आईएएस अफसर बनने के लिए छोड़ी एक करोड़ के पैकेज वाली नौकरी, UPSC एग्जाम में किया टॉप

यूपीएससी की परीक्षा हर तरह के कैंडिडेट देते हैं। कई कैंडिडेट समाज के निम्न और गरीब तबके से आते हैं, वहीं यह सेवा उन लोगों को भी आकर्षित करती है, जो पहले से नौकरी कर रहे हैं और करोड़ों का पैकेज पा रहे हैं। 

Asianet News Hindi | Published : Jan 26, 2020 7:49 AM IST / Updated: Jan 26 2020, 01:23 PM IST

करियर डेस्क। यूपीएससी की परीक्षा हर तरह के कैंडिडेट देते हैं। कई कैंडिडेट समाज के निम्न और गरीब तबके से आते हैं, वहीं यह सेवा उन लोगों को भी आकर्षित करती है, जो पहले से नौकरी कर रहे हैं और करोड़ों का पैकेज पा रहे हैं। ऐसे ही एक शख्स कनिष्क कटारिया हैं। कनिष्क कटारिया आईएएस अफसर बनने से पहले करीब एक करोड़ के पैकेज पर साउथ कोरिया में बतौर कम्प्यूटर इंजीनियर नौकरी कर रहे थे। लेकिन डेढ़ साल वहां नौकरी करने के बाद वे भारत वापस लौट गए और बेंगलुरु की एक सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट कंपनी में नौकरी करने लगे। यहां उनका पैकेज साउथ कोरिया की तुलना में काफी कम था। लेकिन कनिष्क एक खास मकसद से भारत वापस लौटे थे। उनकी इच्छा थी यूपीएससी एग्जाम में सफल होकर आईएएस अफसर बनने की। अपनी तैयारी और संघर्ष के दम पर कनिष्क ने पहले ही प्रयास में साल 2018 की यूपीएससी परीक्षा में सफलता हासिल की और टॉपर बने।  

शुरू से ही रहे तेज स्टूडेंट
कनिष्क राजस्थान के जयपुर के रहने वाले हैं। ये शुरू से ही तेज स्टूडेंट रहे। इन्हें 10वीं और 12वीं की परीक्षा में 90 प्रतिशत से भी ज्यादा अंक मिले थे। इसके बाद उन्होंने आईआईटी प्रवेश परीक्षा में भाग लिया, जिसमें उनका ऑल इंडिया रैंक 44 था। उन्होंने आईआईटी, बॉम्बे में दाखिला लिया और कम्प्यूटर साइंस में बीटेक किया। इसके बाद उन्हें साउथ कोरिया में बेहतरीन नौकरी मिल गई। लेकिन कनिष्क का कहना है कि उनका मकसद सिर्फ पैसा कमाना ही नहीं था। वे आईएएस अधिकारी बन कर समाज के गरीब और दबे-कुचले लोगों को आगे बढ़ाने के लिए काम करना चाहते थे। 

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पिता और चाचा भी रहे सिविल सर्विस में
कनिष्क कटारिया की पारिवारिक पृष्ठभूमि भी सिविल सर्विस वाली थी। उनके पिता सांवरमल वर्मा और ताऊ जी भी आईएएस अधिकारी रहे। इससे कनिष्क को इस सेवा में आने की प्रेरणा मिली। जब उन्होंने बेंगलुरु में जॉब शुरू की तो उन्हें गहराई से महसूस हुआ कि समाज के लिए कुछ खास करना है तो आईएएस बनना सबसे बेहतर होगा। इसके बाद उन्होंने इस सेवा में जाने का संकल्प कर लिया और तैयारी में लग गए। 

दिल्ली में ली कोचिंग
कनिष्क कटारिया ने यूपीएससी की तैयारी के लिए दिल्ली में 10-11 महीने कोचिंग भी ली। उनका कहना था कि परीक्षा के पैटर्न को समझने के लिए और खास तौर पर मैथेमेटिक्स की तैयारी के लिए उन्हें कोचिंग करना जरूरी लगा। इसके अलावा उन्होंने सेल्फ स्टडी पर फोकस किया। 

कैसे की तैयारी
अपनी तैयारी के बारे में कनिष्क बताते हैं कि उन्होंने इसे कभी बोझ की तरह नहीं, बल्कि एक चुनौती की तरह लिया। उन्होंने कहा कि तैयारी के दौरान भी उन्होंने अपने शौक नहीं छोड़े। वे फुटबॉल मैच देखते थे। कनिष्क कहते हैं कि तैयारी करते हुए  उन्होंने एक भी आईपीएल मैच नहीं छोड़ा। सारे मैच देखे। उनका कहना है कि अपनी हॉबी को कभी नहीं छोड़ना चाहिए। इससे पॉजिटिव एनर्जी मिलती है। उन्होंने कहा कि वे रोज करीब 10 घंटे पढ़ाई करते थे और इंटरनेट से अलग-अलग विषयों के नोट्स बनाते थे, जो उनके काफी काम आए। उन्होंने कहा कि तैयारी के दौरान उन्होंने सोशल मीडिया का इस्तेमाल करना भी नहीं छोड़ा। इससे वे देश-दुनिया की घटनाओं से अपडेट रहते थे। उन्होंने तीन-चार दोस्तों का एक वॉट्सऐप ग्रुप भी बना लिया था, जिसके जरिए नोट्स शेयर करते थे।

सफलता को लेकर थे कॉन्फिडेंट
कनिष्क बताते हैं कि वे अपनी सफलता को लेकर कॉन्फिडेंट थे। उनका इंटरव्यू काफी बढ़िया हुआ था। कनिष्क का कहना है कि यूपीएससी एग्जाम में सही तरीके से तैयारी काफी मायने रखती है। देश-विदेश की घटनाओं के बारे में जानकारी पूरी होनी चाहिए। करंट अफेयर्स से जुड़े सवाल काफी पूछे जाते हैं, इसलिए कैंडिडेट्स को न्यूजपेपर और मैगजीन जरूर पढ़नी चाहिए। उनका कहना है कि सबसे बढ़ कर आत्मविश्वास है। कॉन्फिडेंस बना रहे तो सफलता मिल कर रहती है।  

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