UPSC Success Story 2020: पढ़कर क्या करोगी-शादी ही करनाी है, ऐसी मुश्किलों के बीच अब IAS बनेगी सदफ

 Asianetnews Hindi संघ लोक सेवा आयोग (UPSC 2020) में सिलेक्ट हुए 100 कैंडिडेट्स की सक्सेज जर्नी (Success Journey) पर एक सीरीज चला रहा है। इसी कड़ी में हमने सदफ चौधरी  से बातचीत की। 

Asianet News Hindi | Published : Nov 16, 2021 3:01 AM IST / Updated: Feb 05 2022, 03:20 PM IST

करियर डेस्क.  UPSC की तैयारी करने वाले कैडिडेट्स को कई तरह की मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। अमरोहा के जोया कस्बे की रहने वाली सदफ चौधरी (sadaf choudhary) की संघ लोक सेवा आयोग (UPSC 2020) में 23वीं रैंक आई है। सदफ बताती हैं कि उन्हें UPSC की तैयारी के दौरान  एक चीज हमेशा महसूस कि  वह जिस पृष्ठभूमि से आती हैं, वहां मुस्लिम लड़कियां ज्यादा पढ़ती लिखती नहीं हैं। उन्हें सामाजिक तौर पर तमाम मान्यताओं को स्वीकारना पड़ता है। जब वो तैयारी कर रहीं थी तब अक्सर उनसे लोग कहते थे कि पढ़कर क्या करोगी-शादी ही करनाी है। इसके साथ-साथ ही समाज में लोग कहते थे कि बाहर जाकर पढ़ाई नहीं करनी चाहिए। संघ लोक सेवा आयोग (UPSC 2020) के नतीजे 24 सितंबर, 2021 को जारी किए गए। फाइनल रिजल्ट (Final Result) में कुल 761 कैंडिडेट्स को चुना गया। Asianetnews Hindi संघ लोक सेवा आयोग (UPSC 2020) में सिलेक्ट हुए 100 कैंडिडेट्स की सक्सेज जर्नी (Success Journey) पर एक सीरीज चला रहा है। इसी कड़ी में हमने सदफ चौधरी  से बातचीत की। आइए जानते हैं सदफ चौधरी ने किन मुश्किलों का सामना कर UPSC का एग्जाम क्लियर किया। 

पढ़ाई करके क्या करोगी
सदफ कहती हैं कि वह वह चीज मेरे साथ साथ हमेशा चलती रही कि ज्यादा पढ़कर क्या हो जाएगा। शादी ही करनी है। उसकी परवाह करिए। बाहर पढ़ने मत जाइए। जॉब मत करिए क्योंकि आप बिगड़ जाएंगे। उनका कहना है कि वह जिस बैकग्राउंड से आती हैं। वहां यह मानसिकता रहती है। उनकी कई बार आलोचना भी हुई लेकिन उनके मन में हमेशा से यही भावना रही कि लड़कियों के लिए विशेषकर मुस्लिम कम्युनिटी की लड़कियों के लिए एक आदर्श स्थापित करना है, क्योंकि उनके लिए किसी रोल मॉडल की ज्यादा जरूरत है। यह एक ऐसी वजह थी। जिसकी वजह से सदफ को ज्यादा स्ट्रगल करना पड़ा। 

बैंक की नौकरी छोड़कर शुरू की तैयारी
सदफ की शुरुआती पढ़ाई एसएलए अमरोहा से हुई। हाईस्कूल की परीक्षा में जिला टॉपर रहीं और इंटरमीडिएट की परीक्षा 91 प्रतिशत अंकों के साथ पास हुईं। वर्ष 2010 में हाईस्कूल और वर्ष 2012 में 12वीं पास कर उन्होंने जेईई मेन्स परीक्षा दी। उसमें उनका चयन हुआ और डॉ बीआर अंबेडकर नेशनल इंस्टीट्यूट आफ टेक्नोलाजी (NIT), जालंधर में उनका दाखिला हुआ। वर्ष 2016 में एनआईटी से केमिकल इंजीनियरिंग में ग्रेजुएशन करने के बाद उन्होंने दो साल तक एक अमेरिकन बैंक के साथ काम किया लेकिन वर्ष 2018 में उन्होंने जॉब छोड़कर यूपीएससी परीक्षा की तैयारी शुरू कर दी। वर्ष 2019 की परीक्षा में उन्होंने पहला अटेम्पट दिया पर उसमें उनका प्रीलिम्स नहीं निकला। वर्ष 2020 की परीक्षा में यह उनका दूसरा अटेम्पट था।

बचपन से ही शुरू हो जाती है यूपीएससी की जर्नी
जब आप यूपीएससी परीक्षा चक्र में जाते हैं तो यह काफी लंबा रहता है। सदफ का कहना है कि यूपीएससी की जर्नी बहुत पहले से शुरू हो जाती है। शुरूआती दिनों से ही आप कैसी किताबें पढ़ रहे हैं, आपके दोस्त कैसे हैं, आपकी संगति कैसी है, किस तरह की चीजों में आप हिस्सा ले रहे हैं। इन वजहों से बचपन से ही आपके व्यक्तित्व का विकास होना शुरू हो जाता है। वह शुरूआती दिनों से ही डिबेटिंग वगैरह में पार्टीशिपेट करती थीं। उनकी जर्नी बचपन से ही शुरू हो गयी थी। सदफ का कहना है कि वर्ष 2018 में जब यूपीएससी की जर्नी शुरू की तो वह डेडिकेटेड टाइम था। ज्यादातर समय किताबों के बीच में ही गुजरता था। वह मेहनत करती थी।

