KK Post Mortem Report: केके की मौत मामले में बड़ा खुलासा, इस तरीके से बचाई जा सकती थी सिंगर की जान

kk post mortem report: फेमस सिंगर  कृष्णकुमार कुन्नाथ उर्फ केके अब हमारे बीच नहीं रहें। 2 जून को उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा। इस बीच एक बड़ी खबर सामने आई है कि अगर उन्हें तय वक्त पर सीपीआर दिया जाता तो उनकी जान बचाई जा सकती थी। 

एंटरटेनमेंट डेस्क. बॉलीवुड सिंगर केके (KK death) इस दुनिया को हमेशा के लिए अलविदा कह गए। गुरुवार यानी 1 जून को उनके शव का पोस्टमार्टम किया गया। जिसमें एक बड़ा खुलासा हुआ है।  उनकी मौत की वजह हार्ट अटैक थी। इसके साथ ही यह भी कहा गया है कि अगर उन्हें तय वक्त पर सीपीआर दी जाती तो उनकी जान बचाई जा सकती थी। इसके साथ यह भी पता चला है कि वो एंटासिड लेते थे। 

डॉक्टर ने बताया कि  उनकी लेफ्ट साइड की मेन कोरोनरी धमनी  (coronary artery ) में एक बड़ी रुकावट थी और अन्य धमनियो (arteries) में छोटे अवरोध थे। लाइव शो के दौरान ज्यादा एक्साइटमेंट के कारण रक्त प्रवाह रुक गया, जिससे हृदय गति रुक ​​गई। जिसकी वजह से उनकी जान गई। डॉक्टर ने कहा कि सिंगर को बचाया जा सकता था अगर किसी ने बेहोश होने पर तुरंत बाद कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन (सीपीआर) दिया होता। उन्होंने बताया कि गायक को लंबे समय से दिल संबंधित समस्याएं थीं। जिनका तुरंत इलाज नहीं हुआ। सिंगर के बाई मुख्य कोरोनरी धमनी में 80 प्रतिशत रुकावट थी। जबकि अन्य धमनियों में छोटे-छोटे क्लॉट थे। कोई भी रुकावट 100 प्रतिशत नहीं थी। ऐसे में उनकी जान बचाई जाती अगर सीपीआर दिया गया होता।

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ज्यादा उत्तेजना की वजह से सिंगर का खून प्रवाह रुका

डॉक्टर के मुताबिक तो मंगलवार (31 मई) को स्टेज परफॉर्मेंस के दौरान सिंगर स्टेज पर तेजी से घूम रहे थे कई बार भीड़ के बीच जाकर डांस कर रहे थे। जिससे अत्यधिक उत्तेजना पैदा हुई। इसकी वजह से खून का प्रवाह रुक गया। जिसकी वजह से हृदय गति रुक ​​गई। जिसकी वजह से कम समय के लिए दिल की धड़कन अनियमित हो गई। इस वजह से सिंगर बेहोश हो गए और उन्हें कार्डियक अरेस्ट हुआ। अगर सीपीआर तुरंत दिया जाता, तो उन्हें तुरंत बचाया जा सकता था।

क्या होता है सीपीआर
सीपीआर इमरजेंसी में दी जाने वाली मेडिकल प्रक्रिया है। सीपीआर यानी कार्डियो पल्मोनरी रिससिटैशन जिससे दिल का दौरा पड़ने के दौरान तुरंत दिया जाता है। सीपीआर में हृदय गति रुक जाने पर दोबारा शुरू करने की प्रक्रिया है। जिससे ऑक्सीजन लेवल फेफड़ों में जाकर  हृदय गति  को फिर से सामान्य करके इसे शुरू कर सकें। सीपीआर के लिए ट्रेनिंग दी जाती है। इससे कई लोगों की जान बचाई जा सकती है। हार्ट अटैक आने पर,हाइपोवॉल्मिक शॉक होने पर,बेहोश होने पर, बिजली का झटका लगने वाले व्यक्ति को तुरंत सीपीआर देकर बचाया जा सकता है।

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