सार
बुजुर्ग ने मरने से पहले सुसाइड नोट में अपना दर्द बयां करते हुए प्रशासन से इंसाफ की गुहार लाते हुए लिखा-मैं चाहता हूं कि मेरे बेटा-बहू अपनी अंतिम सांस तक जेल में ही रहें। मैं उनकी ही वजह से आत्महत्या करने के लिए मजबूर हुआ हूं।
कोरबा (छत्तसीगढ़). हर पिता अपने बच्चों की खुशियों की खातिर दिन रात मेहनत करता है, वह यही चाहता है कि उसकी संताने बस खुश रहें। लेकिन एक दिन यही बच्चे बुढ़ापे में उसे मरने के लिए बेबस कर देते हैं। ऐसा ही एक मार्मिक घटना छत्तसीगढ़ के कोरबा जिले से सामने आई है। जहां बेटा-बहू ने मिलकर बुजुर्ग बाप को इतना सताया कि उसने फांसी के फंदे पर लटककर आत्महत्या कर ली। बुजुर्ग ने मरने से पहले सुसाइड नोट में अपना दर्द बयां करते हुए प्रशासन से इंसाफ की गुहार लाते हुए लिखा-मैं चाहता हूं कि मेरे बेटा-बहू अपनी अंतिम सांस तक जेल में ही रहें। मैं उनकी ही वजह से आत्महत्या करने के लिए मजबूर हुआ हूं।
बेटा-बहू पिता को नहीं रखना चाहते थे पास
दरअसल, यह दुखद मामला कोरबा जिले के रामपुर चौकी क्षेत्र के रामपुर सिंचाई कॉलोनी का है। जहां बुजुर्ग गिरधारी राजपूत अपने बेटा-बहू के साथ रहते थे। हालांकि वह सिंचाई विभाग में नौकरी करते थे। कुछ सालों पहले ही उनके बेटे मनोज राजपूत की मनोज राजपूत के साथ विवाह हुआ था। लेकिन शाद के कुछ दिन बाद ही बहू अपने पति यानि बेटे से विवाद करने लगी और पिता से दूर रहने की जिद ठान बैठी। पति-पत्नी दोनों पिता को आएए दिन किसी ना किसी तरह से प्रताड़ित करने लगे।
बहू ने पूरे परिवार को जेल तक भेज दिया
आरोपी बेटा रोजाना शराब पीकर आता और पिता के साथ बदतमीजी करते हुए पैसे मांगा करता था। क्योंकि वह कोई काम नहीं करता था। हालांकि पिता उसे पैसे दे देते थे। लेकिन उसकी पत्नी ससुर को लेकर विवाद करती थी। फिर एक दिन बहू ने पूरे परिवारवालों के खिलाफ दहेज प्रताड़ना का केस दर्ज करा दिया। जिसकी वजह से गिरधारी राजपूत और उसके परिवार के अन्य लोगों को जेल में जाना पड़ा। यह मामला फिलहाल अदालत में विचारधीन है।
मरने से पहले सुसाइड नोट में लिखी पूरी कहानी
परिवार को जेल भेजने और केस के कोर्ट में चलने से बुजुर्ग दुखी था। उसने मरने से पहले अपने सुसाइड नोट में लिखा- मेरे परिवार का आजतक कोई केस कोर्ट में नहीं चला। ना ही कोई कभी जेल गया, लेकिन बहू ने ऐसा करवा दिया वो भी अपने मायके वालों और मेरे बेटे के साथ मिलकर, मैं इस घटना से बेहद दुखी हूं, अब जब बदनाम हो गया हूं तो जीने के मन नहीं करता हूं। इसलिए आत्महत्या के लिए बेबस हूं। मैं कसम खाता हूं कभी बहू के लिए दहेज के लिए प्रताड़ित नहीं किया। लेकिन उसने झूठा केस लगा दिया। अब मैं चाहता हूं की मेरे परिवार की इज्जत उछालने वालों को सजा मिले, और वह आखिरी सांस तक कारावास में रहें। इसके बाद बजुर्ग ने सोमवार देर रात अपने कमरे में फांसी लगाकर जान दे दी।
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