घर पर ही रहकर की तैयारी
सदफ ने घर पर ही रहकर यूपीएससी परीक्षा की तैयार की। दो साल तक कड़ी मेहनत की। सदफ कहती हैं कि पढ़ाई के दौरान किसी और से ज्यादा इंटरएक्शन नहीं होता था। परीक्षा की तैयारी में सबको कुछ न कुछ कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। जब आप छोटे शहर में रह रहे हों। जहां पढ़ने के लिए रिसोर्सेज नहीं हैं, उतना गाइडेंस नहीं है। फेलियर वाली चीजें भी आपको फेस करनी पड़ती हैं। अपने इमोशन को मैनेज करना पड़ता था। जब उनका पहली बार प्रीलिम्स नहीं निकला था। पर अभी जब वह पीछे मुड़कर देखती हैं तो उन्हें लगता है कि उनकी जर्नी बहुत सफल रही है। इस जर्नी ने उन्हें बहुत कुछ सिखाया है कि कैसे अपनी पर्सनालिटी डेवलप करनी होती है। कैसे खुद को व्यवस्थित करना होता है।

निराशा में आपका प्रेरणास्रोत आता है काम
सदफ का कहना है कि मोटिवेशन अंदर से आती है। वह अपना वीकली टारगेट बनाती थी और उसे अचीव ही करती थी और जब एक बार टारगेट अचीव हो जाता था तो उन्हें पता रहता था कि उन्होंने कितनी प्रोग्रेस कर ली है और उन्हें उस विषय में कितनी आगे और तैयारी करनी है। खुद को रिचार्ज करने के लिए वह हर वीक के बाद ब्रेक लिया करती थी। उनका कहना है कि इस दौरान यह सेल्फ डाउट भी होता था कि सफल होंगे या नहीं। कभी कभी यह विचार भी आता था और वह खुद से सवाल करती थीं कि कहीं जॉब छोड़कर तैयारी करने का फैसला गलत तो नहीं था। पर ऐसे मौके पर उन्होंने अपने आपको मोटिवेट किया। उनका कहना है कि उन क्षणों में वह यही सोचती थी कि उन्होंने यूपीएससी परीक्षा की तैयारी क्यों शुरू की। उनका कहना है कि तब आपका वहीं प्रेरणास्रोत काम आता है, जब आप सेल्फ डाउट या निराशा की स्थिति में खुद से सवाल करते हैं कि आपने यह तैयारी क्यों शुरू की? आप जब उसे याद रखेंगे तो आपकी मोटिवेशन बनी रहती है।

इंटरव्यू के पहले थीं कांफिडेंट
सदफ चौधरी इंटरव्यू के पहले काफी आत्मविश्वास से लबरेज थी। इंटरव्यू के पहले उन्होंने मॉक इंटरव्यू दिया था। जिसमें उन्हें अच्छा फीडबैक मिला था। दूसरी और उस दौरान कोविड—19 महामारी की वजह से इंटरव्यू कुछ समय के लिए टाल दिया गया था। इसकी वजह से उन्हें काफी समय तैयारी के लिए मिल रहा था। सदफ का कहना है कि चूंकि वह इंटरव्यू के लिए अच्छे से तैयार थी। साक्षात्कार बोर्ड से सामना करने को लेकर कोई डर नहीं था लेकिन एक चीज बनी रहती है कि कहीं कुछ गलत न हो जाए। मेरी बहन मेरे साथ थी। उनका इंटरव्यू 35 मिनट चला था।

तैयारी से पहले प्लानिंग जरूरी
सदफ कहती हैं कि तैयारी से पहले प्लानिंग करना जरूरी है। उसे अच्छे से फॉलो करिए। अपने साथ ईमानदार रहिए कि जो टारगेट सेट किया है, उसे फालो करना ही करना है। जब आप ऐसा करेंगे तो स्टडी अच्छे से होगी। आपके अंदर कांफिडेंस भी आएगा, जो बहुत जरूरी है। उनका कहना है कि ज्यादा लोगों की सुनिए मत। जैसे कोई नया मैटेरियल आ गया। किसी ने नया सुझाव दिया तो हम बार बार भटकते रहते हैं। यह गलत है। आप 80 प्रतिशत फिक्स रहिए। अपनी योजना में 20 प्रतिशत ऊपर-नीचे कर सकते हैं। आपने अपना एक बार जो तय कर लिया है। उसे फॉलो करते जाना है। ऐसा नहीं कि एक चीज के लिए दस दस किताबों पढ रहे हैं। एक टॉपिक को दस जगह से नहीं पढें। फोकस रहिए। सोशल मीडिया का सेलेक्टिव यूज कर सकते हैं। वह खुद एक साइलेंट यूजर थी।

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