जानें कितनी पढ़ी-लिखी हैं ब्रिटेन की नई पीएम Liz Truss, कॉलेज में स्टूडेंट पॉलिटिक्स में एक्टिव रहीं

लिज़ ट्रस ने भारतीय मूल के ऋषि सुनक को हराते हुए बिट्रेन की अगली पीएम को रुप में चुन ली गई हैं. कंजरवेटिव पार्टी के सदस्यों ने उन्हें अपने नेता और यूके का नया प्रधानमंत्री चुना है। वे 47 साल की हैं और पार्षद से यहां तक की जर्नी पूरी की हैं।

Asianet News Hindi | Published : Sep 5, 2022 1:15 PM IST / Updated: Sep 05 2022, 07:03 PM IST

करियर डेस्क : ब्रिटेन (Britain) को नई प्रधानमंत्री मिल गई हैं.  लिज़ ट्रस  (Liz Truss) इंग्लैंड की 56वीं प्रधानमंत्री होंगी. वह प्रधानमंत्री बनने वाली तीसरी महिला हैं. उनसे पहले मार्गरेट थैचर और थेरेसा पीएम रह चुकी हैं। वे भी कंजर्वेटिव पार्टी की ही नेता थीं। लिज ट्रस की उम्र 47 साल है. उनकी स्कूलिंग सरकारी स्कूल से हुई है। उनके पिता मैथ्य के प्रोफेसर और मां एक नर्स थीं। आइए जानते हैं कितनी पढ़ी लिखी हैं ब्रिटेन के नई पीएम, कैसा रहा अब तक का सफर...

लिज़ ट्रस का एजुकेशन
मैरी एलिजाबेथ ट्रस यानी लिज ट्रस का जन्म 26 जुलाई 1975 को इंग्लैंड के ऑक्सफोर्ड में हुआ था। जब लिज चार साल की थीं, तब उनकी फैमिली स्कॉटलैंड में शिफ्ट हो गई थी. उनकी स्कूलिंग ग्लासगो और लीड्स से हुई। कुछ साल वहां रहने के बाद कनाडा चली गईं और 1996 में ट्रस ने मेर्टन कॉलेज, ऑक्सफोर्ड से फिलॉस्फी, पॉलिटिक्स और इकोनॉमिक्स से हायर एजुकेशन में डिग्री हासिल की. कॉलेज लाइफ से ही वे स्टूडेंट्स पॉलिटिक्स का हिस्सा रहीं। पढ़ाई कंप्लीट हुई तो कुछ समय तक अकाउंटेंट के तौर पर जॉब कीं। इसके बाद पॉलिटिक्स जॉइन कर लीं।

कॉलेज में लिबरल डेमोक्रेट्स पार्टी का समर्थन
जब लिस मेर्टन कॉलेज में पढ़ रही थीं, तब वे लिबरल डेमोक्रेट्स पार्टी का प्रचार करती थीं। ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में तो लिबरल डेमोक्रेट्स की प्रेसीडेंट भी थीं. यूथ एंड स्टूडेंट्स की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की मेंबर के तौर पर भी सक्रिय रहीं। जब उनका ग्रेजुएशन खत्म होने को था, तब साल 1996 में डेमोक्रेट्स को बाय-बाय कह कंजरवेटिव पार्टी में शामिल हो गईं और तब से इसी पार्टी में हैं।

अकाउंटेंट से पीएम तक का सफर
कॉलेज की पढ़ाई पूरी करने के बाद लिज चाल साल तक 1996 से 2000 के बीच शेल में अकाउंटेंट की जॉब कीं। कुछ दिन ब्रिटेन की टेलीकम्युनिकेशन कंपनी केबिल एंड वायरलेस में भी नौकरी की। यहां उन्होंने इकनॉमिक डायरेक्टर का पद भी संभाला लेकिन साल 2005 में कंपनी छोड़ पॉलिटिक्स में एंट्री कर ली। 1998 और 2002 में ग्रीनविच लंदन बोरो काउंसिल इलेक्शन के मैदान में उतरीं और हार का सामना करना पड़ा। साल 2006 को उन्होंने पहली बार पार्षद का चुनाव जीता और चार साल बाद 2010 में पहली बार सांसद का चुनाव जीतीं।

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