Success Story: लोन लेकर पढ़ाते रहे पिता, पहले अटेम्पट में IAS बनकर सत्यम गांधी ने पैरेंटस के सपने को किया पूरा

Asianetnews Hindi संघ लोक सेवा आयोग (UPSC 2020) में सिलेक्ट हुए 100 कैंडिडेट्स की सक्सेज जर्नी (Success Journey) पर एक सीरीज चला रहा है।  इसी कड़ी में हमने सत्यम गांधी से बातचीत की। आइए जानते हैं उनकी सक्सेज जर्नी।  

करियर डेस्क. समस्तीपुर के दिघरा गांव के रहने वाले सत्यम गांधी (Satyam Gandhi) ने 12वीं क्लास की पढ़ाई के बाद उच्च शिक्षा (Higher education) के लिए दिल्ली का रूख किया। उनके पिता कृषि विवि में पौधारोपण विभाग में वरीय तकनीकी सहायक के पद पर कार्यरत हैं। मध्यमवर्गीय परिवार के लिए पढ़ाई का खर्च बहुत था लेकिन उनके पिता ने हार नहीं मानी और लोन लेकर बेटे को पढ़ाई कराई। पिता की कमाई का 40 फीसदी हिस्सा लोन चुकाने में चला जाता था। सत्यम भी उनकी उम्मीदों पर खरे उतरें। उन्होंने भी पहले अटेम्पट में आईएएस बनकर अपने पैरेंट्स के सपने को साकार किया। लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) परीक्षा में उनकी 10वीं रैंक आई है। संघ लोक सेवा आयोग (UPSC 2020) के नतीजे 24 सितंबर, 2021 को जारी किए गए। फाइनल रिजल्ट (Final Result) में कुल 761 कैंडिडेट्स को चुना गया। Asianetnews Hindi संघ लोक सेवा आयोग (UPSC 2020) में सिलेक्ट हुए 100 कैंडिडेट्स की सक्सेज जर्नी (Success Journey) पर एक सीरीज चला रहा है। इसी कड़ी में हमने सत्यम गांधी से बातचीत की। आइए जानते हैं उनकी सक्सेज जर्नी।  

लक्ष्य हासिल करने का ख्वाब लेकर गए दिल्ली
सत्यम गांधी जब गांव से निकलकर ग्रेजुएशन के लिए दिल्ली गए तो वह अपने लक्ष्य को लेकर बहुत स्पष्ट थे कि उन्हें क्या करना है। उन्होंने यह तय कर लिया था कि किसी भी कीमत पर अपना लक्ष्य हासिल करना है। कॉलेज के तीसरे वर्ष से ही उन्होंने अपनी तैयारी शुरू कर दी। उन्होंने सेलेबस को समझा, मैटेरियल का चुनाव किया और एक योजना बनाकर पढ़ाई में जुट गए। वह अपने लक्ष्य में सफल हो सकें। इसलिए उन्होंने शादी समारोह और गैर जरूरी फ्रेंड सर्किल समेत सोशल मीडिया से दूरी बनाई ताकि उनकी पढ़ाई में बाधा ना आ सके। सत्यम गांधी अगर आईएएस न होते तो क्या होते। इस सवाल के जवाब के जवाब में वह कहते हैं कि फिर से प्रयास करता उन्हें फिल्म मेकिंग, फोटोग्राफी करना और किताबें पढ़ना पसंद है।

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चुनौतीपूर्ण रही यूपीएससी जर्नी
सत्यम कहते हैं कि यूपीएससी की जर्नी काफी श्रमसाध्य और चुनौतीपूर्ण रही। वह खुद गांव के रहने वाले हैं। उनकी कक्षा एक से 12वीं तक की शिक्षा केंद्रीय विद्यालय पूसा से हुई। वर्ष 2017 में वह पहली बार ग्रेजुएशन करने दिल्ली गए। उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के डॉ दयाल सिंह कॉलेज से राजनीतिशास्त्र में वर्ष 2020 में स्नातक किया। शहर का कल्चर ग्रामीण इलाके के कल्चर से थोड़ा अलग होता है। उस माहौल भी वह ढलें। वह एक निर्णय लेकर गांव से निकले थे कि मुझे यह करना है और किसी हाल में बिना किए वापस नहीं लौटना है। इस सोच के साथ वह पढ़ाई में डटे रहे। उन्हें हमेशा पढ़ाई के लिए अपने परिवार के किए गए प्रयास याद आते थे। परिवार की उम्मीदें व सपने उनके जेहन में बसे थे।

