राष्ट्रीय शोक और राजकीय शोक में अंतर? कौन करता है इसकी घोषणा, इस दौरान क्या होता है और क्या नहीं, समझें

मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद यूपी में तीन दिन के राजकीय शोक की घोषणा की गई है। क्या आप जानते हैं कि राजकीय शोक और राष्ट्रीय शोक में क्या अंतर होता है?  यह कब और कौन घोषित कर सकता है? इस अवधि में क्या होता है और क्या नहीं?  

करियर डेस्क : समाजवादी पार्टी के संरक्षक और यूपी के पूर्व सीएम मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) का सोमवार को 82 साल की उम्र में निधन हो गया। मंगलवार को उनका पार्थिव शरीर पंचतत्व में विलीन हो गया। उनके निधन पर उत्तर प्रदेश में तीन दिन का राजकीय शोक (Rajkiya Shok) घोषित कर दिया गया है। क्या आप जानते हैं कि राजकीय शोक क्या होता है? राजकीय सम्मान (State Mourning) किसे मिलता है और इस दौरान क्या-क्या होता है और क्या-क्या नहीं? अगर नहीं, तो आइए समझते हैं राजकीय शोक और इसकी पूरी प्रक्रिया..

राजकीय शोक क्या होता है
जब कभी भी किसी राज्य में शोक की घोषणा होती है, तो उस स्थिति को राजकीय शोक कहा जाता है। जबकि पूरे देश में शोक होने पर उसे राष्ट्रीय शोक (National Mourning) कहते हैं। देश या राज्य में जब भी किसी बड़े राजनेता, एक्टर, कलाकार या किसी शख्सियत का निधन होता है, तब उसके सम्मान में राजकीय या राष्ट्रीय शोक घोषित किया जाता है।

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राजकीय शोक की घोषणा कौन करता है
कुछ साल पहले तक राजकीय शोक सिर्फ केंद्र सरकार ही घोषित करती थी। राष्ट्रपति की सलाह पर केंद्र सरकार के पास ही इसका अधिकार था लेकिन फिर नियम बदला और अब राज्य सरकार इसका फैसला करती है कि किसे राजकीय सम्मान देना है और कब तक राजकीय शोक रहेगा।

राजकीय शोक कितने दिन का होता है
राजकीय शोक घोषित करने का कोई तय समय नहीं होता है। राज्य सरकार सुविधानुसार इसका दिन तय करती है। जैसे मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद तीन दिन का राजकीय शोक है, जबकि जब पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का निधन हुआ था तब यह सात दिनों का था। लोगों की भावनाओं को देखते हुए भी राज्य सरकार राजकीय शोक की घोषणा करती है।

राजकीय शोक के दौरान क्या होता है, क्या नहीं
जब कभी भी राजकीय शोक की घोषणा की जाती है, तब जितने समय तक की यह अवधि होती है, उतने समय तक राज्य की विधानसभा, सचिवालय और महत्वपूर्ण कार्यालयों में तिरंगे को आधा झुका दिया जाता है। इस अवधि में कोई भी सरकारी कार्यक्रम या समारोह नहीं होता है। राजकीय शोक की अवधि में दौरान सार्वजनिक छुट्टी आवश्यक नहीं होती है।

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