बीजेपी ने छत्तीसगढ़ सरकार पर आरोप लगाया है कि बघेल सरकार पाकिस्तान की एक संस्था दावत ए इस्लामी को सामुदायिक भवन बनाने के नाम पर 25 एकड़ जमीन दिए जाने की तैयारी कर रही है। पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल मीडिया से बात करते हुए कहा कि इस संबंध में इस्तिहार भी जारी कर दिया गया है।
रायपुर. छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में मुस्लिम संस्था दावत-ए-इस्लामी संगठन (muslim organization dawat e islami) को कांग्रेस सरकार द्वारा 25 एकड़ जमीन आवंटित करने को लेकर बवाल मच गया है। राज्य में विपक्षी पार्टी भाजपा के नेताओं ने कांग्रेस सरकार पर जमकर हमला बोला। इतना ही नहीं, इस मामले को लेकर पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल (Brijmohan Agarwal) ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की। जिसके बाद जमीन का आवेदन को रद्द कर दिया गया है।
पाकिस्तान के कराची शहर से ताल्लुक रखती है ये संस्था
दरअसल, बीजेपी ने छत्तीसगढ़ सरकार पर आरोप लगाया है कि बघेल सरकार पाकिस्तान की एक संस्था दावत ए इस्लामी को सामुदायिक भवन बनाने के नाम पर 25 एकड़ जमीन दिए जाने की तैयारी कर रही है। पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल मीडिया से बात करते हुए कहा कि इस संबंध में इस्तिहार भी जारी कर दिया गया है। भारतीय जनता पार्टी इसका विरोध करती है और अगर जरूरत पड़ी तो इसके विरोध में कोर्ट भी जाएगी।
'आतंकी संस्था है और आतंकियों के लिए फंडिंग करती है'
बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि इस संस्था का ताल्लुक पाकिस्तान के कराची शहर से है। इस संस्था की स्थापना 80 के दशक में हुई। अब रायपुर में इस संस्था को जमीन देने की तैयारी है। दावत ए इस्लामी एक आतंकी संस्था है और आतंकियों के लिए फंडिंग करती है। इस संस्था के आतंकवादी गतिविधियों में शामिल होने और धर्मांतरण करने के मामले सामने आ चुके हैं। उन्होंने आगे कहा कि कई ऐसी संस्थाएं हैं जिनके आवेदन 10 सालों से पेंडिंग पड़े हैं, मगर 2020 में आवेदन करने वाली इस संस्था को फौरन जमीन देने की तैयारी है।
जानिए क्या है पूरा मामला
इस मामले पर अनुविभागीय दंडाधिकारी देवेंद्र पटेल ने एक विज्ञप्ति जारी की है। जिसमें कहा गया है कि अभी दावत-ए-इस्लामी संस्था को जमीन का आवंटन नहीं हुई है। इसे पहले ही कैंसिल कर दिया गया है। साथ ही कहा कि इस संस्था की तरफ से सैयद कलीम ने सामुदायिक भवन के निर्माण के लिए 10 हेक्टेयर भूमि आवंटन के लिए आवेदन दिया था। लेकिन विज्ञापन प्रकाशन के बाद आवेदक ने तहसीलदार के न्यायालय में मौजूद होकर अपना आवेदन ये कहकर वापस ले लिया कि उन्होंने गलती से रकबा 10 हेक्टेयर लिख दिया था, जबकि उन्हें केवल 10 हजार वर्गफुट जमीन की ही जरूरत है।
1981 में कराची में हुई थी इसकी स्थापना
बता दें कि जिस संस्था को लेकर छत्तीसगढ़ में बवाल मचा है, वह संगठन दावत-ए-इस्लामी पाकिस्तान की एक सुन्नी इस्लामी संस्था है। इसकी स्थापना 1981 में कराची में हुई थी। मौलाना अबू बिलाल मुहम्मद इलियास अत्तर इसके संस्थापक माने जाते हैं। इस संस्था के पूरी दुनिया में कई संस्थान हैं। जहां मुस्लिम छात्र इस्लाम से जुड़ी पढ़ाई करते हैं।