इंग्लैंड के खिलाफ रोहित को मैन ऑफ द मैच मिला शार्दुल को क्यों नहीं? UPSC 2020 के टॉपर से में पूछा गया था सवाल

संघ लोक सेवा आयोग (UPSC 2020) एग्जाम में आशीष की 226 वीं रैंक आई है।  उन्हें भारतीय पुलिस सेवा ( IPS) कैटेगरी मिलने की संभावना है।  Asianetnews Hindi संघ लोक सेवा आयोग (UPSC 2020) में सिलेक्ट हुए 100 कैंडिडेट्स की सक्सेज जर्नी (Success Journey) पर एक सीरीज चला रहा है। 

करियर डेस्क.  संघ लोक सेवा आयोग (UPSC 2020) एग्जाम में आशीष की 226 वीं रैंक आई है।  उन्हें भारतीय पुलिस सेवा ( IPS) कैटेगरी मिलने की संभावना है।  उन्होंने एमबीए करने के बाद तीन साल तक फ्लिपकार्ट और मारुति सुजुकी में नौकरी भी की लेकिन मन सिविल सर्विस की तरफ ही लगा रहा। उनका कहना है कि मानसिक स्वास्थ्य के साथ शारीरिक स्वास्थ्य भी बहुत जरूरी है। यदि पढ़ाई के साथ इनका सामंजस्य बनाकर चला जाए तो बहुत फायदा होगा। सिविल सर्विस एग्जाम को परीक्षा की तरह लें। उनसे इंटरव्यू में कई तरह के सवाल पूछे गए थे। संघ लोक सेवा आयोग (UPSC 2020) के नतीजे 24 सितंबर, 2021 को जारी किए गए। फाइनल रिजल्ट (Final Result) में कुल 761 कैंडिडेट्स को चुना गया। Asianetnews Hindi संघ लोक सेवा आयोग (UPSC 2020) में सिलेक्ट हुए 100 कैंडिडेट्स की सक्सेज जर्नी (Success Journey) पर एक सीरीज चला रहा है। इसी कड़ी में हमने आशीष से बातचीत की। आइए जानते हैं उनसे कैसे सवाल पूछे गए थे। 

सवाल- भारत के एनर्जी बास्केट के बारे में बताइए?
जवाब-
गवर्नमेंट का डाटा बताया।

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सवाल- रिन्यूबल एनर्जी का क्या भविष्य दिख रहा है?
जवाब-
काफी पॉजिटिव है। हम लोग ऑटोमोबाइल में रिन्यूबल एनर्जी को प्रमोट करने वाले हैं। वह सब डिस्कशन हुआ।

सवाल- भारत में ऑटोमोबाइल सेक्टर में बुरा क्यों कर रहा है?
जवाब-
भारत में जैसा कि ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री के लीडर का कहना है कि टैक्सेशन बहुत हाई है और लोगों को डिस्पोजेबल इनकम कम होती जा रही है। सप्लाई भी डिमांड को मैच नहीं कर पा रही है। चिप शॉर्टेज है।

सवाल- इंडिया-इंग्लैंड के मैच में रोहित शर्मा को “मैन ऑफ द मैच” दिया गया था, जबकि शार्दुल ठाकुर भी एक अच्छा विकल्प था। आपकी क्या राय है, किसको मिलना चाहिए था?
जवाब-
 “मैन ऑफ द मैच” देने के लिए एक ज्यूरी होती है। उसका निर्णय सर्वमान्य होता है। ऐसा नहीं था कि किसी एक का परफॉर्मेंस अच्छा या बुरा था। दोनों के परफार्मेंस अच्छे थे। किसी एक को ही “मैन ऑफ द मैच” देना है तो ज्यूरी ने जो कहा वह सही है। 

 
परीक्षा की तरह देखें, जीने मरने का सबब न बनाएं
उनका कहना है कि मानसिक स्वास्थ्य के साथ शारीरिक स्वास्थ्य भी बहुत जरूरी है। यदि पढ़ाई के साथ इनका सामंजस्य बनाकर चला जाए तो बहुत फायदा होगा। सिविल सर्विस एग्जाम को परीक्षा की तरह लें। इसे जीने मरने का सबब ने बनाएं। इसे जितना ज्यादा हम परीक्षा की तरह देखेंगे। हमें इसे क्लियर करने में उतनी ही ज्यादा आसानी होगी। आशीष कहते हैं कि देश की सेवा करने के बहुत सारे तरीके होते हैं। सिविल सर्विसेज बहुत बड़ा साधन है। सीमित सीट है, तो हर कोई नहीं बन सकता है पर हतोत्साहित न हों। अगर अटेम्प्ट हैं तो लगे रहें नहीं तो देश की सेवा के बहुत सारे तरीके हैं। इसमें आपके लिए क्या सही राह है। यह तलाशने की कोशिश करें और आगे बढें।

स्वयं से ही करिए खुद की तुलना
आशीष कहते हैं कि सीमित सोर्सेज से पढ़ाई करें। बार-बार रिवीजन करें, जितना रिवीजन करेंगे, उतना बेहतर होगा। मेंस परीक्षा के लिए ज्यादा से ज्यादा प्रश्नों के उत्तर लिखिए, यह बहुत जरूरी है। दूसरे लोगों से बात करें। पर अपने मनोबल को दूसरे लोगों की राय से प्रभावित नहीं होने दें। दूसरे लोगों से कि वह क्या पढ़ रहे हैं। इस बारे में बहुत ज्यादा सवाल नहीं करने चाहिए। बहुत सारे लोगों का अपना पढ़ने का तरीका होता है। उसको देखकर बहुत सारे लोग हतोत्साहित भी होते हैं। यह नहीं करना चाहिए। हमें खुद की तुलना अपने आप से करनी चाहिए न कि दूसरों से। नकारात्मक विचार आएंगे। पर उनको लेकर बैठना नहीं है कि क्या हो गया। उनको किनारे करते हुए आगे बढ़ते रहना है। नेगेटिव को पॉजिटिव में कन्वर्ट करने की कोशिश करें।

दोस्तों ने किया प्रेरित तो जॉब छोड़ी और जुट गए तैयारी में
आशीष की शुरुआती शिक्षा बेगूसराय, बिहार स्थित इटवा के डीएवी कॉलेज से हुई। वहां उन्होंने 10वीं कक्षा तक पढ़ाई की और सेंट जोसेफ पब्लिक स्कूल बेगूसराय से 12वीं पास किया। आशीष ने वर्ष 2013 में मौलाना आजाद नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (NIT), भोपाल से 2013 में बीटेक किया। एनर्जी इंजीनियरिंग से बीटेक के बाद इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ फॉरेन ट्रेड, नई दिल्ली से वर्ष 2015 में एमबीए किया। एमबीए करने के बाद आशीष ने फ्लिपकार्ट और मारुति सुजूकी में करीब तीन साल तक काम किया। जॉब के दौरान भी उनके दोस्त उन्हें सिविल सर्विस परीक्षा में अटेम्प्ट देने के लिए उत्साहित करते रहे। नतीजतन, उन्होंने अभिभावकों से बात करने के बाद वर्ष 2018 में जॉब छोड़ दी और पूरी तरह तैयारी में जुट गए।

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