राहुल को 104 घंटे बाद बाहर निकाला गया, हालत गंभीर, ग्रीन कॉरिडोर बनाकर भेजा गया अपोलो अस्पताल

शुक्रवार को जांजगीर-चंपा जिले में 11 साल का बच्चा राहुल 80 फीट गहरे बोरवेल में गिर गया था। राहुल मूक-बधिर है। वह मानसिक रूप से कमजोर भी है। पिछले 100 घंटे से अधिक समय के बाद राहुल को सकुशल निकालने का भागीरथी प्रयास सफल हो चुका है। 
 

Dheerendra Gopal | Published : Jun 14, 2022 2:01 PM IST / Updated: Jun 15 2022, 12:27 AM IST

जांजगीर। बोरवेल में गिरे छत्तीसगढ़ के राहुल साहू को बचाने के लिए 100 से अधिक घंटे से प्रयास सफल रहा है। टनल खोदने का काम पूरा होने के बाद सेना के जवानों ने पूरी कमान अपने हाथों में ले ली थी। स्ट्रेचर, ऑक्सीजन आदि लेकर सेना के जवान टनल में उतरे और घंटों की मेहनत रंग लाई। 102 घंटे बाद टनल के भीतर पहुंचे जवानों को राहुल की झलक मिली थी। करीब 104 घंटे के बाद राहुल को बाहर निकाला जा सका है। राहुल जैसे ही सुरंग से बाहर आया। उसने आँखे खोली और एक बार फिर दुनिया को देखा। यह क्षण सबके लिए खुशी का एक बड़ा पल था। पूरा इलाका राहुलमय हो गया। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा बोरवेल में फसे राहुल को सुरक्षित निकालने के लिए जिला प्रशासन को विशेष निर्देश दिए गए थे। आखिरकार देश के सबसे बड़े रेस्क्यू अभियान को कलेक्टर जितेंद्र कुमार शुक्ला के नेतृत्व में अंजाम दिया गया। सुरंग बनाने के रास्ते में बार-बार मजबूत चट्टान आ जाने से 4 दिन तक चले इस अभियान को रेस्क्यू दल ने अंजाम देकर मासूम राहुल को एक नई जिंदगी दी है। इस रेस्क्यू के सफल होने से देशभर में एक खुशी का माहौल बन गया।


जांजगीर के कलेक्टर जीतेंद्र शुक्ला ने बताया कि टीम बोरवेल में फंसे राहुल को बाहर निकाल लाई है। रेस्क्यू टीम उसे बाहर निकाल कर लाने के बाद तत्काल एंबुलेंस तक पहुंचाया। सेना के जवान उसे बाहर लाने के बाद बिना देरी किए एंबुलेंस में ले गए। प्रशासन ने पहले से तैयारियां कर रखी थीं। एंबुलेंस में माता-पिता के साथ उसे अपोलो अस्पताल भेजा गया। डीएम ने बताया कि उसकी हालत गंभीर है लेकिन वह रिस्पांस कर रहा है। काफी डरा हुआ भी है। कई दिनों से बोरवेल में गिरे राहुल के लिए हजारों हाथ दुआ मांग रहे थे। प्रार्थनाओं और पूजा का दौर जारी था। हर कोई राहुल की सलामती की दुआ मांग रहा था। 

 

एंबुलेंस रेडी, ग्रीन कॉरिडोर बनाया गया

राहुल को बोरवेल से बाहर निकालने के बाद एनडीआरएफ व मेडिकल टीम पूरी तरह से अलर्ट मोड़ में थी। सेना के जवान आवश्यक लाइफ सेविंग टूल्स लेकर टनल में उतरे थे ताकि राहुल को बाहर निकाला जा सके। वहीं, मेडिकल टीम्स को भी अलर्ट मोड में रख दिया गया था। मौके से बिलासपुर एम्स तक के लिए ग्रीन कॉरिडोर बनाया गया ताकि राहुल को हेल्थ चेकअप के लिए बिना देर किए पहुंचाया जा सके।

शुक्रवार को गिर गया था बोरवेल में राहुल

शुक्रवार को जांजगीर-चंपा जिले में 11 साल का बच्चा राहुल 80 फीट गहरे बोरवेल में गिर गया था। राहुल मूक-बधिर है। वह मानसिक रूप से कमजोर भी है। पिहरीद गांव के बोरवेल में गिरे राहुल को निकालने के लिए पहले रोबोटिक्स टेक्निक का प्रयोग किया गया लेकिन रविवार की शाम तक वह फेल हो गया। इसके बाद दूसरे तरीके से बच्चे को निकालने की प्रक्रिया जारी है। पिछले 100 घंटे से अधिक समय से राहुल को सकुशल निकालने का भागीरथी प्रयास हो रहा है। 

चार दिनों से सैकड़ों अधिकारी मौके पर...

जिले के कलक्टर व एसपी की देखरेख में चल रहे रेस्क्यू ऑपरेशन में मदद के लिए आधा दर्जन से अधिक आईएएस व आईपीएस अधिकारियों को राज्य सरकार ने मौके पर भेजा है। चार दिनों से चल रहे रेस्क्यू ऑपरेशन में 50 से अधिक एनडीआरएफ, एसडीआरएफ व पैरामिलिट्री के जवान लगे हुए हैं। राहुल को बचाने जांजगीर कलेक्टर जितेंद्र शुक्ला, एसपी विजय अग्रवाल के साथ 4 आईएएस, 2 आईपीएस, 1 एएसपी, 2 डिप्टी कलेक्टर, 5 तहसीलदार, 4 डीएसपी, 8 इंस्पेक्टर सहित तीन जिलों रायगढ़, दुर्ग व बिलासपुर से रेस्क्यू टीम बुलाई गई है। मौके पर 120 पुलिस के जवानों के अलावा 32 एनडीआरएफ, 15 एसडीआरएफ और सेना के जवान मौजूद हैं। करीब 500 अधिकारियों/कर्मचारियों की फौज किसी भी सूरत में राहुल को बचाने के लिए तैनात किए गए हैं। 

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का आदेश-हर हाल में बचाएं राहुल को

बच्चे के बोरवेल में गिरने की सूचना शुक्रवार को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के पास पहुंचते ही, उसके सुरक्षित निकालने के लिए कई जिलों के अधिकारियों व रेस्क्यू ऑपरेशन टीम को लगाया है। मुख्यमंत्री ने बच्चे के माता पिता से फोन पर बात की है। सीएम ने परिजन को आश्वास्त किया कि किसी भी सूरत में राहुल को सकुशल निकाल लिया जाएगा। 

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