इस तस्वीर में बैठी एक मां है। जिसके 13 साल के बेटे की पेट दर्द के बाद संदिग्ध अवस्था में मौत हो गई थी। डॉक्टरों को कोरोना के मद्देनजर उसका पोस्टमार्टम करना था। लेकिन इसमें विलंब किया गया। क्योंकि उस वक्त संसदीय सचिव एंबुलेंस को हरी झंडी दिखाने वाले थे। इसके बाद वे कोरोना वॉरियर्स का सम्मान करने जा रहे थे। फोटोग्राफर इस जश्न के माहौल का फोटो खींचते रहे और पीछे मां बैठकर रोती रही।
महासमुंद, छत्तीसगढ़. यह एक तस्वीर फर्ज और दिखावे की असलियत बयां कर देती है। ड्यूटी वो है, जो शिद्दत से निभाई जाती है। ड्यूटी वो नहीं, जो मीडिया में छपने और वाहवाही लूटने के लिए की जाती है। यह तस्वीर झूठी शान का नतीजा है। इस तस्वीर में बैठी एक मां है। जिसके 13 साल के बेटे की पेट दर्द के बाद संदिग्ध अवस्था में मौत हो गई थी। डॉक्टरों को कोरोना के मद्देनजर उसका पोस्टमार्टम करना था। लेकिन इसमें विलंब किया गया। क्योंकि उस वक्त संसदीय सचिव एंबुलेंस को हरी झंडी दिखाने वाले थे। इसके बाद वे कोरोना वॉरियर्स का सम्मान करने जा रहे थे। फोटोग्राफर इस जश्न के माहौल का फोटो खींचते रहे और पीछे मां बैठकर रोती रही।
कोतवाल ने सिविल सर्जन को झूठा बताया...
यह महिला है इंदिरा बाई। कोमाखान थाने के कछारडीह की रहने वालीं इंदिरा बाई के 13 साल के बेटे तेजराम को पेट में दर्द हुआ था। परिजन उसे गांव के किसी झोलाछाप डॉक्टर के पास लेकर गए। जब बच्चे की हालत और बिगड़ी, तो परिजन उसे 108 एंबुलेंस से जिला अस्पताल लेकर आए। लेकिन उसे बचाया नहीं जा सका। कोरोना के मद्देनजर लाश का पोस्टमार्टम होना था। बच्चे के पिता हेमलाल ने बताया कि डॉक्टरों ने उन्हें इंतजार करने को कहा। उस समय संसदीय सचिव विनोद चंद्राकर एक एंबुलेंस को हरी झंडी दिखाकर रवाना करने वाले थे। इसके बाद कोरोना वॉरियर्स का सम्मान होना था। जब तक पूरा कार्यक्रम नहीं निपट गया, डॉक्टरों ने पोस्टमार्टम नहीं किया। तब तक मां बाहर बैठकर रोती रही। जिस पंडाल में यह कार्यक्रम चल रहा था, उसी से कुछ दूर मां बैठकर रो रही थी।
अब सिविल सर्जन आरके परदल तर्क दे रहे कि पंचनाम नहीं होने से पोस्टमार्टम में देरी हुई। वहीं, कोतवाली प्रभारी शेर सिंह ने कहा कि पंचनामा हो चुका था। सिविल सर्जन झूठ बोल रहे हैं।