गायों के लिए बनेगा 'गौठान', बघेल सरकार के प्रतीक बने 'गांधी, गाय और राम'

गायों के संरक्षण और उन्हें राज्य की अर्थव्यवस्था से सीधे तौर पर जोड़ने के लिए अगले एक साल में राज्य की 70 फीसदी पंचायतों में 'गौठान' बनाने और विभिन्न गौ उत्पाद बेचने का लक्ष्य रखा है। 

रायपुर: राष्ट्रीय राजनीति में भगवान राम और गाय के नाम पर भले ही भाजपा मुखर नजर आती है लेकिन छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सरकार इन दिनों 'गांधी, गाय और राम' को अपने प्रतीक के रूप में पेश करती नजर रही है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल इन दिनों सार्वजनिक मंचों से बापू के साथ भगवान राम और गाय का खूब उल्लेख कर रहे हैं। राज्य सरकार इन दिनों सबरी से जुड़ी स्थली और माता कौशल्या मन्दिर के विकास और पर्यटन को बढ़ावा देने की योजना पर भी काम कर रही है।

गायों के लिए बनाया जा रहा है 'गौठान'

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दूसरी तरफ, गायों के संरक्षण और उन्हें राज्य की अर्थव्यवस्था से सीधे तौर पर जोड़ने के लिए अगले एक साल में राज्य की 70 फीसदी पंचायतों में 'गौठान' बनाने और विभिन्न गौ उत्पाद बेचने का लक्ष्य रखा है। गौठान वह स्थान है, जहां गायों के लिए चारे-पानी, उनकी देखभाल और उनसे जुड़े उत्पादों के बनाने की पूरी व्यवस्था होती है। एक गौठान पांच एकड़ के क्षेत्र में बनाया जा रहा है। यही नहीं, मुख्यमंत्री बघेल ने हाल ही में महात्मा गांधी की 150वीं जयंती पर एक हफ्ते के लिए 'गांधी विचार यात्रा' निकाली और कहा कि उनकी सरकार गांधी के विचारों के आधार पर काम कर रही है।

गाय हमारा महत्वपूर्ण पशुधन: भूपेश बघेल

'गौठान' के विषय पर भूपेश बघेल ने कहा, 'गाय हमारा महत्वपूर्ण पशुधन है। आने वाले कुछ महीनों के भीतर लगभग सभी पंचायतों में गौठान बना दिए जाएंगे।' मुख्यमंत्री पिछले दिनों कौशल्या मन्दिर के दर्शन करने भी गए थे। राज्य सरकार के एक अधिकारी ने बताया, 'राम से जुड़े स्थलों और छत्तीसगढ़ के अन्य धार्मिक स्थलों के विकास पर मुख्य ध्यान दिया जा रहा है। आने वाले दिनों में राज्य में धार्मिक पर्यटन पर इसका असर जरूर दिखेगा।'

राज्य की ग्रमीण अर्थव्यवस्था को मिलेगी मजबूती 

भूपेश बघेल ने कहा, ' इस वक्त राज्य में करीब एक करोड़ 28 लाख मवेशी हैं जिनमें तकरीबन 30 लाख गायें हैं। सरकार इन गायों को ग्रामीण अर्थव्यवस्था का स्तंभ बनाना चाहती है। हम हर पंचायत में पांच एकड़ में गौठान और 10 एकड़ में चारागाह बना रहे हैं। गाय का एक इकोनॉमिक मॉडल है। अब तक गाय अर्थव्यवस्था से सीधे तौर पर नहीं जुड़ पाई थी। अब लोग गाय के गोबर से दीए, गमले और खाद बना रहे हैं। हमारे कदम से राज्य की ग्रमीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी।'

(यह खबर समाचार एजेंसी भाषा की है, एशियानेट हिंदी टीम ने सिर्फ हेडलाइन में बदलाव किया है।)

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