जब रामलीला में सीता बनते थे रवि किशन, पिता से पड़ती थी खूब डांट, नहीं चाहते थे बेटा करे एक्टिंग

भोजपुरी के सुपरस्टार और यूपी के गोरखपुर के सांसद रवि किशन के पिता का मंगलवार को देहांत हो गया। रवि किशन के पिता श्याम नारायण शुक्ल काफी समय से बीमार चल रहे थे। उनका मुंबई में इलाज चल रहा था।

Asianet News Hindi | Published : Jan 1, 2020 8:45 AM IST

मुंबई. भोजपुरी के सुपरस्टार और यूपी के गोरखपुर के सांसद रवि किशन के पिता का मंगलवार को देहांत हो गया। रवि किशन के पिता श्याम नारायण शुक्ल काफी समय से बीमार चल रहे थे। उनका मुंबई में इलाज चल रहा था। रवि किशन के पिताजी कभी नहीं चाहते थे कि उनका बेटा एक्टर बने। इसलिए जब भी रवि किशन रामलीला में सीता का रोल प्ले करते थे तो उनके पिताजी उन पर काफी नाराज हुआ करते थे। कभी-कभी तो बात इतनी बिगड़ जाती थी कि वो रवि की जमकर पिटाई भी करते थे। 

रवि किशन ने खुद बताई थी ये बात

रवि किशन अक्सर इवेंट्स और फंक्शन्स का हिस्सा बनते हैं। वो वहां पर अपने जीवन से जुड़े किस्से भी सुनाया करते थे। वो अपने पिता की बातों को याद कर इमोशनल भी हो जाया करते हैं। एक बार इंटरव्यू में रवि किशन ने बताया था, '1990 में जब गांव छोड़कर वो मुंबई आ गए थे तब उनके पास न खाने के लिए पैसे थे और न सिर छुपाने के लिए कोई ठिकाना। दो वक्त की रोटी के लिए मैं रोज काम काम ढूंढता था। काम मिल जाता तो भर पेट खाता, नहीं तो भूखे पेट ही रात बितानी पड़ती थी।' रवि को बचपन से ही एक्टिंग का शौक था और वो दिखने में भी काफी सुंदर थे इसलिए गांव के लोग उन्हें ज्यादातर महिला का रोल देते थे। 

पिताजी ने की थी खूब पिटाई

रवि ने बताया था कि वो गांव की रामलीला में कभी-कभी सीता का रोल प्ले करते थे। लेकिन ये पिताजी को पसंद नहीं था कि बेटा पढ़ने-लिखने की जगह नाटक में एक्टिंग करे। पिताजी को लगता था कि उनका बेटा नालायक हो गया है। वो जीवन में कुछ नहीं कर पाएंगे। खानदान का नाम खराब होगा। इस वजह से नाराज रवि किशन के पिताजी अक्सर उनकी पिटाई कर देते थे। एक दिन गुस्से में उनके पिताजी उन्हें खूब पीटा। इस दौरान उनकी मां बचाने की भी कोशिश की, लेकिन रवि के पिता मानने के लिए तैयार ही नहीं थे। इसलिए उनकी मां ने कहा था कि बेटा जान बचाकर भाग जाओ। रवि तब घर से भागकर मुंबई आ गए। यहां वो दो रुपए का बड़ा पाव खाकर गुजारा करते थे।  

बता दें, रवि किशन ने बॉलीवुड में 1991 में आई फिल्म 'पितांबर' से डेब्यू किया था। हालांकि, उनकी ये फिल्म कुछ खास नहीं चली लेकिन उनकी एक्टिंग लोगों को काफी पसंद आई। वे हिंदी सिनेमा में अपने सपोर्टिंग रोल से लोगों का दिल जीतने लगे और धीरे-धीरे स्टार बन गए।

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