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UPSC 2020: 22 साल का यह लड़का 1st अटेम्प्ट में बनेगा आईपीएस, कहा- बिना कोचिंग घर से की पढ़ाई
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स्पोर्ट्स एक्टिविटी के साथ प्रतिदिन 8 से 10 घंटे पढ़ाई
उनका कहना है कि तैयारी के बीच-बीच में निराशा आती है। कई बार ऐसा होता है कि दिमाग को फ्रेश करने की जरूरत पड़ती है तो पर जब परिवार साथ में हो तो निराशा को हराने में काफी मदद मिलती है। वह निराशा की स्थिति में अपना दिमाग अपनी हॉबीज की तरफ डायवर्ट कर लेते थे। कॉलेज के समय से ही आदर्श क्रिकेट खेलते रहे हैं। खेलने के बाद वह रिफ्रेश महसूस करते थे और फिर नई ऊर्जा के साथ परीक्षा की तैयारी में जुट जाते थे। वह अपनी स्पोर्टस की एक्टिविटी के साथ प्रतिदिन 8 से 10 घंटे पढ़ाई करते थे।
जनवरी 2019 से शुरू की तैयारी
आदर्श शुक्ला ने लखनऊ के नेशनल पीजी कॉलेज से 2018 में ग्रेजुएशन किया और जनवरी 2019 से यूपीएससी परीक्षा की तैयारी शुरू कर दी। उसके बाद के महीनों में कोरोना महामारी का भी प्रकोप रहा। जिसकी वजह से परीक्षा के कार्यक्रमों में बदलाव हुए लेकिन आदर्श ने बिना हिम्मत हारे घर से ही तैयारी जारी रखी।
बीएससी में गोल्ड मेडल
आदर्श शुक्ला बचपन से ही पढ़ाई में अव्वल रहें। हाईस्कूल वर्ष 2013 की परीक्षा में उन्होंने यूपी में छठवां स्थान हासिल किया था। इंटरमीडिएट की परीक्षा में उन्हें 93.4 फीसदी अंक प्राप्त हुए थे। उनकी प्रारम्भिक शिक्षा चंद्रमौली स्मारक पब्लिक स्कूल से हुई और सांई इंटर कॉलेज से उन्होंने 12वीं तक की पढ़ाई की। फिर उन्होंने लखनऊ के नेशनल पीजी कॉलेज में एडमिशन लिया और बीएससी में गोल्ड मेडलिस्ट रहें।
पिता निजी कंपनी में अकाउंटेंट
आदर्श शुक्ला रामनगर तहसील क्षेत्र के मड़ना गांव के निवासी हैं, वर्तमान में बाराबंकी के मयूरविहार कॉलोनी में रहते हैं। उनके पिता डॉ राधाकांत शुक्ला निजी कम्पनी में एकाउंटेंट हैं। मां गीता शुक्ला गृहिणी हैं। उनकी बड़ी बहन स्नेहा शुक्ला एलएलएम कर चुकी है और वर्तमान में यूपीपीसीएस की तैयारी कर रही हैं।
सीमित सोर्स से पढ़ाई
उनका कहना है कि जिन लोगों को यूपीएससी क्रैक करने में कठिनाई होती है तो उनकी अपनी अलग-अलग कमियां होती हैं। किसी की मुख्य परीक्षा की तैयारी नहीं होती है। किसी के सवाल-जवाब लिखने की प्रैक्टिस में कमी होती है। सीमित सोर्स से पढ़ाई कर हम पहली बार में यूपीएससी निकाल सकते हैं। यदि हम हार्ड करें और खुद पर विश्वास रखें।
बचपन से ही सिविल सर्विस में जाने का बनाया था मन
आदर्श ने बचपन से ही सिविल सर्विसेज में जाने का मन बनाया था। शुरुआती दिनों से ही वह इस बारे में पढ़ते थे तो उन्हें पता चलता था कि आईएएस की ऑथारिटी से काफी काम किया जा सकता है। परिवार की तरफ से भी एक्सपोजर मिलता था कि इस सर्विस में ऐसा होता है। उन्होंने इंटरनेट पर सर्च कर सिविल सर्विस के बारे में ज्यादा जानकारी एकत्रित की तो उन्हें पता चला कि यह सर्विस उनके लिए सही है। बस तभी से उन्होंने सिविल सर्विस में जानें का संकल्प लिया।
खुद को इंफीरियर फील न करें
आदर्श कहते हैं कि युवाओं को कभी भी खुद को इंफीरियर फील नहीं करना चाहिए। कोई भी चीज पहली बार ही होती है। मेहनत करें, क्योंकि हार्ड वर्क का कोई विकल्प नहीं है। ज्यादा डिस्ट्रैक्शन नजरअंदाज करें। बहुत ज्यादा सोर्सेज के पीछे मत भागें। लाइफ को ज्यादा इंज्वाय करने के फेर में अपना कंसंट्रेशन न छोड़ें और साथ में परिवार और दोस्तों का सपोर्ट बनाए रखें तो सफलता निश्चित मिलेगी आप अपना सपना पूरा कर पायेंगे।
