
Friendship Day 2025 Inspiring Story: दोस्ती सिर्फ साथ वक्त बिताने का नाम नहीं होती, बल्कि साथ सपने देखने और उन्हें पूरा करने का हौसला भी देती है। फ्रेंडशिप डे 2025 के खास मौके पर मिलिए तीन ऐसे दोस्तों से, जिन्होंने न सिर्फ एक-दूसरे का साथ दिया, बल्कि एक-दूसरे को मोटिवेट करते हुए देश की सबसे कठिन परीक्षा UPSC को भी एक साथ पार किया। ये कहानी है IPS साद मियां खान, IAS विशाल मिश्रा और IAS गौरव विजयराम की। तीनों की यह जर्नी सिर्फ मेहनत की नहीं, बल्कि गहरी दोस्ती, आपसी समझ और मजबूत इरादों की मिसाल है। जानिए कैसे तीन अलग-अलग जगहों से आए ये दोस्त एक-दूसरे की ताकत बने और 2017 में UPSC की परीक्षा पास कर तीनों एक साथ अफसर बन गए।
साद मियां खान उत्तर प्रदेश के बिजनौर के रहने वाले हैं। बीटेक करने के लिए उन्होंने HBTU कानपुर में एडमिशन लिया, जहां उनकी मुलाकात विशाल मिश्रा से हुई। दोनों ने साथ में बीटेक किया और फिर IIT कानपुर से M.Tech की डिग्री हासिल करने के लिए साथ में एडमिशन लिया। इसी दौरान साद मियां ने UPSC की तैयारी शुरू कर दी।
M.Tech के बाद UPSC की तैयारी के लिए साद मियां खान और विशाल मिश्रा दोनों दिल्ली शिफ्ट हो गए। यहीं इनकी मुलाकात हुई गौरव विजयराम से। तीनों के विचार मिले और जल्द तीनों गहरे दोस्त बन गए। अब तीनों का एक ही सपना था सिविल सर्विस में जाना।
साद मियां ने 2013 में पहली बार UPSC का एग्जाम दिया, लेकिन सफलता हाथ नहीं लगी। लगातार मेहनत जारी रही और 2017 में पांचवें प्रयास में उन्होंने ऑल इंडिया 25वीं रैंक हासिल की। साद ने जानबूझकर IAS की बजाय IPS चुना, क्योंकि उन्हें कानून-व्यवस्था के क्षेत्र में काम करना था।
गौरव विजयराम के लिए भी UPSC की राह आसान नहीं रही। उनके पहले दो प्रयास असफल रहे। एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया कि शुरू में उन्होंने ठीक से तैयारी नहीं की थी। लेकिन चौथे प्रयास में 34वीं रैंक लाकर उन्होंने सभी को चौंका दिया।
विशाल मिश्रा, जो उत्तराखंड से हैं, ने IIT कानपुर से M.Tech के बाद UPSC की तैयारी शुरू की। लगातार मेहनत और स्मार्ट स्ट्रैटेजी की बदौलत उन्होंने 2017 में 49वीं रैंक के साथ UPSC क्लियर किया और IAS अफसर बने।
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इस कहानी की सबसे खूबसूरत बात यह है कि ये तीनों दोस्त एक-दूसरे के मोटिवेशन बनें। उन्होंने एक-दूसरे को गिरने नहीं दिया, हर बार संभाला और आगे बढ़ने में मदद की। UPSC जैसी कठिन परीक्षा को पार करने के पीछे इनकी गहरी दोस्ती और एक-दूसरे के लिए विश्वास ही सबसे बड़ा कारण बना। फ्रेंडशिप डे 2025 पर ये कहानी हमें सिखाती है कि अगर साथ में चलने वाले दोस्त सच्चे हों, तो कोई भी मंजिल दूर नहीं होती।
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