8 अक्टूबर, 1926 को बलूचिस्तान (पाकिस्तान) में जन्मे राजकुमार की बुधवार को 93वीं बर्थ एनिवर्सरी है। वैसे, राजकुमार का असली नाम कुलभूषण पंडित है। जितनी बेहतरीन राजकुमार की एक्टिंग और डायलॉग डिलिवरी होती थी, उतने ही इंटरेस्टिंग उनकी लाइफ के किस्से भी हैं।
मुंबई। गुजरे जमाने के एक्टर राजकुमार को आज भी उनकी बुलंद आवाज और डायलॉग डिलिवरी के लिए याद किया जाता है। 8 अक्टूबर, 1926 को बलूचिस्तान (पाकिस्तान) में जन्मे राजकुमार की बुधवार को 93वीं बर्थ एनिवर्सरी है। वैसे, राजकुमार का असली नाम कुलभूषण पंडित है। जितनी बेहतरीन राजकुमार की एक्टिंग और डायलॉग डिलिवरी होती थी, उतने ही इंटरेस्टिंग उनकी लाइफ के किस्से भी हैं। वे स्क्रीन पर ही नहीं, रियल लाइफ में भी बेबाकी के लिए जाने जाते थे। राजकुमार की बेबाक जुबान का शिकार अमिताभ बच्चन भी हो चुके हैं। एक बार पार्टी में जब राजकुमार, अमिताभ बच्चन से मिले तो उन्होंने बिग बी के सूट की तारीफ कर दी। तब अमिताभ ने खुश होकर उन्हें उस जगह का पता बताना चाहा, जहां से उन्होंने सूट खरीदा था। इससे पहले कि वे कुछ बोलते राजकुमार बोल पड़े- "मुझे कुछ पर्दे सिलवाने थे।" यह बात सुनकर बिग बी मुस्कराकर रह गए थे।
जब गोविंदा की शर्ट का बना लिया था रुमाल...
राज कुमार और गोविंदा फिल्म 'जंगबाज' (1989) की शूटिंग कर रहे थे। गोविंदा शानदार शर्ट पहने हुए राजकुमार के साथ शूटिंग खत्म होने के बाद वक्त बिता रहे थे, तभी राज कुमार ने उनसे कहा, "यार तुम्हारी शर्ट बहुत सुंदर है।" गोविंदा यह बात सुनकर खुश हो गए। उन्होंने तब राज कुमार से कहा, "सर, आपको यह शर्ट पसंद आ रही है तो आप रख लीजिए।" राज कुमार ने उनसे शर्ट ले ली। गोविंदा खुश हुए कि राज कुमार उनकी शर्ट पहनेंगे और उनकी पसंद की तारीफ करेंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। दो दिन बाद सेट पर उन्होंने देखा कि राज कुमार ने उस शर्ट का एक रुमाल बनवाकर अपनी जेब में रखा हुआ है।
जब जीनत से बोले, फिल्मों में ट्राय क्यों नहीं करतीं...
बात 70 के दशक की है, जीनत अमान फिल्म इंडस्ट्री में फेमस हो गई थीं। देव आनंद स्टारर फिल्म 'हरे रामा हरे कृष्णा' का 'दम मारो दम' गाना धूम मचा चुका था और जीनत की पॉपुलैरिटी रातों-रात बुलंदियों पर पहुंच गई थी। डायरेक्टर्स अपनी फिल्म में उन्हें साइन करने के लिए उतावले थे। बताते हैं इसी दौर में एक पार्टी में जीनत की मुलाकात राज कुमार से हुई। उन्हें लगा कि तारीफ के दो-चार शब्द राजकुमार जैसे कलाकार से सुनने को मिलेंगे, लेकिन हुआ बिल्कुल उल्टा। राज कुमार ने जीनत को देखा और कहा- "तुम इतनी सुंदर हो, फिल्मों में कोशिश क्यों नहीं करतीं?"
इतने पैसे में तो उस गोरखे को ले जाओ...
एक बार की बात है, राज कुमार के पास एक प्रोड्यूसर आया, जो उन्हें अपनी फिल्म में साइन करना चाहता था और पैसे कम दे रहा था। राज कुमार ने पूछा- "कितने पैसे दोगे?" प्रोड्यूसर ने कुछ पैसे बोले तो उन्होंने कहा, "इतने पैसे में तो उस गोरखे को ले जाओ!" बताया जाता है कि राज कुमार का इशारा डैनी डेन्जोंगपा की ओर था।
धर्मेन्द्र या जितेन्द्र क्या फर्क पड़ता है...
ये किस्सा भी मशहूर है कि राज कुमार किसी साथी कलाकार को उसके सही नाम से नहीं बुलाते थे। इसके चलते कई एक्टर्स का उनसे मनमुटाव भी रहता था, लेकिन जैसे ही उनकी असलियत का पता चलता था, वे उनके दीवाने हो जाते थे। राज कुमार धर्मेन्द्र को जितेन्द्र और जितेन्द्र को धर्मेन्द्र नाम से बुलाते थे। इस पर धर्मेन्द्र को एक बार जबरदस्त गुस्सा आ गया। तब राज कुमार का जवाब था, ''राजेन्द्र हो या धर्मेन्द्र या जितेन्द्र या बंदर क्या फर्क पड़ता है, जानी राज कुमार के लिए सब बराबर हैं।''
'जंजीर' न करने की वजह...
प्रकाश मेहरा फिल्म 'जंजीर' में राज कुमार को लेना चाहते थे, लेकिन उन्होंने ऑफर ठुकरा दिया था। राज कुमार ने इसकी दो वजहें बताई थीं। पहली, उन्हें प्रकाश मेहरा की सूरत अच्छी नहीं लगी और दूसरी उन्होंने कहा- ''तुम्हारे पास से बिजनौरी तेल की ऐसी बदबू आ रही है, हम फिल्म तो दूर, तुम्हारे साथ एक मिनट और खड़ा रहना बर्दाश्त नहीं कर सकते।"
थानेदार से ऐसे बन गए हीरो...
राज कुमार मुंबई के माहिम थाने में काम करते थे और वहां अक्सर फिल्म उद्योग से जुड़े लोगों का आना-जाना लगा रहता था। एक बार पुलिस स्टेशन में डायरेक्टर बलदेव दुबे कुछ काम से आए। वे राज कुमार के बातचीत करने के अंदाज से काफी प्रभावित हुए और उन्होंने उनसे अपनी फिल्म 'शाही बाजार' में बतौर एक्टर काम करने का ऑफर दिया। राज कुमार अपने एक साथी की बात सुनकर पहले ही एक्टर बनने का मन बना चुके थे, इसलिए उन्होंने तुरंत ही अपनी सब-इंस्पेक्टर की नौकरी से इस्तीफा दे दिया और फिल्म का ऑफर मंजूर कर लिया।