परिवारजनों व दोस्तों को देते हैं क्रेडिट
वह अपनी असफलता का श्रेय अपने मां व पिता को देते हुए कहते हैं कि अभिभावकों का उनके साथ पूरा सपोर्ट रहा। उन्होंने उन्हें एक अच्छा माहौल दिया। शुरूआती दिनों की पढ़ाई से लेकर अब तक उन्होंने मुझे कोई दिक्कत महसूस नहीं होने दी। परेशानियों से दूर रखा। उनकी फ्रेंड सर्किल सीमित है। पर उस सीमित फ्रेंड सर्किल ने भी उनकी काफी मदद की। आदर्श अपने उन दोस्तों के योगदान को भी अहम मानते हैं।
यूपीएससी तक की यात्रा ने बेहतर इंसान बनने में की मदद
आदर्श कहते हैं कि उनकी यूपीएससी तक की जर्नी एक संकल्प की जर्नी थी। उसे मेंटेन रखने के लिए उन्होंने हार्ड वर्क किया। इस यात्रा में नयी नयी चीजें सीखने को मिलीं। ऐसी बहुत सी चीजों के बारे में जानकारी हुई। जिनके बारे में उन्हें पहले जानकारी नहीं थी। उनका कहना है कि इस पूरी यात्रा में एक परिपक्वता और अवेयरनेस थी। इससे बहुत सारे अनुभव भी प्राप्त हुए। इस यात्रा ने एक बेहतर इंसान बनने में मदद की। वह यूपीएससी तक की अपनी यात्रा को इसी तरह याद करते हैं।
वार्तालाप की तरह फेस किया इंटरव्यू
उनका कहना है कि इंटरव्यू के बारे में बाहरी दुनिया में जो बातें होती है। इंटरव्यू में ऐसा होता नहीं है, इंटरव्यू बहुत रिलेक्स माहौल में होता है। बोर्ड के सदस्य आपको कम्फर्ट फील कराते हैं। आदर्श कहते हैं कि इंटरव्यू में यही सोच कर गया था। जैसे वह अपने से बड़ों से बात करते हैं। बड़ों से वार्तालाप को वह सवाल—जवाब की तरह नहीं लेते हैं। उसी तरह इंटरव्यू को भी एक वार्तालाप की तरह लेना है। उनका इंटरव्यू कुल 25 मिनट चला था। उनसे ज्यादातर सवाल हॉबीज और पर्सनल लाइफ के बारे में पूछा गया था।
खुद को तनाव से दूर रखना व शांत रहना जरूरी
आदर्श ने इंटरव्यू के पहले ही यह तय किया था कि इंटरव्यू वाले दिन खुद को तनाव से दूर रखना है, शांत रहना है। ऐसी कोई चीज नहीं पढ़नी है और न ही देखना है, जिससे तनाव हो। खुद को एकदम कंपोज कर लिया था। उन्होंने यही तय किया था कि जिस सवाल का जवाब नहीं आता है। उस पर कहूंगा कि मुझे इसका जवाब नहीं आता है। उस पर एक दम ईमानदार रहूंगा।
जो होता है, पहली बार ही होता है
आदर्श कहते हैं कि मैंने सोचा जो भी होता है, पहली बार ही होता है। उनकी जानकारी में बाराबंकी में रहने वालों में से कोई इस तरह तैयारी करके सिविल सर्विस में गया हो, ऐसा अभ्यर्थी नहीं दिखा तो उन्होंने सोचा कि एक बार कोशिश करते हैं। यदि मेहनत करेंगे तो हो सकता है कि भाग्य मेरे साथ हो और मदद मिल जाए। उनका कहना है कि जो लोग दिल्ली जाकर तैयारी करते हैं तो उनके लिए एक चीज अच्छी होती है कि कई स्टूडेंट एक साथ तैयारी कर रहे होते हैं। वह लोग आपस में डिस्क्शन वगैरह भी कर लेते हैं। आस पास के छात्रों को देखकर ज्यादा डिस्ट्रैक्ट नहीं हुआ। जब मुख्य परीक्षा का परिणाम आया तो उसके बाद डिस्कशन शुरू किया। वरना यूपीएससी परीक्षा की पूरी जर्नी में अकेले ही तैयारी की।
तैयारी कई मायनों में रही दूसरों से अलग
आदर्श शुक्ला की संघ लोक सेवा आयोग परीक्षा की तैयारी कई मायनों में दूसरों से अलग रहीं। उन्होंने घर से ही परीक्षा की तैयारी शुरू कर दी थी। उन्होंने तैयारी में सहायता के लिए कोचिंग सेंटर भी ज्वाइन नहीं किया। आदर्श का कहना है कि उन्होंने पहले से ही यह तय कर लिया था कि वह घर से ही तैयारी कर अपना सपना पूरा करेंगे।
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