अकसर जंगली रास्ते में बंदरों के झुंड देखकर लोग रुककर उन्हें खाने-पीने को देते हैं। अगर आपको लगता है कि ऐसा करके आपने पुण्य कमाया है, तो यह भ्रम अपने दिमाग से निकाल दें। यह न सिर्फ बंदरों की सेहत के लिए हानिकारक है, बल्कि आपकी जेब पर भी भारी पड़ सकता है। केशकाल घाटी में एक ट्रक ड्राइवर ने जैसे ही गाड़ी रोककर बंदरों को कुछ खाने को दिया..उसकी जेब पर ढीली हो गई। जानिए क्यों..
कोंडागांव, छत्तीसगढ़. अकसर जंगली रास्ते में बंदरों के झुंड देखकर लोग रुककर उन्हें खाने-पीने को देते हैं। अगर आपको लगता है कि ऐसा करके आपने पुण्य कमाया है, तो यह भ्रम अपने दिमाग से निकाल दें। यह न सिर्फ बंदरों की सेहत के लिए हानिकारक है, बल्कि आपकी जेब पर भी भारी पड़ सकता है। केशकाल घाटी में एक ट्रक ड्राइवर ने जैसे ही गाड़ी रोककर बंदरों को कुछ खाने को दिया..उसकी जेब पर ढीली हो गई। वन विभाग ने जगह-जगह बोर्ड लगा रखे हैं, जिनमें सख्त हिदायत दी गई कि वन्य जीवों को कुछ खाने को न दिया जाए। दरअसल, बाहरी चीजें खाने से वन्य जीवों की जीवनशैली बदल रही है। वे मनुष्यों पर निर्भर होते जा रहे हैं। नैसर्गिक तरीके से अपने लिए खाने क प्रबंध न करके वे लोगों के पास खाने के लालच में जाने लगे हैं। इससे उनकी सेहत पर भी बुरा असर पड़ रहा है। एक ट्रक ड्राइवर ने इसका उल्लंघन किया, तो वन विभाग ने उस पर 10000 रुपए का जुर्माना ठोंक दिया।
चेतावनी नजरअंदाज करने का नतीजा...
केशकाल घाटी में बड़ी संख्या में बंदरों का प्रवास है। यहां से गुजरने वाले लोग उन्हें खाने की चीजें देते जाते हैं। वन विभाग का कहना है कि इन चीजों से बंदरों की सेहत खराब हो रही है। इसे ध्यान में रखकर जगह-जगह चेतावनी वाले बोर्ड लगाए हैं। फिर भी लोग नहीं मानते।
ट्रक ड्राइवर ओमप्रकाश ने बताया कि वो दिल्ली का रहने वाला है। उसे नहीं मालूम था कि उसका ऐसा करना जेब पर भारी पड़ेगा। वन विभाग के कर्मचारियों ने उसे बंदरों को खिलाते देख लिया था। हालांकि ड्राइवर ने अपनी सफाई में खूब दलीलें दी, लेकिन वन विभाग नहीं माना।