पढ़ा-लिखा किसान जिसने सरकारी नौकरी की बजाय खेती को बना लिया पेशा, आज है करोड़पति!

अब खेती के क्षेत्र में ऐसे लोग आ रहे हैं, जिन्होंने इसे बतौर प्रोफेशन अपनाया है। अगर आधुनिक तरीकों से खेती की जाए तो इससे लाखों क्या करोड़ों रुपए कमाए जा सकते हैं। इसे साबित किया है राजस्थान के जालोर जिले के एक किसान ने। इस युवा किसान ने ऑर्गेनिक खेती के क्षेत्र में काम शुरू किया और आज उनका 60 करोड़ का टर्नओवर है।

करियर डेस्क। अब खेती के क्षेत्र में ऐसे लोग आ रहे हैं, जिन्होंने इसे बतौर प्रोफेशन अपनाया है। अगर आधुनिक तरीकों से खेती की जाए तो इससे लाखों क्या करोड़ों रुपए कमाए जा सकते हैं। इसे साबित किया है राजस्थान के जालोर जिले के एक किसान ने। इस युवा किसान ने ऑर्गेनिक खेती के क्षेत्र में काम शुरू किया और आज उनका 60 करोड़ का टर्नओवर है। इस किसान का नाम है योगेश। ग्रैजुएशन करने के बाद उन्होंने ऑर्गेनिक फार्मिंग में डिप्लोमा लिया और 7 किसानों के साथ मिल कर 2 बीघा जमीन पर जीरे की खेती की शुरुआत की। शुरुआत में तो सफलता नहीं मिली, लेकिन योगेश ने लगातार कोशिश जारी रखी। योगेश के परिवार वाले उन्हें सरकारी नौकरी करने के लिए कहते थे, लेकिन योगेश ने शुरुआती असफलता के बावजूद ऑर्गेनिक फार्मिंग के क्षेत्र में ही करियर बनाने का निश्चय किया। 

रैपिड ऑर्गेनिक प्रा. लि. नाम की बनाई कंपनी
जब योगेश ने जीरे की ऑर्गेनिक खेती की शुरुआत की तो उनके साथ सिर्फ 7 किसान जुड़े थे। उन्होंने जोधपुर स्थित काजरी के कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर अरुण के. शर्मा से संपर्क कर जैविक खेती का प्रशिक्षण लिया। डॉक्टर शर्मा उनके गांव सांचोर आए और किसानों को जरूरी प्रशिक्षण दिया। इसके बाद उन्हें जीरे की खेती में काफी सफलता मिली। उन्होंने 2009 से इस खेती की शुरुआत की। उस साल उनका टर्नओवर 10 लाख रुपए का था। लेकिन आज उनसे 3000 से भी ज्यादा किसान जुड़ गए हैं और उनका टर्नओवर 60 करोड़ रुपए सालाना से भी ज्यादा हो गया है। ये पूरी तरह से केमिकल फ्री ऑर्गेनिक खेती करते हैं। उनकी उपज की सप्लाई अब अमेरिका से लेकर जापान तक हो रही है। 

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सुपर फूड के क्षेत्र में रखा कदम
जीरे की खेती में सफलता मिलने के बाद योगेश ने अपनी टीम के साथ चिया और किनोवा सीड की खेती भी शुरू कर दी। इन चीजों की बाजार में काफी डिमांड है। इन्हें सुपर फूड कहा जाता है। इसके बाद उन्होंने सौंफ, धनिया, मेथी जैसे मसालों की खेती भी शुरू कर दी। ये ऑर्गेनिक प्रोडक्ट थे। इसलिए इनकी मांग विदेशों में बढ़ने लगी।

जापानी कंपनी से हुआ करार
इसी बीच, योगेश का संपर्क जापान की एक कंपनी से हुआ। इस कंपनी के लोग योगेश के गांव आए और उन्होंने उनके खेतों को देखा। उन्होंने पाया कि यहां पूरी तरह से ऑर्गेनिक खेती की जा रही है। इसके बाद कंपनी ने योगेश की फर्म के साथ एक टाईअप किया और नियमित तौर पर जीरे के साथ ही दूसरे मसाले भी मंगवाने लगी। जापानी कंपनी से करार के बाद अमेरिका से भी योगेश को मसालों के ऑर्डर मिले। 

हैदराबाद की कंपनी से हुआ किनोवा फार्मिंग का कॉन्ट्रैक्ट
अब हैदराबाद की एक कंपनी ने 400 टन किनोवा उत्पादन के लिए योगेश से करार किया है। किनोवा का उत्पादन भी पूरी तरह ऑर्गेनिक होगा। इसमें किसी तरह के केमिकल फर्टिलाइजर का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा। इस खेती की सफलता को देखते हुए ज्यादा से ज्यादा किसान योगेश से जुड़ रहे हैं। 3000 किसानों में से 1000 किसान पूरी तरह से 6-7 सालों से जैविक प्रमाणित हैं। 1000 किसान अभी दूसरे स्टेज में हैं, वहीं बाकी 1000 किसान तीसरे स्टेज में हैं। जल्दी ये सभी जैविक प्रमाणित हो जाएंगे। ऑर्गेनिक खेती में इन किसानों को जितनी आमदनी हो रही है, उसे देखते हुए ज्यादा से ज्यादा किसान इससे जुड़ना चाहते हैं। सरकार से भी इन्हें प्रोत्साहन मिल रहा है।

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