जैसे ही लोगों ने गेसराम चौहान को अयोध्या फैसले के बारे में बताया तो वह भावुक हो गए और उनकी आंखों में आंसू आ गए। हाथ में लाठी लेकर लोगों के पास जाकर पूछने लगे कि सचमुच भगवान राम का मंदिर बनेगा। भैया आपको प्रणाम करता हूं। जो आप इतनी बढ़ी खुशी मुझे जीते जी दे रहे हो।
रायपुर (छत्तीसगढ़). सुप्रीम कोर्ट ने शनिवार को अपने फैसले में अयोध्या की विवादित जमीन रामलला को मंदिर बनने के लिए दे दी है। सालों पुराने इस विवाद के में कई लोगों ने अपना सियासी फयादा उठाया है। लेकिन हम आपको आज ऐसे इंसान के बारे में बता रहे हैं, जो गुमनामी की जिंदगी जी रहा है। जिसने राम मंदिर बनवाने के लिए अपने पेट पर भी गोली खा ली थी।
राम आंदोलन में पेट पर खाई थी गोली
दरअसल, हम जिस शख्स का जिक्र कर रहे हैं, वह हैं छत्तीसगढ़ के रहने वाले 65 साल के बुजुर्ग गेसराम चौहान हैं और वह छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में रहते हैं। वह 1992 में एक कारसेवक थे, जिनको राम आंदोलन के दौरान पेट में गोली लगी और लाठियां भी जमकर खाईं। गेसराम ने विवादित ढ़ाचा गिराकर राम मंदिर बनवाने के लिए आंदोलन में शामिल हुए थे।
भीख मांगकर कर रहे हैं गुजर-बसर
अब राम मंदिर के हित में फैसला आने के बाद गेसराम चौहान कहां है, किस हाल में है, यह किसी को नहीं पता। बता दें कि गेसराम इस समय भीख मांगकर अपना गुजर-बसर कर रहे हैं। वहीं उनके दो बेटे वीर सिंह व होरीलाल मजदूरी करके अपना जीवन यापन कर रहे हैं।
फैसला आने के बाद झूमने लगे गेसराम
बता दें कि जैसे ही लोगों ने गेसराम चौहान को अयोध्या फैसले के बारे में बताया तो वह भावुक हो गए और उनकी आंखों में आंसू आ गए। हाथ में लाठी लेकर लोगों के पास जाकर पूछने लगे कि सचमुच भगवान राम का मंदिर बनेगा। भैया आपको प्रणाम करता हूं। जो आप इतनी बढ़ी खुशी मुझे जीते जी दे रहे हो।
गोली लगने बाहर निकल गईं थी पेट की अंतड़ियां
1992 में जब गेसराम को गोली लगी तो उनकी पेट की अंतड़ियां बाहर आ गईं। वह फैजाबाद के एक अस्पताल में करीब 15 दिन तक एडमिट रहे। फिर लौटकर अपने घर आ गए, लेकिन यहां भी उनके भाइयों ने उनकी जमीन छीन ली। किसी तरह उन्होंने मजदूरी करके अपना इलाज करवाया।