भारतीय सेना के तीन भाग हैं: थलसेना, जलसेना और वायुसेना। अभी तक सब यही जानते हैं कि भारतीय सेना की सबसे पुरानी रेजिमेंट पंजाब रेजिमेंट है। लेकिन हम आपको बताते हैं कि उससे भी पुरानी रेजिमेंट प्रेसिडेंट बॉडीगार्ड की है, जो कि राष्ट्रपति की सुरक्षा के लिए तैनात किए जाते हैं।
रायपुर. पूरा देश भारत की आजादी के 72 साल पूरे होने की खुशी के जश्न में डूबा है। लोग जश्न मनाने की तैयारी कर रहे हैं। ऐसे में आपको भारत की सेना के बारे में बताते हैं, जो भारत को विश्व स्तर पर गौरांवित महसूस कराते हैं। भारतीय सेना के तीन भाग हैं: थलसेना, जलसेना और वायुसेना। अभी तक सब यही जानते हैं कि भारतीय सेना की सबसे पुरानी रेजिमेंट पंजाब रेजिमेंट है। लेकिन हम आपको बताते हैं कि उससे भी पुरानी रेजिमेंट प्रेसिडेंट बॉडीगार्ड की है, जो कि राष्ट्रपति की सुरक्षा के लिए तैनात किए जाते हैं।
1773 में बनी थी टुकड़ी
भारत के राष्ट्रपति के अंगरक्षक की टुकड़ी भारतीय शस्त्र बल की सबसे पुरानी टुकड़ी है। यह वर्ष 1773 में बनी और राष्ट्रपति भवन में स्थाई है। इसके घोड़े युद्ध के लिए भी प्रशिक्षित किए जाते हैं।
20 लाख से ज्यादा कर्मचारी कार्यरत हैं
भारतीय सेना दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी और प्रमुख सेनाओं में से एक है। संख्या की दृष्टि से भारतीय थलसेना में जवानों की संख्या दुनिया में चीन के बाद सबसे ज्यादा है। भारतीय सेना में लगभग 11,30,000 कार्यरत और 9,60,000 रिजर्व कर्मचारी हैं।
सेना की वजह से हैं लोग सुरक्षित
जब भी देश पर कोई संकट आया है भारतीय सेना ने हमेशा आगे आकर लोगों की मदद की है और उनकी जान बचाई है। उनकी वजह से हम अपने घरों में निश्चिन्त और सुरक्षित रहते हैं।
सेना की संरचान अंग्रेजों द्वारा बनाई गई थी
भारतीय सेना का गठन भारत की आजादी के लिए सुभाष चंद्र बोस ने किया था। उसका नाम आजाद हिंद फौज था। लेकिन भारतीय सेना में सेना की संरचना अंग्रेजों के समय की है। आज भी सेना की वर्दी एवं नियम काफी हद तक ब्रिटिश सैन्य नियमों के आधार पर है।
आजादी के बाद 45 रेजिमेंट मिली थी
भारत की आजादी के बाद भारतीय सैन्य शक्ति में से भारत को कुल 45 रेजिमेंट मिले। जिसमें लगभग 2.5 लाख सैनिक थे जो कि वर्तमान में उसके 10 गुना हो चुके हैं।
आसानी से ऊंचाइयां चढ़ सकती है सेना
भारतीय सेना अधिक से अधिक ऊंचाइयों पर आसानी से लड़ाई के लिए सक्षम है। इसके लिए हाई एलटीट्यूड वारफेयर स्कूल (HAWS) दुनिया का सबसे बड़ा प्रशिक्षण शिविर चलाती है जिसमें अन्य देशों के सैनिक भी ट्रेनिंग लेते हैं। यह स्कूल गुलमर्ग, कश्मीर में स्थित है।