
Pawan Kumar Chandana and Naga Bharath Daka: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हैदराबाद में देश की सबसे बड़ी प्राइवेट रॉकेट फैक्ट्री स्काईरूट एयरोस्पेस के इनफिनिटी कैंपस का उद्घाटन किया। इस मौके पर उन्होंने दो युवा पवन कुमार चंदना और नागा भरत डाका का नाम लिया। दोनों को बधाई देते हुए तारीफ की। पीएम मोदी ने कहा कि आप दोनों नौजवान देश के अनेक यंग स्पेस एंटरप्रेन्योर और हर युवा के लिए बहुत बड़ी प्ररेणा हैं। आप दोनों ने खुद पर भरोसा किया, रिस्क उठाने में पीछे नहीं रहे और आज इसका परिणाम पूरा देश देख रहा है और आप पर गर्व कर रहा है। जानिए कौन हैं पवन कुमार चंदना और नागा भरत डाका।
पवन कुमार चंदना युवा वैज्ञानिक हैं। उन्होंने इसरो में GSLV Mk-III व S-200 बूस्टर जैसे बड़े मिशनों में छह साल तक साइंटिस्ट के तौर पर काम किया। बाद में इसरो छोड़ कर स्काईरूट की शुरुआत की और भारत का पहला निजी रॉकेट विक्रम-एस लॉन्च कर इतिहास रचा।
पवन कुमार चंदना ने आईआईटी खड़गपुर से मैकेनिकल इंजीनियरिंग और थर्मल साइंस में डुअल डिग्री हासिल की है। पढ़ाई के दौरान ही उनका झुकाव रॉकेट इंजीनियरिंग की तरफ बढ़ गया था।
पवन कुमार चंदना ने पढ़ाई पूरी करने के बाद युवा वैज्ञानिक के रूप में इसरो ज्वाइन किया। उन्होंने ISRO के विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर में 6 साल तक काम किया। यहां उन्होंने GSLV Mk-III (भारत का सबसे बड़ा रॉकेट), S-200 बूस्टर (दुनिया के सबसे बड़े सॉलिड बूस्टरों में एक) जैसे महत्वपूर्ण मिशनों पर काम किया। उनके इनोवेशन के लिए उन्हें दो इनोवेशन अवॉर्ड भी मिले।
ISRO जैसे सुरक्षित और प्रतिष्ठित संस्थान की नौकरी छोड़कर पवन कुमार चंदना ने 2018 में अपना स्टार्टअप Skyroot शुरू किया। यह बहुत बड़ा रिस्क था, लेकिन उन्हें अपने आइडिया और भारत के प्राइवेट स्पेस सेक्टर के भविष्य पर भरोसा था।
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पवन कुमार चंदना की टीम ने 2022 में Vikram-S रॉकेट लॉन्च किया, जिससे Skyroot पहला भारतीय स्टार्टअप बना जिसने अंतरिक्ष में रॉकेट भेजा। आज वे Skyroot Aerospace के CEO हैं और भारत के रॉकेट मैन्युफैक्चरिंग में सफलता की मिसाल बन गए हैं।
नागा भरत डाका भी इसरो में फ्लाइट कंप्यूटर इंजीनियर रहे हैं। वह रॉकेट के नेविगेशन, कंट्रोल और गाइडेंस सिस्टम बनाने में एक्सपर्ट हैं और अब स्काईरूट में अवियोनिक्स व GNC टीम को लीड करते हैं।
नागा भरत डाका आईआईटी मद्रास से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग और माइक्रोइलेक्ट्रॉनिक्स में डुअल डिग्री हासिल कर चुके हैं। पढ़ाई के दौरान ही उनके अंदर रॉकेट्स के उड़ान नियंत्रण और इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम में गहरी रुचि विकसित हुई।
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नागा भरत डाका ने आईआईटी से इंजीनियरिंग की डिग्री लेने के बाद इसरो ज्वाइन किया। ISRO के VSSC में उन्होंने फ्लाइट कंप्यूटर इंजीनियर के रूप में काम किया। यह भूमिका बेहद महत्वपूर्ण होती है, क्योंकि एक रॉकेट की दिशा, ऊंचाई, गति, गाइडेंस सिस्टम सब इसी तकनीक से नियंत्रित होते हैं। इसरो में नागा भरत डाका ने कई भारतीय लॉन्च व्हीकल्स के लिए हार्डवेयर और फर्मवेयर डिजाइन किए।
नागा भरत डाका FPGA टेक्निक में एक्सपर्ट हैं, जो हर स्पेस और डिफेंस मिशन में जरूरी होती है। उन्होंने भी बाद में इसरो की नौकरी छोड़ दी। आज वे स्काईरूट में ऑपरेशन्स, एवियोनिक्स और GNC टीम को लीड करते हैं, सीधे शब्दों में कहें, तो रॉकेट की ब्रेन टेक्नोलॉजी उनके हाथों में होती है।