'सरकार' जैसी फिल्मों के लेखक और सेक्शन 375(2019) व 420 IPC(2021) जैसी कोर्ट रूम ड्रामा फिल्मों के डायरेक्टर मनीष गुप्ता फिल्म इंडस्ट्रीज की मौजूदा स्थिति पर बेहिचक अपनी बात रखते हैं। वे इंडस्ट्रीज के ऐसे चंद लोगों में शुमार हैं, जो 'जी हुजूरी' के बूते काम लेना पसंद नहीं करते। मनीष गुप्ता फिल्म इंडस्ट्रीज के नए डायरेक्टर को मैसेज देते हैं कि स्क्रिप्ट आपकी है, तो कलाकारों को चुनने का हक भी आपका ही होना चाहिए। पढ़िए एक्सक्लूसिव इंटरव्यू...
बॉलीवुड डेस्क (अमिताभ बुधौलिया). वर्ष, 2005 में रिलीज हुई रामगोपाल वर्मा के करियर की एक बेहतरीन पॉलिटिकल क्राइम थ्रिलर फिल्म 'सरकार' लिखने वाले मनीष गुप्ता(Manish Gupta) फिल्म इंडस्ट्रीज के उन गिनती के लोगों में शामिल हैं, जिनके सिर्फ काम में ही व्यवस्थाओं की त्रुटियों के विरुद्ध आक्रोश दिखाई नहीं देता है, बल्कि उनके विचारों में भी यह साफ झलकता है। वे हर मुद्दे पर बिना लागलपेट के अपनी बात रखते हैं। पहली ही फिल्म से सुर्खियां बंटोरने वाले मनीष गुप्ता अपनी हालिया सस्पेंस कोर्ट रूम ड्रामा फिल्म '420 IPC' के कारण चर्चाओं में हैं। यह फिल्म एक सामाजिक चेतना की फिल्म है। मनीष गुप्ता कुछ हाथों में फिल्म इंडस्ट्रीज के कैप्चर होने पर भी ठीक वैसा ही रियेक्शन देते हैं, जैसा उनकी फिल्मों में दिखाई देता है, बिंदास-बेहिचक। पढ़िए मनीष गुप्ता का विशेष साक्षात्कार...
एक्टर तय करने लगे हैं कि डायरेक्टर कौन होगा?
46 वर्षीय मनीष गुप्ता के बारे में कहा जाता है कि वे नफा-नुकसान की फिक्र किए बगैर अपनी बात रखते हैं। फिल्म इंडस्ट्रीज की मौजूदा स्थिति पर भी वे खुलकर बोलते हैं, बेहिचक-"इंडस्ट्रीज में कुछेक ही बड़े फिल्म प्रॉडक्शन/प्लेटफॉर्म हैं, गिनती के बड़े कलाकार हैं, जबकि डायरेक्टर बहुत सारे। आजकल डायरेक्टर तय नहीं करते कि फिल्म में कौन कलाकार होगा, बल्कि कलाकार तय करते हैं कि फिल्म का डायरेक्टर कौन होगा? कहानी कैसे शूट करनी है। डायरेक्टर के हाथ में कुछ नहीं होता। मेरा नए डायरेक्टर को यह मैसेज है कि स्क्रिप्ट के हिसाब से उन्हें कलाकार चुनने का पूरा हक होना चाहिए।"
लंबी रिसर्च करता हूं
आमतौर पर इस समय फिल्म इंडस्ट्रीज में स्क्रिप्ट से अधिक एक्टर-एक्ट्रेस पर अधिक फोकस किया जाने लगा है। यानी पहले कलाकार तय होते हैं, फिल्म स्क्रिप्ट पर काम शुरू होता है। लेकिन मनीष गुप्ता रिसर्च बेस्ड फिल्मों के लिए जाने जाते हैं। वे अपनी फिल्मों के लेखन में लंबा समय लेते हैं। वे '420 IPC' के अलावा सेक्शन 375(2019) का जिक्र करते हुए कहते हैं-'मेरी कहानियां आसपास की घटनाओं से ही आती हैं। 420 IPC की स्क्रिप्ट के लिए मैंने कोर्ट रूम में जाकर कुछ मामले करीब से जाने-समझे। करीब 3 साल की रिसर्च के बाद फिल्म लिखी। सेक्शन 375 के लिए भी कानून और न्याय व्यवस्था की बारीकियां देखीं। कैसे कोर्ट रूम में पहनावा होता है, बातचीत होती है, धाराएं, डॉक्यूमेंट्स सब हूबहू मेरी फिल्मों में दिखेगा। इसके लिए लंबी तैयारियां कीं।'
