चपरासी की बेटी बनी जज, जानें कैसे पाया यह मुकाम

आज कोई भी क्षेत्र हो, लड़कियां पीछे नहीं हैं। पढ़ाई के साथ-साथ अच्छी नौकरियां पाने में भी वे सफल हो रही हैं और अपना ऊंचा मुकाम बना रही हैं। अभी हाल ही में बिहार में एक लड़की न्यायिक सेवा में सफल हो कर जज बनी, जिसके पिता चपरासी थे।

Asianet News Hindi | Published : Dec 3, 2019 4:47 AM IST

करियर डेस्क। आज कोई भी क्षेत्र हो, लड़कियां पीछे नहीं हैं। पढ़ाई के साथ-साथ अच्छी नौकरियां पाने में भी वे सफल हो रही हैं और अपना ऊंचा मुकाम बना रही हैं। अभी हाल ही में बिहार में एक लड़की न्यायिक सेवा में सफल हो कर जज बनी, जिसके पिता चपरासी थे। बिहार न्यायिक सेवा में सफलता हासिल कर जज बनने वाली अर्चना का बचपन सरकारी चपरासी क्वार्टर में  बीता। खास बात है कि अर्चना के पिता किसी जज के ही चपरासी थे। यही देख कर अर्चना के मन में बचपन से ही यह बात बैठ गई कि उसे बड़ा होकर जज ही बनना है। अर्चना का कहना है कि उसे अपने पिता का चपरासी का काम करना अच्छा नहीं लगता था। हमेशा उन्हें किसी न किसी के पीछे भागते रहना पड़ता था। 

बचपन में ही लिया जज बनने का संकल्प
अर्चना बताती हैं कि उन्होंने स्कूल में पढ़ने के दौरान ही यह सोच लिया था कि बड़े होकर उन्हें जज ही बनना है, दूसरी नौकरी नहीं करनी। आखिर कड़ी मेहनत और लगन से अर्चना ने अपने लक्ष्य को हासिल कर लिया। उनका सपना पूरा हो गया, लेकिन उन्हें एक ही बात का दुख है कि पिता उन्हें एक जज के रूप में देख नहीं सके। कुछ साल पहले ही उनकी मृत्यु हो गई। 

पटना यूनिवर्सिटी से हासिल की शिक्षा
अर्चना के पिता सारण जिले के सोनपुर न्यवहार न्यायालय में चपरासी थे, लेकिन उनका परिवार पटना के कंकड़बाग में रहता था। उन्होंने शास्त्रीनगर उच्च विद्यालय से 12वीं की पढ़ाई की और पटना यूनिवर्सिटी में एडमिशन ले लिया। इस बीच, वे बच्चों को कम्प्यूटर की ट्रेनिंग भी देती थीं। इसी दौरान अर्चना की शादी हो गई और वह पुणे चली गईं।

पुणे विश्वविद्यालय से की एलएलबी की पढ़ाई
शादी के बाद भी अर्चना ने पढ़ाई जारी रखी। उन्होंने पुणे विश्वविद्यालय में एडमिशन लिया और वहां से एलएलबी किया। बाद में हालात कुछ ऐसे बदले कि उन्हें फिर पटना वापस आना पड़ा। इसके बाद उन्होंने 2014 में पूर्णिया के बीएमटी कॉलेज से एलएलएम किया। अब न्यायिक परीक्षा में सफलता के साथ वे जज बन गई हैं। उन्हें इस बात की खुशी है कि बचपन में जो सपना देखा था, आखिरकार पूरा हुआ। उनके पति भी पटना मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में क्लर्क के पद पर कार्यरत हैं। अर्चना का कहना है कि पिता की असामयिक मौत से उनके परिवार को बहुत कठिनाई का सामना करना पड़ा। लेकिन उनकी मां ने बहुत संघर्ष किया और हर वक्त उनका हौसला बढ़ाया। अर्चना का कहना है कि उन्हें परिवार के सभी लोगों का पूरा सहयोग मिला।    
 

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