दैनिक भास्कर ग्रुप ने धोखाधड़ी से खरीदी वनवासियों की जमीन, राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग ने जारी किया समन

Published : Mar 06, 2022, 08:59 PM ISTUpdated : Mar 06, 2022, 09:05 PM IST
दैनिक भास्कर ग्रुप ने धोखाधड़ी से खरीदी वनवासियों की जमीन, राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग ने जारी किया समन

सार

छत्तीसगढ़ के जांजागीर-चांपा जिले में जमीन खरीदे जाने का है मामला। दैनिक भास्कर ग्रुप ने पावर प्लांट के नाम पर जमीन हथियाई है। राष्ट्रीय अनुसूचित जनजातिआयोग को इस संबंध में शिकायत मिली थी। आयोग ने समन जारी कर जिलाधिकारी और एसपी को बुलाया है।

रायपुर। देश में हिंदी का सबसे बड़ा अखबार होने का दावा करने वाला दैनिक भास्कर ग्रुप खुद बेइमानी के धंधे से जुड़ा हुआ है। पिछले साल जुलाई में जब इनकम टैक्स विभाग ने उसके विभिन्न कार्यालयों पर छापे मारे थे तो दैनिक भास्कर ग्रुप ने दावा किया था कि यह प्रेस का गला दबाने की साजिश है ताकि वह सरकार के खिलाफ कुछ बोल न सके, लेकिन वास्तविकता जरा हटकर है। 

दरअसल दैनिक भास्कर अखबार पर यह छापेमारी नहीं की गई थी। डीबी ग्रुप यानी दैनिक भास्कर ग्रुप के कई और भी काम हैं। अखबार निकालने के अलावा भास्कर ग्रुप रियल स्टेट, टेक्सटाइल और पावर सेक्टर में भी काम करता है। छापेमारी के बाद जब जांच हुई तो पता चला है कि दैनिक भास्कर ग्रुप ने पावर प्लांट के नाम पर वनवासियों की जमीन को धोखाधड़ी से खरीदा है। इस संबंध में राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग को भी शिकायत मिली है।  

पिछले साल जुलाई में इनकम टैक्स विभाग ने दैनिक भास्कर ग्रुप के कई कार्यालयों पर छापे मारे थे। छापेमारी में कई महत्वपूर्ण कागजात मिले थे। अब एक और नई जानकारी निकलकर सामने आई है। दैनिक भास्कर ग्रुप की एक और कंपनी है 'डी.बी.पावर लिमिटेड'। आरोप है कि भास्कर ने छत्तीगढ़ के  जांजागीर-चांपा जिले में इसका प्लांट लगाने के लिए जमीन खरीदीने के लिए धोखाधड़ी की है। 

जमीन खरीदने के लिए नौकरी पर रखा एजेंट
दरअसल भास्कर ने पहले यहां के एक स्थानीय व्यक्ति को अपने यहां नौकरी पर रखा। उसने यहां 'डी.बी.पावर लिमिटेड' के लिए एजेंट का काम किया। पहले इसने सस्ते दामों में वनवासियों की जमीन खरीदी। नियमानुसार वनवासियों की जमीन जब एक वनवासी खरीदता है तो उसे किसी की अनुमति की जरूरत नहीं होती है, लेकिन यदि कोई बाहर का व्यक्ति किसी वनवासी से जमीन खरीदता तो उसके लिए जिलाधिकारी की अनुमति लेनी पड़ती है। 

आरोप है कि भास्कर ग्रुप ने पहले अपने इस एजेंट के माध्यम से वनवासियों की जमीन को खरीदने को कहा। एजेंट के तौर पर काम कर रहे इस व्यक्ति ने वनवासियों से जमीन खरीदी और बाद में वह जमीन 'डी.बी.पावर लिमिटेड' को बेच दी। इस बीच इसमें से काफी जमीन को पहले 'छत्तीसगढ़ स्टेट इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट कारपोरेशन' ने अधिग्रहित किया और फिर 'डी.बी.पावर लिमिटेड' को दे दिया। यानी पहले भास्कर के एक स्थानीय एजेंट ने यहां गांववालों से सस्ते में जमीन खरीदी और 'डी.बी.पावर लिमिटेड' को वही जमीन फिर से बेच दी गई। प्लांट के लिए और ज्यादा जमीन की जरूरत थी तो 'छत्तीसगढ़ स्टेट इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट कारपोरेशन' के माध्यम से भी यहां जमीन का अधिग्रहण कर उसे 'डी.बी.पावर लिमिटेड' को बेचा गया। अब इस पूरे खेल में कौन-कौन शामिल है यह जांच का विषय है।

जिलाधिकारी और एसपी को समन
इस संबंध में राष्ट्रीय अनुसूचित जनजातिआयोग को शिकायत मिलने के बाद आयोग ने छत्तीगढ़ के राजस्व सचिव और छत्तीसगढ़ स्टेट इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट कारपोरेशन' के एमडी को नोटिस जारी किया तो वहां से कोई जवाब नहीं आया। इसके अलावा जांजागीर-चांपा जिले के जिलाधिकारी और एसपी को भी आयोग की तरफ से नोटिस भेजकर जवाब मांगा गया था। वहां से संतोषजनक जवाब न मिलने पर आयोग ने वहां के एसपी और जिलाधिकारी को समन जारी कर आठ मार्च को आयोग में अपना पक्ष रखने के लिए बुलाया है।

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