इस महिला ने 105 साल की उम्र में चौथी क्लास की परीक्षा देकर कायम की मिसाल, लेकिन नहीं मिलती कोई पेंशन

105 की उम्र में कोई महिला चौथी कक्षा की परीक्षा दे, इस बात पर एकबारगी कोई यकीन नहीं करेगा। लेकिन केरल के कोल्लम की रहने वाली भागीरथी नाम की महिला ने ऐसा कर के एक मिसाल कायम कर दिया है।

Asianet News Hindi | Published : Dec 1, 2019 3:52 AM IST

करियर डेस्क। सच कहा गया है कि पढ़ने की कोई उम्र नहीं होती। फिर भी 105 की उम्र में कोई महिला चौथी कक्षा की परीक्षा दे, इस बात पर एकबारगी कोई यकीन नहीं करेगा। लेकिन केरल के कोल्लम की रहने वाली भागीरथी नाम की महिला ने ऐसा कर के एक मिसाल कायम किया है। भागीरथी अम्मा ने राज्य साक्षरता मिशन के तहत यह परीक्षा दी है। इतनी उम्र में चौथी कक्षा की परीक्षा देने वाली संभवत: वह दुनिया की पहली महिला हैं। लेकिन फिर भी उन्हें किसी तरह की कोई पेंशन नहीं मिलती। 

शुरू से ही थी पढ़ने की इच्छा
भागीरथी को बचपन से ही पढ़ाई करने की बहुत इच्छा थी, लेकिन मां की मौत हो जाने की वजह से छोटे भाई-बहनों की देख-रेख की जिम्मेदारी उन पर आ गई और वह पढ़ाई नहीं कर सकीं। जब वे 30 साल की थीं, तब उनके पति की मृत्यु हो गई। तब तक उनके 6 बच्चे हो चुके थे। बच्चों को पालन-पोषण की पूरी जिम्मेदारी उन पर आ जाने से पढ़ाई कर पाना उनके लिए संभव नहीं हो सका। लेकिन पढ़ाई करने की इच्छा उनके मन में कहीं न कहीं दबी हुई थी। इसी से जैसे ही उन्हें मौका मिला, उन्होंने पढ़ाई शुरू कर दी। यह केरल के स्टेट साक्षरता मिशन की वजह से संभव हो सका। 

9 साल की उम्र में छोड़ दी थी पढ़ाई
भागीरथी ने 9 साल की उम्र में तीसरी कक्षा पास करने के बाद पढ़ाई छोड़ दी थी। अब 100 साल से ज्यादा की उम्र में चौथी कक्षा की परीक्षा देना उनके लिए एक सपने के पूरा होने जैसा है। इसके साथ ही वे उन लोगों के लिए एक मिसाल बन गई हैं, जो किसी भी काम में उम्र के आड़े आने की बात करते हैं। सबसे बड़ी बात तो यह है कि इस उम्र में भी भागीरथी अम्मा का स्वास्थ्य ठीक है। उन्हें देखने-सुनने में कोई समस्या नहीं होती। उनकी याद्दाश्त भी बहुत तेज है।

मिशन से जुड़ी सबसे बुजुर्ग सदस्य 
केरल साक्षरता मिशन के निदेशक पीएस श्रीकला का कहना है कि भागीरथी अम्मा मिशन से जुड़ी सबसे बुजुर्ग सदस्य हैं और मिशन को उन पर गर्व है। वे केरल साक्षरता मिशन के अब तक के इतिहास में सबसे बुजुर्ग समकक्ष शिक्षा हासिल करने वाली व्यक्ति बन गई हैं। मिशन के विशेषज्ञ वसंत कुमार ने कहा कि अम्मा को लिखने में दिक्कत होती है, इसलिए परीक्षा के दौरान सवालों के जवाब लिखने में उनकी छोटी बेटी ने मदद की। लेकिन उत्तर उन्होंने खुद लिखवाए और तीन दिनों में पर्यावरण, गणित और मलयालम भाषा के प्रश्नपत्रों को हल किया। पिछले साल 96 साल की कार्तियानी अम्मा ने साक्षरता परीक्षा में सबसे ज्यादा अंक हासिल किए थे।

नहीं मिलती कोई पेंशन
भागीरथी अम्मा को कोई पेंशन नहीं मिलती है। जबकि उन्हें कानून के अनुसार विधवा और वृद्धा पेंशन मिलनी चाहिए। कहा जा रहा है कि आधार कार्ड नहीं होने की वजह से उन्हें पेंशन नहीं मिल पा रही। यह एक अजीब ही बात है कि शिक्षा के क्षेत्र में एक मिसाल कायम करने वाली महिला का आधार कार्ड बनवाने के लिए किसी ने कोई कदम नहीं उठाया। फिर भी भागीरथी अम्मा को विश्वास है कि अधिकारी उन्हें पेंशन दिलाने के लिए जरूरी कार्रवाई करेंगे। 


 
 

Share this article
click me!