कई बार असफलता भी सफलता के लिए बड़ी प्रेरणा बन जाती है। कुछ लोग ऐसे होते हैं जो किसी हार के बाद हौसला खो देते हैं, वहीं कुछ उसे चुनौती के रूप में लेते हैं और सफल होकर दूसरों के लिए भी प्रेरणा के स्रोत बन जाते हैं।
करियर डेस्क। कई बार असफलता भी सफलता के लिए बड़ी प्रेरणा बन जाती है। कुछ लोग ऐसे होते हैं जो किसी हार के बाद हौसला खो देते हैं, वहीं कुछ उसे चुनौती के रूप में लेते हैं और सफल होकर दूसरों के लिए भी प्रेरणा के स्रोत बन जाते हैं। यूपीएससी एग्जामिनेशन में सफल होकर आईएएस अधिकारी बनने वाली रुक्मणि रियार की कहानी भी कुछ ऐसी ही है।
छठी कक्षा में हो गई थी फेल
पंजाब के होशियारपुर की रहने वाली रुक्मणि के पिता बलजिंदर सिंह रिटायर्ड टिप्टी डिस्ट्रिक्ट अटॉर्नी हैं। रुक्मणि को कम उम्र में ही बोर्डिंग स्कूल में भेज दिया गया था। भरे-पुरे परिवार में रहने वाली रुक्मणि का मन बोर्डिंग स्कूल में नहीं लगता था। इसलिए वह पढ़ाई में पिछड़ने लगी और छठी कक्षा में फेल हो गई। फेल हो जाने के बाद वह बहुत निराश हो गई और डिप्रेशन के दौर से गुजरने लगी। इस दौरान वह अपने शिक्षकों और परिवार के लोगों से भी मिलना पसंद नहीं करती थी।
आखिर निकली इस दौर से
काफी समय तक लोगों से अलग-थलग रहने के बाद रुक्मणि को लगा कि इस तरह उनकी जिंदगी बर्बाद हो जाएगी। उनकी हालत को देख कर परिवार के लोग भी चिंतित रहा करते थे। रुक्मणि ने अपनी मानसिकता में बदलाव लाने की कोशिश की और सेल्फ कॉन्फिडेंस को मजबूत किया। इसके बाद वे पढ़ाई में सफलता की सीढ़ियां चढ़ती चली गईं।
टाटा इंस्टीट्यूट में लिया एडमिशन
ग्रैजुएशन करने के बाद रुक्मणि ने टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेस में एडमिशन लिया और वहां से मास्टर्स की डिग्री ली। इसके बाद उन्होंने कुछ स्वयंसेवी संस्थाओं से जुड़ कर भी काम किया। एनजीओ में काम करने के दौरान उन्हें महसूस हुआ कि आईएएस अधिकारी बन कर वह कहीं बेहतर ढंग से समाज की सेवा कर सकती हैं। इसके बाद उन्होंने यूपीएससी एग्जाम की तैयारी शुरू कर दी।
पहले प्रयास में ही मिली सफलता
खास बात है कि यूपीएससी एग्जाम की तैयारी के लिए उन्होंने कोई कोचिंग नहीं ली। उन्होंने खुद ही सभी विषयों का अध्ययन करना शुरू कर दिया। वह दिन-रात तैयारी में लग गईं। अलग-अलग टॉपिक्स पर नोट बना कर उन्होंने पढ़ाई शुरू की। रुक्मणि कहती हैं कि उन्होंने किसी भी विषय की मूलभूत अवधारणाओं को समझने का प्रयास किया, क्योंकि यूपीएससी एग्जाम में विश्लेषण पर ज्यादा जोर दिया जाता है। इसका परिणाम हुआ कि 2011 में पहले ही प्रयास में उन्हें यूपीएससी में सफलता मिली और वे आईएएस अधिकारी बन गईं।