420 IPC का आइडिया
आर्थिक अपराध(economic offense) बड़ा मुद्दा है। इन अपराधों के पीछे पढ़े-लिखे और बड़े लोग शामिल होते हैं। मर्डर एक सामान्य अपराध है, लेकिन आर्थिक अपराध बहुत बड़ा क्राइम बन चुके हैं। ऐसे अपराधों के बारे में काफी कुछ पढ़ने-सुनने को मिलता रहता है। इन अपराधों के पीछे कौन-कैसे काम करता है, इसी को दिखाने पूरी रिसर्च के बाद 420 IPC लिखी।
कलाकारों को फिल्म नहीं सुनाता(narrate)
मनीष गुप्ता एक खुलासा करते हैं कि वे अपनी स्क्रिप्ट कलाकारों को नहीं सुनाते(narrate) हैं, बल्कि कहानी के बारे में बताकर सीधा साइन करते हैं। वे बिंदास कहते हैं-'मैं जो भी स्क्रिप्ट लिखता हूं, उसमें एक-एक चीज-बात क्लियर होती है कि कैसे शूट होगा, कैमरा चलेगा आदि। इसलिए स्क्रिप्ट को लेकर कोई संदेह नहीं होता।'
डरना जरूरी है
मनीष गुप्ता को राइटिंग से बतौर डायरेक्टर पहला ब्रेक रामगोपाल वर्मा की फिल्म 'डरना जरूरी है' से मिला था। आमतौर पर पहला प्रोजेक्ट सबको प्रिय होता है, चाहे वो कैसा भी बना हो; लेकिन मनीष गुप्ता दो टूक कहते हैं-"वो मेरी फिल्म नहीं थी, वो रामगोपाल वर्मा की फिल्म थी। मैं उसे अपनी फिल्मों की गिनती में नहीं रखता।"
साउथ की फिल्में और बॉलीवुड
मनीष गुप्ता इसे महज इत्तेफाक मानते हैं कि पिछले कुछ समय से हिंदी बॉलीवुड के बजाय साउथ की फिल्में दर्शकों को अधिक पसंद आ रही हैं। बाहुबली से लेकर पुष्पा तक के सवाल पर वे कहते हैं-'साउथ की फिल्में आज से नहीं, पहले से ही हिंदी में डब होती रही हैं, लेकिन कुछ फिल्में चल जाने पर यह कहना सही नहीं होगा कि साउथ की फिल्म इंडस्ट्री बॉलीवुड पर हावी हो रही है।''
सस्पेंस थ्रिलर के मास्टर
मनीष गुप्ता सस्पेंस/थ्रिल और कोर्ट रूम ड्रामा फिल्म शैली के लेखकों में शुमार हैं। इसकी वजह उनकी ज्यादातर फिल्मों का प्लॉट इसी के इर्द-गिर्द बुना जाता है। द स्टोनमैन मर्डर्स(2009), हॉस्टल(2011),रहस्य(2015), सेक्शन 375(2019) और 420IPC (2021) के बाद अब वे रवीना टंडन के साथ एक नई थ्रिलर फिल्म 'वन फ्राइडे नाइट(One Friday Night)' लेकर आ रहे हैं। इसे लिखा भी मनीष गुप्ता ने है। इस फिल्म में रवीना अपने करियर में पहली बार निगेटिव रोल में नजर आएंगी। वे एक ऐसी भूमिका में दिखाई देंगी, जो दर्शकों ने पहले कभी नहीं देखी होगी। मनीष गुप्ता कहते हैं-'फिल्म के पोस्ट प्रॉडक्शन पर काम चल रहा है। जल्द यह फिल्म आपके सामने होगी।'
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