23 साल की उम्र में क्रैक किया IAS का एग्जाम, सामने आया IIT ग्रैजुएट का सक्सेस 'सीक्रेट'

कुछ लोग अपने लक्ष्य को हासिल करने के लिए इतने समर्पित होते हैं कि सफलता उनके कदम चूमती है। 23 साल के इस आईआईटी ग्रैजुएट की कहानी भी कुछ ऐसी ही है, जिसने दूसरे प्रयास में ही सिविल सर्विसेस एग्जाम में दूसरा रैंक हासिल किया। 

Asianet News Hindi | Published : Oct 14, 2019 4:54 AM IST / Updated: Oct 14 2019, 10:29 AM IST

करियर डेस्क। कुछ लोग अपने लक्ष्य को हासिल करने के लिए इतने समर्पित होते हैं कि सफलता उनके कदम चूमती है। 23 साल के इस आईआईटी ग्रैजुएट की कहानी भी कुछ ऐसी ही है, जिसने दूसरे प्रयास में ही सिविल सर्विसेस एग्जाम में दूसरा रैंक हासिल किया। सिविल सर्विसेस एग्जाम, 2018 में यह सफलता पाने वाले जयपुर के अक्षत जैन आज उन सबके लिए प्रेरणा के स्रोत बन गए हैं जो कॉम्पिटिटीव एग्जाम्स की तैयारी कर रहे हैं। इतनी कम उम्र में सिविल सर्विसेस एग्जाम में ऑल इंडिया लेवल पर दूसरा रैंक हासिल कर वाकई अक्षत जैन ने एक मिसाल कायम किया है।

आईआईटी, गुवाहाटी से किया ग्रैजुएशन
अक्षत जैन ने 2017 में आईआईटी, गुवाहाटी से डिजाइनिंग में ग्रैजुएशन किया और इसके तुरंत बाद यूपीएससी सिविल सर्विसेस की परीक्षा में शामिल हुए। पहले प्रयास में महज दो अंकों से वह प्रिलिम्स एग्जाम क्वालिफाई नहीं कर पाए, लेकिन दूसरे प्रयास में उन्होंने सफलता का झंडा गाड़ दिया। 

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एक साल तक की तैयारी
पहली बार अक्षत ने सिर्फ 3 महीने ही परीक्षा की तैयारी में लगाए थे जो बहुत कम था। इतने कम समय में सिविल सर्विसेस एग्जाम के सिलेबस को कवर कर पाना मुश्किल था। पहले प्रयास में असफल होने के बाद अक्षत ने तैयारी में पूरा समय देने का निश्चय किया और एक साल तक लगातार इस परीक्षा की तैयारी की। 

क्या अपनाई स्ट्रैटजी
अपनी तैयारी की स्ट्रैटजी के बारे में अक्षत कहते हैं कि हर टॉपिक पर शॉर्ट नोट बनाना ठीक रहता है। इसे आसानी से समझा जा सकता है और लंबे समय तक याद भी रखा जा सकता है। उन्होंने कहा कि रोज हर टॉपिक का रिवीजन करने से भी काफी फायदा होता है। अक्षत जैन के अनुसार तैयारी के लिए सिलेबस को बार-बार देखना और समझना बहुत जरूरी है। इसके साथ ही, पढ़ाई के सोर्सेस को लिमिटेड रखना चाहिए। ज्यादा सामग्री में उलझने से कोई फायदा नहीं होता। उन्होंने यह भी कहा कि सिविल सर्विसेस एग्जाम के लिए एनसीईआरटी की किताबें पढ़ना जरूरी है। न्यूजपेपर के बारे में उनका कहना था कि कोई एक ही अखबार पढ़ना चाहिए, जिससे रोज-ब-रोज होने वाले घटना क्रम की जानकारी मिल जाए। कई अखबारों को पढ़ने का कोई खास फायदा नहीं।   
  

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