25 साल की उम्र में इस बहादुर बेटी ने कारगिल में दिखाया था अदम्य साहस, इनके जीवन पर बन चुकी है फिल्म

गुंजन (gunjan saxena)  एक भारतीय वायु सेना ऑफिसर और पूर्व हेलीकॉप्टर पायलट हैं। गुंजन 1994 में भारतीय एयरफोर्स (IAF) में शामिल हुईं थीं। 1999 के कारगिल युद्ध में भी उन्होंने हिस्सा लिया था। इस कारण से उन्हें कारगिल गर्ल के रूप में भी जाना जाता है। 

करियर डेस्क. परिवार संभालने की जिम्मेदारी हो या फिर जंग का मैदान। आधुनिक युग में महिलाएं किसी भी तरह से पुरुषों से पीछे नहीं हैं। हम आपको एक ऐसी ही महिला के बारे में बता रहे हैं जिसने युद्ध के मैदान में इतिहास रचा था। देश की इस बहादुर बेटी के ऊपर बॉलीवुड में फिल्म भी बन चुकी है। हम बात कर रहे हैं फ्लाइट लेफ्टिनेंट गुंजन सक्सेना (gunjan saxena) की। गुंजन एक भारतीय वायु सेना ऑफिसर और पूर्व हेलीकॉप्टर पायलट हैं। गुंजन 1994 में भारतीय एयरफोर्स (IAF) में शामिल हुईं थीं। 1999 के कारगिल युद्ध में भी उन्होंने हिस्सा लिया था। इस कारण से उन्हें कारगिल गर्ल के रूप में भी जाना जाता है। आइए जानते हैं कौन हैं गुंजन सक्सेना।

इसे भी पढ़ें- अब गृहणी भी कमा सकती हैं लाखों रुपए, बस घर बैठे करना होगा ये काम, जानें बिजनेस फॉर्म होम के 7 तरीके

Latest Videos

गुंजन सक्सेना वो पहली भारतीय महिला पायलट थी, जो वॉर ज़ोन में गई और एयर फ़ोर्स के रेस्क्यू मिशन में हिस्सा लिया था।  2020 में बॉलीवुड फिल्म गुंजन सक्सेना: द कारगिल गर्ल उनके जीवन से प्रेरित है। गुंजन सक्सेना ने 1999 के कारगिल युद्ध में 18 हजार फीट की ऊंचाई में चीता हेलीकॉप्टर उड़ाया था और भारतीय आर्मी को मदद पहुंचाई थी। 

गुंजन सक्सेना ने दिल्ली विश्वविद्यालय के हंसराज कॉलेज से अपना ग्रेजुएशन पूरा किया था। ग्रेजुएशन करने के बाद उन्होंने इंडियन एयरफोर्स ड्वाइन किया। वो 1994 में शामिल हुईं थी। उसके पांच साल बाद जब कारगिल की लड़ाई हुई तो उन्होंने अपने साहस का परिचय दिया। सक्सेना का जन्म एक सेना परिवार में हुआ था। उनके पिता लेफ्टिनेंट कर्नल अनूप कुमार सक्सेना और भाई लेफ्टिनेंट कर्नल अंशुमान आर्मी में थे।

इसे भी पढ़ें- बैंकॉक घूमने गई और वहां से मिला आइडिया, फिर इस लड़की ने खड़ी कर दी एक अरब डॉलर की कंपनी

फ्लाइंग ऑफिसर गुंजन सक्सेना 24 साल की थीं जब उन्होंने कारगिल युद्ध में मौर्चा संभाला था। कारगिल युद्ध में ऑपरेशन विजय में उनके पास जख्मी सैनिकों को निकालने के साथ-साथ द्रास और बातालिक क्षेत्र में इंडियन आर्मी को मदद पहुंचाने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। इस दौरान उन्होंने करीब 900 घायल सैनिकों को निकाला था।  

Share this article
click me!

Latest Videos

Devendra Fadnavis के लिए आया नया सिरदर्द! अब यहां भिड़ गए Eknath Shinde और Ajit Pawar
कड़ाके की ठंड के बीच शिमला में बर्फबारी, झूमने को मजबूर हो गए सैलानी #Shorts
समंदर किनारे खड़ी थी एक्ट्रेस सोनाक्षी सिन्हा, पति जहीर का कारनामा हो गया वायरल #Shorts
पहले गई सीरिया की सत्ता, अब पत्नी छोड़ रही Bashar Al Assad का साथ, जानें क्यों है नाराज । Syria News
LIVE 🔴: बाबा साहेब का अपमान नहीं होगा सहन , गृहमंत्री अमित शाह के खिलाफ बर्खास्तगी की उठी मांग'