संक्रमण उम्र का कोई लिहाज नहीं करता। बच्चे के जन्म लेते ही संक्रमण उसे भी जकड़ लेता है। लेकिन यह इंसान के हौसलों की बानगी है कि अब कोरोना हारता जा रहा है। यह मां-बच्चा भी इसी का उदाहरण है। इस बच्चे के जन्म लेते ही मां के कोरोना संक्रमण होने की पुष्टि हुई थी। बच्चे को मां से दूर नहीं किया जा सकता था, लिहाजा दोनों 16 दिन साथ मिलकर कोरोना से लड़े। अब दोनों पूरी तरह ठीक हैं। मामला छत्तीसगढ़ के बिलासपुर का है।
बिलासपुर, छत्तीसगढ़. देश में कोरोना संक्रमितों की संख्या 5 लाख 29 हजार पहुंच चुकी है। लेकिन यह अच्छी खबर है कि इसमें से 3 लाख 10 हजार से ज्यादा ठीक हो चुके हैं। 16 हजार से ज्यादा की मौत हुई है, लेकिन अब मृत्यु दर लगातार कम हो रही है। कोरोना संक्रमण उम्र का कोई लिहाज नहीं करता। बच्चे के जन्म लेते ही संक्रमण उसे भी जकड़ लेता है। लेकिन यह इंसान के हौसलों की बानगी है कि अब कोरोना हारता जा रहा है। यह मां-बच्चा भी इसी का उदाहरण है। इस बच्चे के जन्म लेते ही मां के कोरोना संक्रमण होने की पुष्टि हुई थी। बच्चे को मां से दूर नहीं किया जा सकता था, लिहाजा दोनों 16 दिन साथ मिलकर कोरोना से लड़े। अब दोनों पूरी तरह ठीक हैं। बता दें कि छत्तीसगढ़ में 2545 से ज्यादा संक्रमित मिले हैं। इनमें से 13 की मौत हुई। वहीं, 1914 ठीक हो चुके।
बच्चे का नाम आयुष रखा...
चोरहादेवरी के रहने वाले मजदूर की पत्नी ने 6 जून को रिम्स में बेटे को जन्म दिया था। अकेले ही दिन दोनों की कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव मिली। यानी 2 दिन के बच्चे को मां की गोद में क्वारेंटाइन कर दिया गया। दोनों 16 दिन कोरोना से लड़े। अब ठीक होकर 22 जून को अपने घर लौट आए। जब जच्चा-बच्चा की अस्पताल से छुट्टी हो रही थी, तब रजिस्टर में बच्चे के नाम की बात आई। मां ने तुरंत उसका नाम आयुष रख दिया। आयुष की रिपोर्ट निगेटिव निकली थी। लेकिन उसे मां से दूर नहीं रखा जा सकता था, लिहाजा उसे भी मां के साथ क्वारेंटाइन कर दिया गया था। बच्चे के पिता ने बताया कि वो दिल्ली में मजदूरी करता था। लॉकडाउन के कारण फिलहाल यहीं घर पर है। उसका 2 साल का एक बेटा और है। वो घर पर रहकर बड़े बेटे को संभालता रहा। मजदूर ने कहा कि अस्पताल के स्टाफ ने उसकी पत्नी और नवजात की अच्छे से देखभाल की।