कोरोना संक्रमण के चलते एक बुजुर्ग की मौत के बाद उसके बेटे ने मेडिकल स्टाफ पर आरोप लगाए हैं। वीडियो वायरल करके बेटे ने कहा कि अगर उसके पिता को समय पर इलाज मिल जाता, तो शायद उनकी जान बचाई जा सकती थी। मामला रायपुर एम्स से जुड़ा है। बेटे का आरोप है कि जब उसके पिता की तबीयत बिगड़ी, तो उन्हें देखने कोई नहीं गया। वे दरवाजा पीटते रहे, लेकिन किसी ने उनकी सुध नहीं ली।
रायपुर, छत्तीसगढ़. कोरोना संक्रमित (Corona infection) मरीजों को लेकर अस्पतालों में बरती जा रही लापरवाही का चौंकाने वाला केस सामने आया है। अपने पिता की मौत के बाद एक शख्स ने वीडियो वायरल करके एम्स के स्टाफ पर गंभीर आरोप लगाए हैं। बेटे ने कहा कि अगर उसके पिता को समय पर इलाज मिल जाता, तो शायद उनकी जान बचाई जा सकती थी। बेटे का आरोप है कि जब उसके पिता की तबीयत बिगड़ी, तो उन्हें देखने कोई नहीं गया। वे दरवाजा पीटते रहे, लेकिन किसी ने उनकी सुध नहीं ली। वीडियो वायरल (Video viral) होने के बाद एम्स प्रबंधन ने सफाई दी है कि उनकी तरफ से इलाज में कोई लापरवाही नहीं बरती गई है।
बेटे ने लगाए यह आरोप...
अजय जॉन के पिता को तबीयत बिगड़ने पर 9 सितंबर को एम्स में भर्ती कराया गया था। जांच के बाद उन्हें आइसोलेशन (isolation) वार्ड में रखा गया था। बेटे ने कहा कि उनका कमरा बाहर से बंद रखा गया था। जब उनकी तबीयत फिर बिगड़ी, तो वो दरवाजा पीटते रहे, लेकिन किसी ने उनकी सुध नहीं ली। बेटे ने कहा कि उनके पिता ने सोमवार तड़के 4 बजे कॉल किया था। उन्होंने बताया था कि यहां मरीजों को देखने वाला कोई नहीं है। अजय के अनुसार, यह सुनकर वो खुद एम्स पहुंचे। इसके बाद नर्सिंग स्टाफ उनके पिता को देखने पहुंचा। तब उनकी हार्ट रेट बढ़ी हुई थी। ऑक्सीजन लेवल भी बहुत कम था। इसके बावजूद उन्हें आईसीयू में भर्ती नहीं किया गया।
एम्बुलेंस बुलाने पर भी रेफर नहीं किया
अजय ने आरोप लगाया कि एम्स की अव्यवस्थाओं को देखते हुए वे अपने पिता को प्राइवेट अस्पताल में शिफ्ट कराना चाहते थे। उन्होंने एम्बुलेंस बुलाई, लेकिन उनके लंग्स खराब होने की बात कहकर रेफर करने से मना कर दिया। दो दिन सूचना दी कि उनके पिता नहीं रहे। अजय ने मुख्यमंत्री से इस मामले की जांच कराने की मांग की है। वहीं, एम्स के पीआरओ शिव शर्मा ने बताया कि मरीज को आईसीयू में रखा गया था, लेकिन नहीं बच सके।