फाइनेंसियल स्ट्रगल रहा
सत्यम कहते हैं कि उनके मम्मी-पापा ने उनके लिए काफी त्याग किए। उन्हें हमेशा पढ़ाने के लिए बैंक से कर्ज लिया। कर्ज लेकर ही पढ़ाई हुई। बहुत ही डेडिकेटेड और कंसिस्टेंस तरीके से पढ़ाई करना बहुत जरूरी है। उनके घर वालों का भी सपना था कि वह ऑफिसर बनें, डीएम बनें। उनका वह सपना अब पूरा हुआ है। उनका कहना है कि उनके जीवन में ऐसा कुछ खास स्ट्रगल नहीं रहा है पर थोड़ी बहुत आर्थिक समस्या रहती थी। इसलिए वह सेकेंड इयर में कॉलेज की पढ़ाई के साथ काम भी करते थे ताकि थोड़े बहुत पैसे कमा सकें। यही फाइनेंसियल स्ट्रगल रहा है।

ऐसे करें खुद को मोटिवेट
सत्यम कहते हैं कि जब भी आपको ऐसा लगे कि यह हमसे नहीं हो पाएगा, तब यह जरूर सोचें कि हम यह क्यों कर रहे हैं और आपको यह चीज क्यों करनी है और फिर अपने मम्मी-पापा का चेहरा जरूर याद करें कि अगर नहीं होगा तो मम्मी-पापा ने जो त्याग किया है उसका क्या होगा। यह छोटी-छोटी चीजे हैं और आपका भी एक सपना है कि यह चीज मुझे क्यों करना है? इस हताशा निराशा का जर्नी का एक पार्ट समझेंगे तो आप डिमोटिवेड नहीं होंगे आप मोटिवेटेड होंगे। उनका कहना है कि मोटिवेशन हमेशा इनर होता है। यह अंदर से आता है। उसके लिए आप हमेशा यही सोचें कि आप जो कर रहे हैं, वह क्यों कर रहे हैं। यदि उस 'क्यों' का आपको जवाब मिल गया तो आप हमेशा मोटिवेटेड रहेंगे। यदि आप प्रेशर में कोई काम कर रहे हैं तो मोटिवेशन चला गया, तो एक मकसद बनाएं कि यह चीज क्यों कर रहे हैं तो मोटिवेशन कभी खत्म नहीं होगा।

अपने परिवार को देते हैं सफलता का श्रेय
सत्यम अपनी सफलता श्रेय अपने पिता अखिलेश कुमार और मां मंजू कुमारी को देते हैं। उनकी सफलता में दोस्तों व टीचर्स का भी अहम योगदान है। मां गृहिणी हैं। उनके दादा सच्चिदानन्द राय किसान हैं। उनका छोटा भाई शिवम गांधी चंडीगढ में बीपीएस की पढ़ाई कर रहा है। शिवम के ग्रेजुएशन का यह तीसरा वर्ष है। सत्यम ने अपनी यूपीएससी परीक्षा की तैयारी कॉलेज की पढ़ाई के तीसरे वर्ष से ही शुरू कर दी थी। बहरहाल सत्यम की सफलता के बाद परिवार खुश है। उनकी उम्मीद जगी है, उनका त्याग रंग लाया है।

 

इंटरव्यू को बातचीत के तौर पर लें
सत्यम कहते हैं कि उनके इंटरव्यू में अधिकतम सवाल उनके डैफ (डिटेल एप्लीकेशन फार्म) से पूछे गए थे। इंटरव्यू से पहले माइंड में यही चल रहा था कि यह जो कल इंटरव्यू का 30 मिनट होने वाला है। वह आपकी जिंदगी तय करेगा। यह तीस मिनट काफी महत्वपूर्ण होने वाले हैं। मैंने यही सोचा था कि नेचुरल रहना है। घबराना नहीं है। नर्वस नहीं होना है। प्रार्थना भी कर रहा था कि इंटरव्यू अच्छा जाए। इंटरव्यू में आप यही सोचकर जाएं कि आप बात करने जा रहे हैं। आप यह नहीं सोचे की यह आपकी जिंदगी बनाएगा या बिगाड़ेगा। इसे बातचीत के तौर पर लें। खासकर डैफ में जितने कीवर्ड मेंशन हैं। उनके बारे में बारीकी से तैयारी करें। मॉक इंटरव्यू देना है ताकि आप अपने अंग्रेजी के स्तर को चेक कर सकें। हालांकि मॉक और इंटरव्यू में जमीन आसमान का अंतर होता है। उनका इंटरव्यू करीब 20 मिनट तक चला था।

