सोशल मीडिया में माफीनामा पोस्ट करते हुए यूनिवर्सिटी ने कहा- विश्वविद्यालय प्रशासन उस किसी भी सवाल से कोई इत्तेफाक नहीं रखता है। पेपर बनाने वाले फैकल्टी का नाम क्या है इसकी जानकारी नहीं दी गई है।
करियर डेस्क. शारदा यूनिवर्सिटी (sharda university) द्वारा हिदुत्व को लेकर पूछे गए सवाल पर हंगामा (controversy) खड़ा हो गया है। विश्वविद्यालय द्वारा बीए पॉलिटिकल साइंस के इंटरनल एग्जाम में विवादित सवाल पूछा गया था। यूनिवर्सिटी ने सवाल किया था कि हिंदूत्व, फासिज्म और नासिज्म में क्या समानता है। इस सवाल को लेकर सोशल मीडिया में बवाल खड़ा हो गया है। दरअसल, यूनिवर्सिटी के ऊपर आरोप लगाए जा रहे हैं कि ये विश्वविद्यालय हिन्दू विरोधी है। हालांकि इस मामले ने विश्वविद्यालय प्रसासन ने कार्रवाई करते हुए माफी मांगी है।
क्वेश्चन पेपर में हिंदूवादियों की तुलना फासीवादी और नाजीवादी से करने के बाद यूनिवर्सिटी प्रशासन ने पेपर बनाने वाले फैकल्टी को सस्पेंड कर दिया है। इसके साथ ही शारदा यूनिवर्सिटी ने सोशल मीडिया में पोस्ट कर माफी भी मांगी है। यूनिवर्सिटी ने अपने लेटर में यह नहीं बताया है कि यह पेपर किसने बनाया था उसने केवल इतनी जानकारी दी है कि जिस फैकल्टी के द्वारा यह पेपर बनाया गया है उसे सस्पेंड कर दिया गया है।
क्या कहा यूनिवर्सिटी ने
सोशल मीडिया में माफीनामा पोस्ट करते हुए यूनिवर्सिटी ने कहा- विश्वविद्यालय प्रशासन उस किसी भी सवाल से कोई इत्तेफाक नहीं रखता है। जो कि राष्ट्रीय पहचान या संस्कृति का विरोध कर रहा हो। यूनिवर्सिटी ने आगे कहा- हम भारत के सच्चे और स्वर्णिम रूप को दिखाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
कैसे सामने आया मामला
दरअसल ये मामला तब सामने आया जब बीजेपी नेता विकास प्रीतम सिन्हा ने पूछे गए सवाल का स्क्रीन शॉट ट्वीट किया। उन्होंने लिखा- यूनिवर्सिटी का नाम 'शारदा' पर कृत्य देखिए कि परीक्षा में छात्रों को 'हिन्दुत्व' को अनिवार्य रूप से फासी और नाजीवाद के समकक्ष सिद्ध करने के लिए कहा जा रहा है। यह प्रश्नपत्र कथित रूप से किसी मुस्लिम शिक्षक द्वारा बनाया गया है। आपको बता दें कि फासीवाद और नाजीवाद तनाशाही विचार धारा हैं। फासीवाद का जन्म इटली में हुआ छथा जबकि नाजीवाद, तानाशाह हिटलर की विचार धारा थी। इन दोनों विचारधाराओं में काफी समानताएं थीं।