडिया की दिशा में कदम बढ़ाया। इन्हें प्रभात खबर.कॉम में एजुकेशन-जॉब/करियर सेक्शन के साथ-साथ, लाइफस्टाइल, हेल्थ और रीलिजन सेक्शन को भी लीड करने का अनुभव है। इसके अलावा, फोकस और हमारा टीवी चैनलों में इंटरव्यू और न्यूज एंकर के तौर पर भी काम किया है।Read More...
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