इंटरव्यू में पूछे गए थे ये सवाल 
सवाल-बिहार में पूसा का क्या महत्व है?
जवाब-
वहां पर राजेंद्र प्रसाद सेंट्रल एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी है। एग्रीकल्चर के दृष्टिकोण से वह एग्रीकल्चर के महत्व का स्थान है। कोलोनियन हिस्ट्री में ये है कि लार्ड कर्जन ने वहां रिसर्च इंस्टीटयूट स्थापित किया था। वहां पर एग्रीकल्चर में अच्छे खासे रिसर्च वर्क होते हैं।

सवाल- ग्रामीण विकास के क्षेत्र में आप लागू करने के लिए क्या क्या सुझाव देंगे?
जवाब-
जो स्वंय सहायता समूह होते हैं, उसको स्ट्रांग बनाने की जरूरत है। उसको ई-कामर्स कम्पनी से जोड़ने की जरूरत है ताकि वह आत्मनिर्भर बन जाएं।

सवाल- इंडिया में स्पेस सेक्टर इतना कमजोर क्यों है, क्या वह आगे हो सकता है?
जवाब-
हमारा स्पेस सेक्टर काफी प्रोग्रेस किया है। पिछले 50 से 60 वर्षों में और वीक होने के एक दो कारण है।

सवाल- स्पेस सेक्टर में क्या करिएगा सुझाव बताइए?
जवाब-
प्राइवेट स्पेस कम्पनी को बढ़ावा देने की जरूरत है क्योंकि वह लोग इनोवेशन और कंपिटीशन लाएंगे और उसके बाद ज्यादा फंड देने की जरूरत है।

सवाल- प्राइम मिनिस्टर का विजन है लोकल टू ग्लोबल, उसको हम कैसे साकार कर सकते हैं, मैन्यूफैक्चरिंग में कैसे हम अपना एक्सपोर्ट बढ़ा सकते हैं?
जवाब-
हमे देखना होगा कि हमारा लागत पर अपेक्षाकृत लाभ किस क्षेत्र में है। हम फार्मास्यूटिकल सेक्टर में काफी अच्छे हैं। उसमें हमें और अच्छे से काम करना चाहिए। जो लेबर लॉ ओर लाजिस्टिक कास्ट होते हैं। उसको कम करने की जरूरत है। ताकि लोगों को कास्ट बेनिफिट रेशियो अच्छा मिल जाए।  

समय को सही तरीके से करें यूज
सत्यम गांधी कहते हैं कि आप जो भी कर रहे हैं, उसके लिए पूरी तरह एक योजना बनाइए और उसके मुताबिक करिए। अपना प्लान बार बार मत बदलिए लेकिन यदि आपको लगता है कि आपने पहले काफी एम्बीशियस प्लान बना लिया था तो आप उसे बदल सकते हैं। अपने सोर्सेज लिमिटेड रखिए और बार बार उनका रिवीजन करिए, यह जरूरी है। दस किताबों को एक बार बढ़ने के बजाए। दो किताबों को दस बार पढ़ना अच्छा रहेगा। आपको कंसिस्टेंस रहना है, हर दिन पढ़ना है। अपने टाइम को सही तरीके से मैनेज करना है। उसे वेस्ट नहीं करना है। डिस्ट्रैक्शन को एवाइड करें। सोशल मीडिया से अगर हो सके तो सीमित इंटरएक्शन बना कर रखें अन्यथा दूरी बना कर रखें। आम तौर पर आप सोशल मीडिया यूज कर सकते हैं लेकिन जब आप तैयारी कर रहे हैं, तो लिमिट कर दें, वरना टाइम बहुत वेस्ट होता है।

बचपन से था आईएएस बनने का सपना
सत्यम का प्रशासनिक सेवा में आने का सपना बचपन से था। कॉलेज के फर्स्ट इयर में उन्होंने ग्रामीण विकास के क्षेत्र में जिला प्रशासन रांची के साथ कुछ काम किया था। वहां उन्होंने आब्जर्व किया कि यही एक प्लेटफार्म है, जहां पर जाकर वह सही से अपना कुछ योगदान दे सकते हैं। उनकी इसी प्रेरणा ने उनके लिए यूपीएससी तक का पथ प्रशस्त किया। सत्यम कहते हैं कि यूथ को सबसे पहले अच्छा इंसान बनना बहुत जरूरी है। जीवन के किसी क्षेत्र में अनुशासन और टाइम मैनेजमेंट लाना बहुत जरूरी होता है। जरूरी नहीं कि आप सरकारी नौकरी ही देखें आप बिजनेस और अन्य रोजगार के क्षेत्र में भी अच्छा कर सकते हैं। बस जो भी आप करें उसमें आप 100 प्रतिशत दें।

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