जब यह बेटी घर में जन्मी, तो मां-बाप को के दिल पर जैसे गहरा सदमा लगा। उन्हें बेटी होने से तकलीफ नहीं थी, दु:ख इस बात का था कि वो बोल-सुन नहीं सकती। लेकिन अब उन्हें अपनी इस बेटी पर गर्व है। यह बेटी कोरोना वायरस के खिलाफ जारी जंग में अपना योगदान दे रही है।
Asianet News Hindi | Published : Apr 14, 2020 5:47 AM IST
नारायणपुर, छत्तीसगढ. जब यह बेटी घर में जन्मी, तो मां-बाप के दिल को जैसे गहरा सदमा लगा। उन्हें बेटी होने से तकलीफ नहीं थी, दु:ख इस बात का था कि वो बोल-सुन नहीं सकती। लेकिन अब उन्हें अपनी इस बेटी पर गर्व है। यह बेटी कोरोना वायरस के खिलाफ जारी जंग में अपना योगदान दे रही है। यह हैं 23 साल की लीना। ये जन्म से ही मूक-बधिर हैं। लेकिन ये लोगों के हाव-भाव से उनका दर्द समझ लेती हैं। इन्हें मालूम चला कि कोरोना संक्रमण ने सारी दुनिया को हिला दिया है और उससे लड़ने के लिए मास्क बहुत जरूरी हैं। इसके बाद लीना ने घर पर ही मास्क बनाना शुरू कर दिए। ये मास्क गरीबों को दिए जा रहे हैं।
कलेक्टर ने की तारीफलीना के इस प्रयास की कलेक्टर पीएस. एल्मा भी तारीफ कर चुकी हैं। लीना रोज 80 मास्क तैयार कर रही हैं। हालांकि कलेक्टर ने ग्राम पंचायत को मास्क खरीदकर गांव के जरूरतमंदों को देने को कहा है, ताकि लीना को भी कुछ पैसे मिल सकें और गरीब का परिवार चल सके। हालांकि लीना मास्क से मुनाफा नहीं कमाना चाहतीं। वे इशारों के जरिये कहती हैं कि उनका मकसद कोरोना के खिलाफ लड़ाई में अपन योगदान देना है।
मां ने बेटी को बनाया काबिल..लीना नारायणपुर जिले से करीब 12 किमी दूर नाउमुंजमेटा गांव में रहती हैं। उनकी मां सुनीता ने बताया कि जब लीना 6-7 महीने की हुई, तो कुछ अजीब महसूस हुआ। उसका बर्ताव सामान्य बच्चों की तरह नहीं था। जब डॉक्टर को दिखाया, तो मालूम चला कि लीना दिव्यांग है। यह सुनकर मां-बाप को गहरा सदमा लगा। लेकिन मां-बाप ने अपनी बेटी को कभी कमजोर नहीं होने दिया। सुनीता ने बताया कि जिला पंचायत के CEO प्रेमकुमार पटेल ने उनकी बेटी की बहुत मदद की। लीना ने सिलाई-कढ़ाई सीखी और अब अपने पैरों पर खड़ी है।