National Education Day 2022 : 10 पॉइंट में समझें राष्ट्रीय शिक्षा दिवस का इतिहास, महत्व और खास बातें
11 सितंबर 2008 पहली बार राष्ट्रीय शिक्षा दिवस मनाया गया था। तब केंद्र सरकार ने अबुल कलाम आजाद की जयंती पर इस दिन को मनाने का ऐलान किया था। तभी से हर साल इस दिन स्कूलों-कॉलेजों में कई कार्यक्रम होते हैं और शिक्षा के महत्व पर चर्चा होती है।
Asianet News Hindi | Published : Nov 11, 2022 3:47 AM IST / Updated: Nov 11 2022, 09:23 AM IST
करियर डेस्क : आज 11 नवंबर, 2022 को हिंदुस्तान राष्ट्रीय शिक्षा दिवस (National Education Day 2022) मना रहा है। देस के पहले शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आजाद की जयंती ( Maulana Abul Kalam Azad Birthday) पर यह दिन मनाया जाता है। मौलाना आजाद महान स्वतंत्रता सेनानी, विद्वान और प्रख्यात शिक्षाविद थे। आजाद ही वे शख्स थे, जिन्होंने आजादी के बाद देश में आधुनिक शिक्षा को लेकर कई बड़े कदम उठाए। आज शिक्षा के क्षेत्र में भारत जहां खड़ा है, उसकी नींव रखने वालों में मौलाना का नाम भी है। नेशनल एजुकेशन डे पर आइए 10 पॉइंट में जानते हैं इस दिन का इतिहास, महत्व और खास बातें..
महान स्वतंत्रता सेनानी, विद्वान और प्रख्यात शिक्षाविद मौलाना अबुल कलाम आजाद की जयंती की जयंती पर हर साल राष्ट्रीय शिक्षा दिवस मनाया जाता है।
आजादी के बाद मौलाना अबुल कलाम आजाद के प्रयासों से ही शिक्षा मंत्रालय ने साल 1951 में देश का पहला आईआईटी संस्थान (IIT) स्थापित किया था।
मौलाना आजाद चाहते थे कि भारत उच्च शिक्षा में अपनी खुद की पहचान बनाए और इसी दिशा में उन्होंने कई बड़े कदम उठाए, कई संस्थान स्थापित किए।
साल 1953 में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) का गठन उन्हीं के प्रयासों से हुआ।
अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (AICTE) और सेकेंडरी एजुकेशन कमिशन भी मौलाना आजाद के कार्यकाल में स्थापित किए गए।
जामिया मिल्लिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी की स्थापन में भी मौलाना आजाद का सबसे अहम योगदान था।
इस साल राष्ट्रीय शिक्षा दिवस पर शिक्षा मंत्रालय की तरफ से जो थीम बनाय गया है वह है- Changing Course, Transforming Education यानी 'कोर्स बदलना, शिक्षा को बदलना'।
इस साल की थीम वर्तमान और भविष्य की आवश्यकताओं के अनुसार, शिक्षा व्यवस्था को बदलने पर जोर देता है।
11 सितंबर, 2008 को भारत सरकार ने अबुल कलाम आजाद की जयंती 11 नवंबर को राष्ट्रीय शिक्षा दिवस मनाने का फैसला किया था। तभी पहली बार यह दिन मनाया गया था।
आज के दिन हर साल स्कूलों और कॉलेजों में कई तरह के कार्यक्रम आयोजित होते हैं। छात्र और शिक्षक साक्षरता के महत्व और शिक्षा के अहम पहलुओं पर विचार शेयर करते हैं और कई तरह की प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती है।