शक्ति कपूर की बेटी ने बयां किया पिंजरों में बंद जानवरों का दर्द, बनीं बेजुबानों की आवाज

शक्ति कपूर की बेटी श्रद्धा कपूर ने लॉकडाउन के दौरान सोशल मीडिया पर एक वीडियो शेयर किया है। इसमें श्रद्धा पिंजरों में बंद बेजुबान जानवरों का दर्द बयां कर रही हैं। 

Asianet News Hindi | Published : May 16, 2020 7:47 AM IST / Updated: May 16 2020, 01:18 PM IST

मुंबई। शक्ति कपूर की बेटी श्रद्धा कपूर ने लॉकडाउन के दौरान सोशल मीडिया पर एक वीडियो शेयर किया है। इसमें श्रद्धा पिंजरों में बंद बेजुबान जानवरों का दर्द बयां कर रही हैं। उन्होंने चिड़ियाघरों को बंद करने की अपील करते हुए लिखा, "इस लॉकडाउन के दौरान हम में से बहुत से लोग चिंतित और पराधीन महसूस कर रहे हैं। कल्पना कीजिए की आपको अपने परिवार और घर से दूर रखा जाए तथा अपने पूरे जीवन काल के लिए जेल में बंद कर दिया जाए तो आपको कैसा महसूस होगा?'' 

जानवरों के अधिकारों के लिए काम करने वाली संस्था पेटा इंडिया द्वारा बनाए गए इस वीडियो में श्रद्धा कपूर खुद एक बाघिन के बच्चे की आवाज बनी हैं। इस बेजुबान के जरिए श्रद्धा ने चिड़ियाघरों में बंद जानवरों की भावुक कहानी सुनाई है। 

पिंजरे में कैद शावक कहता है, "मेरी मां कहती है कि दूर कहीं एक जादुई नगरी है, जिसका नाम है आजादी। जहां न बेड़ियां हैं, न कोई बंदिश। सब एक समान हैं। जहां मेरे जैसे बच्चे खुले मैदानों में घूमते-फिरते हैं। जहां तेज हवाओं से तेज दौड़ते हैं हमारे पैर। कई किस्म के दोस्त हैं सबके। और खेलते भी सब एक साथ हैं। साहस भरी छलांग लगाते हैं। शाम हुई और थक गए, तब भी परिवार को लौट जाते हैं। है न कमाल की कहानी।"

इसके बाद वह कहती है, "लेकिन मेरी जिंदगी इस कहानी से बिल्कुल अलग है। मैं तो पैदा ही इस पिंजरे में हुई हूं। दो साल से यही मेरा घर है। मेरी मां आठ सालों से यहीं कैद है। आठ साल में कितने दिन होते हैं और कितने घंटे?" आखिर में उस शावक ने लॉकडाउन में रह रहे लोगों से सवाल पूछा, "आपको कितने दिन हुए? जानती हूं तकलीफ तो आपको भी बहुत हो रही होगी। मैं अपनी मां से कहूंगी कि वह आपको भी उस जादुई नगरी की कहानी सुनाए। आजादी की बात करने से शायद आजादी महसूस होने लगे। क्या यह मुमकिन नहीं कि यह जादुई नगरी सच में कहीं हो। क्या सच में कभी मेरी मां आजाद थी। क्या यह मुमकिन नहीं कि आप मुझे आजादी की सैर कराएं। आजादी की राह पर ले चलेंगे मुझे? या फिर यूं ही मैं इस पिंजरे में दिन गिनती रहूंगी? और दिन गिनते-गिनते एक दिन मर जाउंगी।"

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