जिसे मोदी ने खुद अपने हाथों से पहनाया था, वो चप्पल टूटने से दु:खी हुई आदिवासी बुजुर्ग महिला

किसी के लिए चप्पल भी कितनी प्रिय हो सकती हैं, छत्तीसगढ़ की रत्नी बाई इसका उदाहरण हैं। एक कार्यक्रम में मोदी ने रत्नीबाई को खुद अपने हाथों से चप्पल पहनाई थी। यह चप्पल अब टूट गई है। इससे बुजुर्ग महिला बहुत दुखी है।
 

Asianet News Hindi | Published : Dec 10, 2019 1:18 PM IST

बीजापुर, छग. प्यार और सम्मान से मिली कोई भी चीज छोटी नहीं होती। कीमत से उसका मूल्यांकन नहीं किया जा सकता। उसका खोना या खराब होना बड़े दुख का कारण बन जाता है। ऐसा ही बीजापुर की रहने वालीं आदिवासी बुजुर्ग महिला रत्नी बाई के साथ हो रहा है। बात जांगला में 14 अप्रैल 2017 को पीएम नरेंद्र मोदी ने 'आयुष्मान भारत योजना का शुभारंभ' किया था। इस मौके पर पीएम ने तेंदूपत्ता संग्राहकों को चरण पादुका(चप्पल) भेंट की थीं। रत्नी बाई को मोदी ने खुद अपने हाथों से चप्पल पहनाई थी। यह चप्पल रत्नीबाई के लिए जिंदगी की एक बड़ी सौगात थी। दरअसल, रत्नीबाई और बाकी महिलाएं हमेशा नंगे पांव ही रहती आई हैं। रत्नीबाई को अपने हाथों से चप्पल पहनाते मोदी ही यह तस्वीर उस वक्त मीडिया की सुर्खियां बन गई थी। रत्नीबाई ने अपनी झोपड़ी में यह तस्वीर टांग रखी है।

झोपड़ी में रहने वालीं रत्नीबाई इस चप्पल को विशेष आयोजन पर ही पहनती हैं। बाकी समय चप्पल हमेशा धान के बोरे में सहेज कर रख देती हैं। रत्नीबाई जब भी यहां-वहां जातीं, तो कमरे का ताला लगा देती हैं। रत्नीबाई इस चप्पल को अपनी जिंदगी की सबसे बड़ी पूंजी मानती हैं। लेकिन दो महीने किसी आयोजन में जाते समय रत्नीबाई यह चप्पल पहनकर निकलीं, तो वो टूट गईं। इसके बाद से रत्नीबाई दुखी हैं। वे अपनी गोंडी बोली में कहती हैं कि  क्या उनके मरने से पहले मोदी दूसरी चप्पल देंगे?

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