बेटी का शव कंधे पर लटकाए 10 KM पैदल चला बेबस पिता, छत्तसीगढ़ के मंत्री T. S. Singh Deo बोले-मन विचलित हो गया

छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर से दिल को झकझोर देने वाला मामला सामने आया है। जहां एक बेबस पिता अपनी बेटी की मौत के बाद उसके शव को कंधे पर लटकाए 10 किलोमीटर दूर घर लेकर पहुंचा। प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री टी. एस सिंह देव ने जब इस वीडियो को देखा तो कहा-मैंने वीडियो को देखा है, यह विचलित करने वाला है।

अंबिकापुर. छत्तसीगढ़ के अंबिकापुर से सरकार के तमाम दावों की पोल खोलने वाली एक ऐसी तस्वीर सामने आई है। जिसने हर किसी के दिल को झकझोर दिया है। जहां एक पिता की बेबसी ऐसी थी कि बेटी की मौत के बाद वह सरकारी वाहन के लिए गुहार लगाता रहा। लेकिन स्वास्थ्य केंद्र ने साफ तौर पर वाहन देने से इंकार कर दिया। ऐसे में लाचार पिता अपने जिगर के टुकड़े का शव कंधे पर लेकर निकल पड़ा। वह भीषण गर्मी में 10 KM बेटी का शव कंधे पर लेकर घर पहुंचा।

बेबसी में पिता बेटी के शव को कंधे पर लेकर चल पड़ा
दरअसल, यह मार्मिक घटना अंबिकापुर जिले के लखनपुर गांव के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र से सामने आई है। जहां शुक्रवाह सुबह सात वर्षीय बच्ची की बीमार होने से मौत हो गई थी। परजिनों के मुताबिक, बच्ची को बुखार और पेट दर्द की शिकायत होने के बाद स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया था। जिसके बाद वहां की एक नर्स ने उसे इंजेक्शन लगाया और देखते ही देखते कुछ देर बाद हमारी बेटी ने दम तोड़ दिया। इसके बाद पिता  ईश्वर दास ने बताया कि बच्ची के शव को घर ले जाने के लिए एंबुलेंस की मांग की, लेकिन इसे दिने से जब मना कर दिया तो मजबूरी में में कंधे पर शव लेकर चल पड़ा। 

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स्वास्थ्य मंत्री ने कहा-वीडियो विचलित करने वाला है
बता दें कि इस शर्मशार करने वाली घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया। किसी तरह यह वीडियो प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री टी. एस सिंहदेव तक पहुंच गया। जिसके बाद उन्होंने तुरंत मामले की जांच के आदेश सरगुजा के अधिकारियों को दिेए। मंत्री ने कहा- मैंने वीडियो को खुद देखा है विचलित करने वाला है। किस तरह एक पिता बच्ची के शव को कंधे पर ले जा रहा है। उन्होंने बताया कि मामले का संज्ञान लिया गया है और सीएमएचओ को जांच करने का निर्देश दिए हैं।

डॉक्टर ने बच्ची को लेकर बताई अलग ही कहानी
वहीं इस पूरे मामले पर स्वास्थ्य केंद्र के ग्रामीण चिकित्सा सहायक डॉ. विनोद भार्गव ने बताया कि जिस वक्त बच्ची को अस्पताल में एडमिट किया था उस दौरान उसका ऑक्सीजन का स्तर 60 के करीब था। फिर हमने उसका जितना हो सकता था उसका इलाज किया और उसे बचाने की पूरी कोशिश की। बच्ची की हालत बिगड़ती गई और करीब 7:30 बजे उसकी मौत हो गई। डॉक्टर ने कहा-पिता के कहने पर हमने सरकरी वाहन को बुलाया गया। लेकिन उसे आने में कुछ वक्त लग गया। जब वाहन सुबह 9:30 बजे अस्पताल पहुंचा तब ईश्वर दास बच्ची के शव को लेकर यहां से जा चुके थे।

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