जस्टिस बोब्डे हैं अब भारत के नए CJI, अयोध्या मामले की कर चुके हैं सुनवाई

जस्टिस बोब्डे ने अपने करियर में कई उल्लेखनीय निर्णय लिए हैं जिनमें आधार पर फैसले से लेकर राजधानी में पटाखा बैन तक शामिल हैं। 

नई दिल्ली. राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने आज न्यायमूर्ति शरद अरविंद बोब्डे को भारत का अगला मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया। जस्टिस रंजन गोगोई की रिटायरमेंट के बाद जस्टिस बोबड़े 18 नवंबर को शपथ लेंगे। हम अगले सुप्रीम कोर्ट जस्टिस के बारें में कुछ अनसुनी बातें बताने जा रहे हैं।

न्यायमूर्ति शरद अरविंद बोब्डे मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायधीश हैं। उनका जन्म 24 अप्रैल, 1956 को नागपुर में हुआ है। इस समय उनकी उम्र 63 साल है। वकालत उन्हें विरासत में मिली है उनके दादा एक वकील थे, उनके पिता अरविंद बोब्डे महाराष्ट्र में साल 1980 से 1985 तक जनरल एडवोकेट रहे। उनके बड़े भाई स्वर्गीय विनोद अरविंद बोब्डे सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील और संवैधानिक विशेषज्ञ थे।

Latest Videos

न्यायमूर्ति शरद बोब्डे करियर

न्यायमूर्ति शरद अरविंद बोब्डे नागपुर विश्वविद्यालय से ही बी.ए. और एलएलबी किया था। करियर की बात करें तो वह 1978 में महाराष्ट्र बार काउंसिल के सदस्य बने थे। फिर करीब  21 साल तक वह बंबई हाईकोर्ट की नागपुर पीठ और सुप्रीम कोर्ट में वकालत करते रहे। 

साल 1998 में उन्होंने वरिष्ठ अधिवक्ता का पद संभाला। 29 मार्च 2000 में न्यायमूर्ति बोब्डे को बंबई हाईकोर्ट की पीठ में अतिरिक्त जज के रूप में नियुक्त किया गया। फिर 16 अक्तूबर 2012 को वह मध्य हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश नि युक्त किए गए। इसके बाद उन्होंने 12 अप्रैल 2013 में सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीश का पद संभाला। दो साल बाद 23 अप्रैल 2021 को वह सेवानिवृत्त होंगे।

जस्टिस बोब्डे ने अपने करियर में कई उल्लेखनीय निर्णय लिए हैं जैसे- 

अयोध्या: ऐतिहासिक अंतिम फैसले में दूसरे जज के रूप में बोब्डे भी शामिल रहे हैं। रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले की सुनवाई कर रही पांच जजों की पीठ में जस्टिस एस. एस बोब्डे भी शामिल हैं। इस मामले की सुनवाई पूरी हो गई है और फैसला आना बाकी है।

आधार: सुप्रीम कोर्ट के द्वारा आधार कार्ड को लेकर दिए गए आदेश में जस्टिस एस. एस. बोब्डे भी शामिल थे। सुप्रीम कोर्ट ने अपनी एक टिप्पणी में कहा था कि आधार कार्ड के बिना कोई भी भारतीय मूल सुविधाओं से वंचित नहीं रह सकता है।

यौन शोषण मामला: मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई के खिलाफ जो यौन उत्पीड़न का मामला सामने आया था, उसकी जांच सुप्रीम कोर्ट के ही तीन जज कर रहे थे। इस पीठ में जस्टिस एस. ए. बोब्डे, एन वी रमन और इंदिरा बनर्जी शामिल थे।

प्रो-लाइफ: एक महिला की भ्रूण हत्या याचिका याचिका खारिज कर दी जिसमें यह तथ्य दिया कि भ्रूण के जीवित रहने के चांसेज थे। 

धर्म: महादेवी की किताब पर बासवन्ना के अनुयायियों की धार्मिक भावनाओं को भड़काने के आधार पर कर्नाटक सरकार द्वारा लगाए गए प्रतिबंध को जज बोब्डे ने सही ठहराया।

पर्यावरण:  नवंबर, 2016 में तीन बच्चों के द्वारा याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-NCR में पटाखों की बिक्री पर रोक लगाई थी, इस फैसले में जस्टिस एस. ए. बोब्डे भी शामिल थे।

Share this article
click me!

Latest Videos

आसान है पुरानी कार पर GST का नया नियम, यहां समझें हर एक बात । Nirmala Sitharaman । GST on Cars
'ईश्वर-अल्लाह तेरो नाम...' सुनते ही पटना में बवाल, सिंगर को मांगनी पड़ी माफी । Atal Jayanti Program
Kota में पति की Retirement Party में पत्नी को आया Heart Attack, रुला देगी ये कहानी
CM भजनलाल शर्मा की पत्नी और बेटे करते दिखे दंडवत परिक्रमा, 16 सालों से चल रहा है सिलसिला
AAP vs Congress : कांग्रेस के पास सिर्फ 24 घंटे, आप ने दी नई टेंशन #Shorts