ग्रामीण क्षेत्रों में कार्य करने पर अतिरिक्त अंक मिलते हैं और जिसके आधार पर उनका दाखिला पीजी कोर्स में आसानी से हो जाता है। उन्होंने कहा कि इसलिए शर्त रखी गई है कि जब वह पीजी करके लौटें तो जनता की सेवा करें और सरकारी विभाग में दस वर्ष तक अपनी सेवा अनवरत जारी रखें।
करियर डेस्क. उत्तर प्रदेश सरकार ने पुराने शासनादेशों के हवाले से प्रांतीय चिकित्सा स्वास्थ्य सेवा संवर्ग (PMHS cadre) के एमबीबीएस (MBBS) डिग्री धारक चिकित्सकों को याद दिलाया है कि उनको स्नातकोत्तर पूरा करने के बाद विभाग में दस साल तक सेवा देनी होगी। अगर वह ऐसा नहीं करते हैं तो उन्हें 1 करोड़ रुपये का जुर्माना भरना पड़ेगा।
अप्रैल 2017 में जारी हुआ शासनादेश
अपर मुख्य सचिव स्वास्थ्य अमित मोहन प्रसाद ने शनिवार को बताया कि यह पुरानी व्यवस्था है और यह शासनादेश तीन अप्रैल 2017 में जारी किया गया था। इसमें पहले से यह व्यवस्था रही है कि जो पीएमएचएस के डॉक्टर हैं उन्हें पीजी करने के लिए विशेष अंक दिये जाते हैं। जब वह ग्रामीण क्षेत्रों में कार्य करते हैं तो उन्हें अतिरिक्त अंक मिलते हैं और जिसके आधार पर उनका दाखिला पीजी कोर्स में आसानी से हो जाता है।
उन्होंने कहा कि इसलिए शर्त रखी गई है कि जब वह पीजी करके लौटें तो जनता की सेवा करें और सरकारी विभाग में दस वर्ष तक अपनी सेवा अनवरत जारी रखें।
प्रसाद ने नौ दिसंबर को इस सिलसिले में महानिदेशक चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाएं को पत्र भेजकर वर्ष 2013 और वर्ष 2017 में जारी शासनादेशों का जिक्र करते हुए सेवा छोड़ने की दशा में एक करोड़ रुपये जुर्माना अदा करने की याद दिलाई।
मेडिकल कोर्स बीच में छोड़ने पर होगा ये
उन्होंने कहा कि यदि कोई चिकित्साधिकारी स्नातकोत्तर (पीजी) मेडिकल कोर्स अध्ययन बीच में ही छोड़ देता है तो उसे अगले तीन वर्षों के लिए पीजी डिग्री कोर्स में प्रवेश से रोक दिया जाएगा।