Knowledge News: क्या दिल्ली की जहरीली हवा से बचा सकता है एयर प्यूरीफायर, जानें कैसे करता है काम

दिल्ली में बढ़ रहे प्रदूषण के बीच जहां स्कूल-कॉलेज बंद कर दिए गए हैं। ऑनलाइन क्लासेस चलने वाली हैं। दफ्तरों में वर्क फ्रॉम होम किया जा रहा है। वहीं, प्यूरीफायर की मांग भी बढ़ गई है। सबसे बड़ा जो सवाल है, वो ये कि क्या प्यूरीफायर प्रदूषण से बचा सकता है?

Asianet News Hindi | Published : Nov 4, 2022 10:55 AM IST

करियर डेस्क : दिल्ली-एनसीआर की हवा जहरीली (Delhi-NCR Air Pollution) हो गई है। आज की हालत ये है कि हवा की क्वालिटी खराब हो गई है और घर से बाहर निकलना खतरनाक माना जा रहा है। दिल्ली के अलग अलग जगहों की AQI (Air Quality Index) 400 से लेकर 700 तक पाया गया है। कहा यह भी जा रहा है कि प्रदूषित हवा किसी को भी बीमार हो सकती है। ऐसे में एयर प्यूरीफायर (Air Purifier) यानी एयर क्लीनर की डिमांड बढ़ गई है। इसका इस्तेमाल लोग घर या आसपास की दूषित हवा को शुद्ध करने के लिए कर रहे हैं। लेकिन सबसे बड़ा सवाल कि क्या एयर प्यूरीफायर ऐसे में कारगर है? अगर हां तो यह कैसे काम करता है और अगर नहीं, तो क्यों?

एयर प्यूरीफायर कितना कारगर
एयर प्यूरीफायर हानिकारक तत्वों को कम करने का काम करता है। यह अशुद्ध हवा से जो एलर्जी या अस्थमा होता है, उसे रोकने का काम करता है। यह अंदर की हवा को फिल्टर कर इसमें से दूषित पदार्थ को निकाल देता है। प्यूरीफायर सबसे पहले दूषित कणों को कैद करने के लिए किसी कमरे की पूरी हवा को खींच लेता है और फिर उसे फिल्टर करता है। इससे हवा में मौजूद दूषित कण अलग जाते हैं। प्यूरीफायर कितना काम करता है यह उसके फिल्टर करने के तरीके पर निर्भर करता है। माना जाता है कि प्यूरीफायर हवा के पर्टिकुलेट मैटर और प्नदूषण को खत्म कर देता है और उसी से हवा को साफ कर देता है।

प्यूरीफायर में फिल्टर की भूमिका
प्यूरीफायर के साथ फिल्टर लगा हुआ आता है। यह चार तरह का होता है। हेपा फिल्टर, कार्बन फिल्टर, Ionic जनरेटर और  अल्ट्रा वॉयलैट रेडिएशन। कार्बन फिल्टर और हेपा फिल्टर अंतरराष्‍ट्रीय मानक के होते हैं। इनकी खासियत यह होती है कि ये कणों के साथ-साथ बदबू को भी खत्म कर देते हैं। 

हेपा फिल्टर
यह मेकैनिकल एयर फिल्टर होता है। दूषित तत्वों को खींचकर हवा को साफ करता है। अगर हेपा फिल्टर सही है तो डस्ट पर इसकी पकड़ 99.97 प्रतिशत के बराबर होती है। बता दें कि 0.3 माइक्रॉन में डस्ट का एक कण को मापते हैं। 

Ionic फिल्टर
इस तरह का फिल्टर एयर क्लीनिंग टेक्नोलॉजी का होता है। हवा के प्रदूषित कणों को इलैक्ट्रिकल सरफेस से चलाता है। इस इतना कारगर होता है कि 0.01 माइक्रॉन छोटे कण को भी पूरी तरह खत्म कर देता है।

कार्बन फिल्टर 
इस फिल्टर को चारकोल एयर फिल्टर के नाम से भी जाना जाता है। इसमें हवा से दूषित कणों को हटाने के लिए एक्टिवेटेड कार्बन का इस्तेमाल किया जाता है। इन फिल्टर को जल्दी बदलना होता है। 

अल्ट्रा वॉयलेट रेडिएशन फिल्टर
अल्ट्रा वॉयलेट एयर फिल्टर न दिखने वाली लाइट को बाहर की तरफ छोड़ती है। ये ऐसे लाइट्स होते हैं, जो कीटाणु और वायरस पर अटैक कर हवा को साफ बनाते हैं।

कोई प्यूरीफायर कितना कारगर, यह कैसे जानें
अगर आपको जानना है कि कोई प्यूरीफायर कितना कारगर है तो आप क्लीन एयर डिलीवरी रेट पता कर सकते हैं। क्योंकि इसी से किसी प्यूरीफायर की क्षमता मापी जाती है। यह अंतरराष्ट्रीय पैमाना होता है। किसी कमरे के क्षेत्रफल के हिसाब से इसकी माप की जाती है। कमरे को साफ करने में कितना वक्त लगाते हैं, यह भी अच्छी क्वालिटी का पैमाना होता है। 

प्यूरीफायर इन खतरों को कम करता है
बीमार करने वाले बैक्टीरिया और वायरस को अंदर कैद कर बीमार होने से बचाता है।
हवा से होने वाली बीमारियां जैसे सर्दी जुकाम से शरीर की सुरक्षा करते हैं।
ऐसे लोग जिनकी इम्यूनिटी कमजोर होती है, उनके लिए प्यूरीफायर फायदेमंद माना जाता है।

नोट- ये आर्टिकल मीडिया रिपोर्ट के हवाले ले लिखी गई है। अगर आप प्यूरीफायर खरीद रहे हैं या खरीदना चाहते हैं तो किसी एक्सपर्ट से इसकी सलाह लें।

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