कोमा से निकल कर इस लड़की ने क्रैक किया UPSC, बनीं IRS ऑफिसर

अगर लक्ष्य को हासिल करने का जज्बा और दृढ़ संकल्प हो तो कोई भी मुश्किल सफलता की राह में रोड़ा नहीं बन सकती। इस बात को साबित किया है सारिका ने, जिसने पोलियो की बीमारी और बाद में कोमा में रहने के बावजूद हार नहीं मानी और अपने मकसद को हासिल कर के ही दम लिया। 
 

Asianet News Hindi | Published : Dec 14, 2019 10:58 AM IST / Updated: Dec 14 2019, 04:35 PM IST

करियर डेस्क। अगर लक्ष्य को हासिल करने का जज्बा हो और मेहनत करने का दृढ़ संकल्प तो कोई भी मुश्किल सफलता की राह में रोड़ा नहीं बन सकती। इस बात को साबित किया है सारिका ने, जिसने पोलियो की बीमारी और बाद में कोमा में जाने के बावजूद हार नहीं मानी और अपने मकसद को हासिल कर के ही दम लिया। सारिका ओडिशा के एक छोटे-से कस्बे काटावांझी की रहने वाली हैं। उन्हें 2 साल की उम्र में ही पोलियो हो गया था। इसके बाद वह कोमा में चली गईं। उनका इलाज लगातार जारी रहा और डेढ़ साल के बाद वह कोमा से निकलीं। इसके बाद उनकी स्कूली शिक्षा की शुरुआत हुई। स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद सारिका ने सरकारी नौकरी में जाने या कोई प्रोफेशनल बनने की ठान ली थी। 

डेढ़ साल तक बिस्तर पर रही थीं पड़ी
पोलियो के इलाज के लिए जब पेरेंट्स उन्हें डॉक्टर के पास ले गए, तभी किसी दवा के रिएक्शन से वे कोमा में चली गईं और उनके शरीर के करीब आधे हिस्से ने काम करना बंद कर दिया था। लेकिन उनके पेरेंट्स ने हार नहीं मानी। लगातार इलाज चलता रहा और डेढ़ साल के बाद वह कोमा से निकलीं। सारिका बताती हैं कि करीब 4 साल की उम्र में उन्होंने चलना सीखा। जिंदगी उनकी मुश्किल थी।

मुश्किल से मिला एडमिशन
पोलियोग्रस्त होने के कारण स्कूल में एडिमशन होने में भी उन्हें परेशानी का सामना करना पड़ा। बहरहाल, किसी तरह एक स्कूल में उनका एडमिशन हो गया। वे पढ़ने में ठीक थीं। स्कूल और कॉलेज की पढ़ाई उन्होंने अच्छी तरह पूरी की। इसके बाद उन पर घर के लोग शादी करने का दबाव डालने लगे। लेकिन पोलियोग्रस्त होने के कारण शादी होने में भी दिक्कत थी। इधर, सारिका अपनी पढ़ाई जारी रखना चाहती थीं और करियर में कोई मुकाम बनाना चाहती थीं। 

चार्टर्ड अकाउंटेंट की पढ़ाई शुरू की
इसके बाद सारिका ने अपने पेरेंट्स के सहयोग से सीए की पढ़ाई शुरू कर दी। इसकी परीक्षा के लिए उन्होंने काफी मेहनत की और आखिरकार सीए की परीक्षा में सफल रहीं। उन्होंने बतौर सीए काम करना भी शुरू कर दिया। इसी बीच, उन्हें किसी ने यूपीएससी के सिविल सर्विस एग्जाम में शामिल होने की सलाह दी। इसके बारे में जानकारी मिलने के बाद सारिका ने तय कर लिया कि उन्हें इसी सेवा में जाना है।

शुरू की तैयारी
जब घर वालों को इसके बारे में पता चला तो वे भी हैरान हुए। उन्होंने कहा कि सीए का करियर बुरा नहीं है। इसे छोड़ने की कोई जरूरत नहीं है। लेकिन सारिका ने अपने पेरेंट्स को यूपीएससी परीक्षा के बारे में विस्तार से बताया और कहा कि वह किसी भी कीमत पर इस परीक्षा में सफलता हासिल करना चाहती हैं। 

डेढ़ साल में की तैयारी
सारिका के पेरेंट्स ने उन्हें सिविल सर्विस परीक्षा की तैयारी के लिए डेढ़ साल का वक्त दिया। उनका कहना था कि डेढ़ साल की तैयारी में अगर उसने इस परीक्षा में सफलता हासिल नहीं की तो उसके लिए सीए का काम जारी रखना ही ठीक होगा। सीए का महत्व कम नहीं।

दिल्ली में की तैयारी
यूपीएससी परीक्षा की तैयारी के लिए सारिका दिल्ली आ गईं। यहां उन्होंने तैयारी करते हुए कोचिंग का भी सहारा लिया। सारिका कहती हैं कि इस परीक्षा को पास करने के लिए उन्होंने जी-तोड़ मेहनत की और दिन-रात एक कर दिया। आखिर साल 2013 में उन्हें सिविल सर्विस की परीक्षा में सफलता मिली। उन्होंने 527वीं रैंक हासिल की और इंडियन रेवेन्यू सर्विस (IRS) के लिए चुनी गईं। उनकी इस सफलता से घर वालों के साथ उनके दोस्त और रिश्तेदार भी गर्व की भावना से भर गए। आज सारिका आईआरएस की अधिकारी हैं।

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