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तीसरे प्रयास में पूरा हुआ IAS का सपना, UPSC में हासिल की 44वीं रैक, पिता के निधन के बाद भी नहीं रोकी तैयारी
करियर डेस्क. करियर डेस्क. संघ लोक सेवा आयोग (UPSC 2020) के नतीजे 24 सितंबर, 2021 को जारी किए गए। फाइनल रिजल्ट (Final Result) में कुल 761 कैंडिडेट्स को चुना गया। Asianetnews Hindi 2020 में सिलेक्ट हुए 100 कैंडिडेट्स की सक्सेज जर्नी (Success Journey) पर एक सीरीज चला रहा है। इस कड़ी में 44वीं रैंक पाने वाले लखनऊ के दिव्यांशु निगम (Divyanshu Nigam) से बातचीत की। दिव्यांशु ने बिट्स पिलानी के गोवा कैंपस से केमिकल इंजीनियरिंग की डिग्री ली है। पहले टर्म में उन्हें सफलता नहीं मिली थी जबकि दूसरे प्रयास में मेन एग्जाम तो पास किए लेकिन इंटरव्यू तक नहीं पहुंच पाए। तीसरे प्रयास में उन्हें यह सफलता मिली। उनके पिता श्याम कुमार निगम इंडियन फारेस्ट सर्विस में थे। बचपन से ही घर में पढ़ाई का माहौल था। आइए जानते हैं दिव्यांशु निगम की सक्सेज जर्नी।
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इंटरव्यू की तैयारी के दौरान हुई पिता की मौत
कोरोना की दूसरी लहर के दौरान दिव्यांशु निगम जब इंटरव्यू की तैयारियों में जुटे थे। उस समय उनके पिता की तबियत खराब हो गई। इला के दौरान अस्पताल में उनकी मौत हो गई। पिता की मौत दिव्यांशु के लिए असहनीय थी। बेटे के तीसरे प्रयास में इंटरव्यू तक पहुंचने से उनके पिता बहुत खुश थे लेकिन वह दिव्यांशु को आईएएस बनते देख नहीं सके। इसके बाद भी दिव्यांशु ने खुद को संभाला। इंटरव्यू की तैयारी शुरू की।
खुद को ऐसे करते थे मोटिवेट
दिव्यांशु कहते हैं कि पढ़ाई करनी महत्वपूर्ण होती है। अनुशासन के साथ पढ़ना होता है। जीवन में उतार-चढाव आते रहते हैं। उनका कहना है कि यूपीएससी की तैयारी के बीच जब कभी हताशा या निराशा आए तो पहले यह सोचना चाहिए कि आप परीक्षा की तैयारी क्यों कर रहे हैं। उन्हें भी जब निराशा होती थी तो वह खुद को ऐसे ही मोटिवेट करते थे। परिवार व मित्र उत्साह बढ़ाते थे। उनके पिता इंडियन फारेस्ट सर्विस में थे तो उन्हें बचपन से ही ऐसा माहौल मिला, जिससे उन्हें पता कि सिविल सर्विस के जरिए कुछ बढ़िया काम करने का मौका मिलेगा। एक प्राइड फील होगी। उन्हें परिवार से सपोर्ट मिलता रहा और वह आगे बढते रहे।
तय करें कि आप क्यों कर रहे हैं परीक्षा की तैयारी
दिव्यांशु का कहना है कि पहले तय करें कि आप यूपीएससी परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं, वह क्यों कर रहे हैं। समर्पण के साथ रोज पढ़ना है। यूपीएससी के पाठयक्रम के हिसाब से पढें। जब भी निराशा महसूस हो तो सोचें कि इस क्षेत्र में क्यों आएं? रिर्सोसेज सीमित रखिए। ज्यादा से ज्यादा रिवीजन करिए। लिखने का अभ्यास करें। जो चीजें आपको डिस्ट्रैक्ट करती हैं। उसे नजरअंदाज करिए। समर्पण के साथ आठ घंटे प्रतिदिन पढ़ाई करें।
पिता को देते हैं श्रेय
सफलता का श्रेय अपने पिता को देते हुए दिव्यांशु कहते हैं कि किताबें बहुत सिखाती हैं। टीचर्स का अहम योगदान है। इंटरव्यू वाले दिन थोड़ी चिंता रहती है लेकिन परिवार के लोगों और दोस्तों से मिला तो अच्छा लगा।
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