रंजीत रामचंद्रन इन दिनों बेंगलुरु के क्रिस्ट यूनिवर्सिटी में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर कार्यरत हैं। शनिवार को उन्होंने केरल के अपने घर की एक तस्वीर सोशल मीडिया पर शेयर की और लिखा- IIM के प्रोफेसर का जन्म इसी घर में हुआ है। 7 वें वेतन आयोग के अनुसार असिस्टेंट प्रोफेसर की बेसिक सैलरी 70,900 होगी। वेतन भत्तों को जोड़कर कुल वेतनमान 98,800 के करीब होता है।
करियर डेस्क. कहते हैं कि हौसला बुंलद हो तो मंजिल जरूर मिलती है। पैसे की कमी हो या फिर और कोई बाधा इंसानी हौंसलों के आगे उसे झुकना पड़ता है। हौंसले की एक ऐसी ही कहानी है केरल के रहने वाले रंजीत रामचंद्रन की। रामचंद्रन की उम्र 28 साल की है। उनका चयन आईआईएम रांची में हुआ है। रंजीत रामचंद्रन की कहानी अब सोशल मीडिया में तेजी से वायरल हो रही है। दरअसल, रंजीत रामचंद्रन ने अपने घर की एक फोटो शेयर की है।
क्या लिखा फोटो में
रंजीत रामचंद्रन ने फोटो शेयर करते हुए लिखा- इस घर में एक IIM असिस्टेंट प्रोफेसर का जन्म हुआ है। पोस्ट में प्लास्टिक और ईंट से बना ये छोटा सा घर किसी झुग्गी की तरह दिख रहा है। एक टूटी फूटी झोपड़ी की तस्वीर है, उस झोपड़ी पर एक तिरपाल टंगा नजर आ रहा है। रंजीत रामचंद्रन ने अपनी जिंदगी में कई कठिनाइयों का सामना किया है औऱ इस मुकाम पर पहुंचे हैं। रंजीत रामचंद्रन ने गार्ड की नौकरी के साथ-साथ पढ़ाई की और अब उनका सिलेक्शन आईआईएम रांची में बतौर असिस्टेंट प्रोफेसर हुआ है।
संघर्षभरी कहानी
रंजीत रामचंद्रन के जीवन में एक वक्त ऐसा भी आया था उन्होंने पढ़ाई छोड़कर परिवार की मदद करने के लिए नौकरी करने का फैसला लिया था। रामचंद्रन केरल के कासरगोड के पनाथुर में एक बीएसएनएल टेलीफोन एक्सचेंज में नाइट गार्ड का काम कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने सेंट पियस एक्स कॉलेज से अर्थशास्त्र की डिग्री हासिल की। वो दिन के समय कॉलेज में पढ़ाई करते थे और रात में टेलीफोन एक्सचेंज में नौकरी करते थे इसके बदले उन्हें महीने के चार हजार रुपए मिलते थे। आईईटी मद्रास से उन्होंने इकॉनमिक्स में पढ़ाई की। युवाओं को प्ररेणा देते हुए वो कहते हैं कि जीवन में संघर्ष से ही सफलता मिलती है।
रंजीत रामचंद्रन के पिता रवींद्रन टेलर का काम करते हैं। मां बेबी मनरेगा में मजदूर हैं। वो तीन भाई-बहन हैं और 400 स्क्वायर फीट के घर में रहते हैं। वो केरल के कासरगोड जिले में एक अनुसूचित जनजाति श्रेणी के हैं, लेकिन रंजीत ने कहा कि उन्हें अपने करियर में आरक्षण की आवश्यकता नहीं है।