मध्य प्रदेश के एक किसान ने जंगली पौधों पर ग्राफ्टिंग तकनीक के इस्तेमाल से टमाटर और बैंगन उगाए हैं। इस तकनीक का सफल प्रयोग करने वाले ये भारत के पहले किसान हैं। इस तकनीक का इस्तेमाल दूसरे देशों में भी किया जा रहा है।
करियर डेस्क। मध्य प्रदेश के एक किसान ने जंगली पौधों पर ग्राफ्टिंग तकनीक के इस्तेमाल से टमाटर और बैंगन उगाए हैं। इस तकनीक का सफल प्रयोग करने वाले ये भारत के पहले किसान हैं। इस तकनीक का इस्तेमाल दूसरे देशों में भी किया जा रहा है। कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि ग्राफ्टिंग की तकनीक से जंगली पौधों में तरह-तरह की सब्जियां उगाई जा सकती हैं। इन्हें उगाने में किसी तरह के कीटनाशक या खाद का इस्तेमाल करने की जरूरत नहीं रहती। इनका उत्पादन पूरी तरह जैविक तरीके से होता है। जंगली नस्ल की होने के कारण इन सब्जियों में पोषक तत्व भी ज्यादा होते हैं।
बता दें कि अमेरिका की सेराक्यूज यूनिवर्सिटी में विजुअल आर्ट के प्रोफेसर सैम वॉन ऐकेन ने साल 2016 में एक पेड़ में 40 तरह के फल पैदा कर सबको अचरज में डाल दिया था। इनके इस पेड़ को 'ट्री ऑफ 40' नाम दिया गया था। इसके बाद अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को में रहने वाली आर्टिस्ट लक्ष्मी मेनन ने भी इस क्षेत्र में कुछ काम किया था। वह पर्यावरण की रक्षा के लिए भी काम करती हैं और 'प्योर लिविंग' नाम की एक संस्था चलाती हैं। बहरहाल, मध्य प्रदेश के भोपाल के रहने वाले मिश्री लाल राजपूत ने जो काम किया है, उसका महत्व अलग ही है। मिश्री लाल ने यह काम अपनी सूझ-बूझ से किया है। इनके पास प्रोफेसर वॉन और लक्ष्मी मेनन की तरह संसाधन उपलब्ध नहीं थे। यह अलग बात है कि इन्हें ग्राफ्टिंग तकनीक की थोड़ी-बहुत जानकारी थी। इसी जानकारी के आधार पर इन्होंने सोचा कि क्यों नहीं जगंल के बेकार माने जाने वाले पौधौं पर सब्जियां उगाने की कोशिश की जाए। इसके बाद उन्होंने इस क्षेत्र में काम करना शुरू कर दिया।
कुछ प्रयास के बाद मिश्री लाल का प्रयोग सफल रहा। उन्हें जंगली पौधों पर सब्जियां उगाने में सफलता मिल गई। पहले उन्होंने एक ही पौधे पर टमाटर और बैंगन उगाए। मिश्री लाल का कहना है कि जंगल के पौथों पर मौसम का ज्यादा असर नहीं पड़ता। थोड़ी कोशिश से जंगल के बेकार माने जाने वाले पौधों पर तरह-तरह की सब्जियां उगाई जा सकती हैं और यह एक फायदे का धंधा साबित हो सकता है। उनका कहना है कि अभी ग्राफ्टिंग तकनीक का पूरा उपयोग नहीं किया जा रहा है, लेकिन कृषि वैज्ञानिकों को इसके बारे में काफी जानकारी है। वे इस तकनीक का इस्तेमाल कर किसानों को एक ही पेड़ से तरह-तरह के फल पैदा करने में किसानों की सहायता कर सकते हैं। मिश्री लाल का कहना है कि उन्हें इस खेती को और भी बड़े पैमाने पर करना है। उनका कहना था कि ग्राफ्टिंग तकनीक का इस्तेमाल करना सर्दियों में ज्यादा बेहतर होता है।
मिश्री लाल राजपूत का कहना है कि इस खेती के लिए खाद खरीदना नहीं पड़ता। उन्होंने बताया कि जैविक तकनीक से उगाई गईं सब्जियां खरीदने लोग अब खेत पर आते हैं। जहां तक खाद का सवाल है, इसकी जरूरत नहीं पड़ती, पर मिश्रीलाल गोबर, गौमूत्र आदि से अमृत पानी नाम का एक खाद तैयार करते हैं। 200 लीटर घोल एक एकड़ जमीन के लिए पर्याप्त होता है। उन्होंने जैविक कीटनाशक भी तैयार किया है। मिश्री लाल राजपूत भोपाल के खजूरीकला में रहते हैं।